बड़वानीPublished: Sep 27, 2020 06:22:19 pm
vishal yadav
तांबे के हांडे में निकले चांदी के रियासतकालीन 2484 सिक्के, पुलिस ने किए जब्त, सवेरा लॉज के पीछे राजा की कुलदेवी मंदिर के समीप खाली जगह में खुदाई के दौरान निकला हांडा, ट्रैक्टर मालिक ने अपने घर रख लिए थे सिक्के, हांडे पर अंकित है औंकार महाराज की बसु का नंद नीसा, सिक्कों पर है अरबी और फारसी अंकित
Princely coins of silver found in copper pot
बड़वानी. शहर के इंद्रभवन परिसर में सवेरा लॉज के पीछे पुराने कक्षों की खुदाई के दौरान एक हांडा निकला, जिसमें चांदी के सिक्के भरे हुए थे। खुदाई में निकले घड़े की जानकारी यहां काम करने वाले मजदूरों ने ट्रैक्टर मालिका को दी तो ट्रैक्टर मालिक मौके पर पहुंचा और हांडे को घर लेकर चले गया। इसकी जानकारी जब मुखबीर के माध्यम से लगी तो पुलिस ने ट्रैक्टर मालिक को पकड़ा तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। मामले का खुलासा रविवार को एसडीओपी रुपरेखा यादव ने पुलिस कंट्रोल रूम पर किया।
एसडीओपी ने बताया कि इंद्रभवन परिसर में खुदाई के दौरान तांबे के हांडे से पुराने समय के 2484 सिक्के निकले हैं। इनका 27 किलो 300 ग्राम है। इन सिक्कों पर अरबी, उर्दू और फारसी भाषा में कई चिन्ह अंकित हैं। रियासतकालीन इन सिक्कों की कीमत 14 लाख रुपए आंकी गई है। एसडीओपी ने बताया कि इंद्रभवन परिसर में खुदाई के दौरान निकले हांडे और सिक्कों को कैलाश धनगर निवासी चूना भट्टी अपने घर लेकर चले गया था। पुलिस ने जब कैलाश धनगर से पुछताछ की तो पहले तो आरोपित पुलिस को गुमराह करने लगा। बाद सख्ती ये पूजा की गई तो कैलाश धनगर ने हांडा और सिक्के पुलिस के सुपुर्द कर दिए। पुलिस ने बताया कि हांडा पिछले महीनें की 8 अगस्त को खुदाई में मिला था, जिसे कैलाश धनगर में अपने घर में छिपा दिया था।
हांडे पर अंकित है औंकार महाराज की बसु का नंद नीसा
इंद्रभवन परिसर के खंडहर हो चुके कक्षों की खुदाई के दौरान जो हांडा मिला है, उस औंकार महाराज की बसु का नंद नीसा अंकित है। हालांकि इसके कुछ शब्द पढऩे में नहीं आ रहे हैं। हांडे पर 1880 सन का होना अंकित है। वहीं हांडे से निकले सिक्कों पर शिवलिंग और सूरज की आकृतियां बनी हुई है। चांदी के ये सिक्के छोटे आकार के हैं और इतने समय तक जमीन में रहने के बाद भी उनकी चमक कम नहीं हुई थी।
रानी अहिल्याबाई के शासनकाल के भी हैं सिक्के
चांदे के जो सिक्के खुदाई में मिले हैं, उनमें रानी अहिल्याबाई के शासनकाल के भी सिक्के हैं। ये महेश्वर टकसाल में ढाले गए थे। इनमें भगवान शिव की आकृति अंकित है।
सिक्कों पर दर्ज है बादशाह आलमगिर का नाम
तांबे की हांडी से जो सिक्के निकले हैं, उनमें ऊर्दू और फारसी भाषा में बादशाह आलमगिर का नाम है अंकित है। मुस्लिम समाज के आलिम ने बताया कि ये सिक्के मुगल शासनकाल में ढाले गए थे। इन सिक्कों को 1200 व 1700 ईस्वी में ढाला गया था।
पूजन में चढ़ावे के हो सकते हैं सिक्के
इंद्रभवन परिसर में रियासतकाल के राजा की कुलदेवी के मंदिर के समीप सिक्के मिलने के संबंध में राजा के पूजारी दासौंदी बाबा ने बताया कि चक्रपूजा के समय जो चढ़ावा आता था, उसे इसी तरह हांडो में भरकर रखा जाता था। उन्होंने बताया कि पहले पूजन में सोने और चांदी के सिक्के चढ़ाए जाते थे। उस समय इन सिक्कों को हांडे में भरकर यहां गाढ़ दिया होगा। ये पूजन में चढ़ावा के सिक्के हो सकते हैं।
टीम में इनका रहा योगदान
खुदाई में निकले हांडे और चांदी के सिक्कों को जब्त करने में पुलिस अधीक्षक बड़वानी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के निर्देशन और एसडीओपी रुपरेखा यादव के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी राजेश यादव, सउनि आरके लववंशी, प्रआर केशल यादव, आरक्षक जगजोध, बलवीर, शैलेंद्र, गेंदालाल, महिला आरक्षक लक्ष्मी, प्रियंका का योगदान रहा।