इन्हीं सब कारणों से जिले में मिशन उम्मीद शुरू किया है। इसके तहत ऐसे दुर्गम क्षेत्र जहां वाहन नहीं पहुंच पाते वहां से बीमार एवं गर्भवती महिलाओं को लाने के लिए फोल्डिंग स्ट्रेचर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे आवश्यकता पडऩे पर इनके माध्यम से रोगी को पहाड़ से नीचे लाकर बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र भेजा जा सके।
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मंगलवार को भी मिशन उम्मीद की केंद्र बिंदु गुड़ी के पखालिया फलिया की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मनीषा जमरे के सामने ऐसा ही प्रश्न खड़ा हो गया था। जब फलिया की रहवासी आमना पति राजाराम को दूसरी डिलेवरी का लेबर पेन होने लगा। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने तत्काल जननी 108 को कॉल कर बुला लिया, लेकिन पहाड़ से गर्भवती को लाना अपने आप में विकट था। ऐसे में कार्यकर्ता ने फोल्डिंग स्ट्रेचर का सहारा लिया और परिजनों के सहयोग से गर्भवती महिला को करीब 2 किमी घुमावदार पगडंडियों के रास्ते से पहाड़ से उतारकर वाहन में लिटाया और गुड़ी को स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया।
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जहां पर महिला ने ढ़ाई किलो के स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया और अब जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। कोरोना काल में जब सबकुछ ठहरा हुआ है। ऐसे में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ विभाग के अमले का यह प्रयास और सराहनीय हो जाता है।
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