बड़वानीPublished: May 30, 2019 10:54:26 am
मनीष अरोड़ा
रुफ वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर नगर पालिका नहीं जागरूक, कैसे सहेजेंगे वर्षा का जल, नहीं लगे भवनों में रुफ वॉटर हॉर्वेस्टिंग, हर साल बह जाता लाखों गैलन बारिश का पानी नालों में, भूजल स्तर हो रहा कम
Roof water harvesting system
बड़वानी. खत्म होते जल स्रोत और गिरते भू-जल स्तर को बचाने के लिए सारी कोशिश नाकाम नजर आ रही है। शहर में बनी सीमेंटीकृत सड़के और गली-गली लगे इंटरलॉकिंग ब्लॉक के चलते वर्षा जल व्यर्थ बहकर नालों में पहुंचता है। वर्षा जल को जमीन के नीचे पहुंचाने के लिए सोख्ता गड्डे और रुफ वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम (छत के रास्ते वर्षा जल को भूमि में उतारने) निजी भवनों में तो दूर पुराने सरकारी भवनों में ही नजर नहीं आ रहे है। नियमानुसार भवन निर्माण की अनुमति भी नगर पालिका रुफ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की शर्त पर देता है, लेकिन इसका कही पालन होता नजर नहीं आ रहा है।
हर वर्ष गर्मी में होने वाले जलसंकट के बाद भी भू-जल संरक्षण के लिए पुख्ता प्रयास होते नजर नहीं आ रहे है। बड़वानी जिले की औसत बारिश 30 इंच है। पिछले तीन साल का आंकड़ा देखा जाए तो औसत से कम ही बारिश हुई है। जिसके चलते हर साल भूजल स्तर कम होता जा रहा है।मानसून अपनी दस्तक जून माह के पहले पखवाड़े तक दे सकता है। वर्षा ऋतु से पहले बारिश के पानी को सहेजने के लिए ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। नए निर्माणों को छोड़ दिया जाए तो पुराने भवनों में वर्षा जल रोकने के कोईप्रयास नहीं किए गए।
गिनती के विभाग हुए सजग
शहर में 20 से ज्यादा शासकीय कार्यालय और 50 से ज्यादा सरकारी स्कूलें बनी हुई है। इनमें कहीं भी रुफ वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। करीब तीन साल पहले शिक्षा विभाग ने वर्षा जल सहेजने के लिए सोख्ता गड्ढे बनाने के निर्देश भी सभी स्कूलों को दिए थे। कुछ एक स्कूलों ने इसके लिए प्रयास किए और सोख्ता गड्ढे भी तैयार किए। बाद में इन पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया और ये सोख्ता गड्ढे भी कचरे, मिट्टी से भर गए। देखा जाए तो वर्तमान में पिछले तीन सालों में बने नए सरकारी भवनों में ही वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है। पुराने भवनों की बात की जाए तो कलेक्टोरेट, नगर पालिका, जिला पंचायत भवन में ही वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगा है।
1500 स्क्वेयर फीट से ज्यादा वाले भवनों में अनिवार्य
नगर पालिका द्वारा 1500 स्क्वेयर फीट से लेकर इससे ज्यादा जगह में निर्माण की अनुमति देने के साथ वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए राशि भी जमा कराई जाती है। नियमानुसार भवन निर्माण में वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरूरी होता है। निर्माणाधीन भवन की साइज के हिसाब से भवन मालिक रुपए भी जमा कराता है। निर्माण के बाद भवन मालिक को वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम की जांच कराकर एनओसी लेना होती है। जिसके बाद वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम के लिए जमा कराए रुपए वापस मिलते है। अब तक कोई भी भवन मालिक वॉटर हॉर्वेस्टिंग के लिए जमा कराए रुपए वापस लेने नहीं आया। नगर पालिका के पास वर्तमान में करीब 20 भवनों के निर्माण के दौरान जमा कराई गई 1.40 लाख रुपए की राशि जमा है।
इंजीनियर को मौका मुआयना करना चाहिए
नियमानुसार भवन निर्माण के दौरान इंजीनियर को निरीक्षण कर वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम को भी देखना चाहिए। लोगों में भी जागरुकता की कमी है। कायदे से सिस्टम लगाना चाहिए, इसमें कोई जगह खराब नहीं होती। हम इसे लेकर कार्रवाई करेंगे।
कुशलसिंह डुडवे, नगर पालिका सीएमओ
हमारी जानकारी में नहीं कितनेभवनों में लगा सिस्टम
पुराने कितने भवनों में वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगा है, हमारी जानकारी में नहीं है। वर्तमान में जो नए भवन हम बना रहे है, उनमें वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगा रहे हैं।
संकल्प गोलिया, कार्यपालन यंत्री पीआईयू