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मजदूरों का टूटा सब्र, तपती धूप में सड़क पर लेटकर किया चक्काजाम

locationबड़वानीPublished: Apr 11, 2019 10:31:43 am

मनरेगा की मजदूरी की मांग को लेकर 15 दिन से चल रहा धरना, जिम्मेदार अधिकारियों के नहीं आने पर हुए आक्रोशित, उतरे सड़कों पर, जागृत आदिवासी दलित संगठन नेताओं ने कहा इस बार आरपार की लड़ाई

Running on the demand of wages of MNREGA

Running on the demand of wages of MNREGA

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. मनरेगा में किए कार्य की मजदूरी के लिए पाटी क्षेत्र के मजदूर जागृत आदिवासी दलित संगठन के बैनर तले लंबे समय से संघर्षरत है। 15 दिन से लगातार जिला पंचायत में डेरा डालकर बैठे मजदूरों का सब्र बुधवार को कोई उचित जवाब नहीं मिलने से टूट गया। मजदूर सड़क पर आ गए और कड़कड़ाती धूप में तपती सड़क पर लेटकर ***** जाम कर दिया। करीब तीन घंटे चले ***** जाम के बाद कलेक्टर, एसपी मौके पर पहुंचे और संगठन नेताओं से चर्चा की। जिसके बाद मजदूरों ने ***** जाम खत्म किया। मजदूरों का कहना है कि जब तक मजदूरी नहीं मिलेगी, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
पाटी क्षेत्र के 40 गांवों के साढ़े पांच हजार मजदूरों की मनरेगा के तहत करीब 2.18 करोड़ की मजदूरी बाकी है। जिसे लेकर मजदूर पूर्व में भी जागृत आदिवासी दलित संगठन के बैनर तले जिला पंचायत का घेराव, जनपद पंचायत का घेराव तक कर चुके है। वहीं, 27 मार्च से संगठन कार्यकर्ताओं के साथ मजदूर जिला पंचायत में डेरा डालकर बैठे हुए है। मंगलवार को प्रशासन की ओर से कहा गया था कि सबके खातों में मजदूरी डाल दी गई है, लेकिन जब ऑनलाइन चेक किया गया तो मात्र 10 मजदूरों के खाते में रुपए आए थे। जिसके बाद मजदूरों में आक्रोश था। बुधवार सुबह से मजदूर किसी सक्षम अधिकारी को बात करने के लिए बुला रहे थे, लेकिन दोपहर 2 बजे तक कोई अधिकारी जिला पंचायत में चर्चा के लिए नहीं पहुंचा।
आक्रोश बढ़ा तो आ गए सड़क पर
अधिकारियों के नहीं आने से मजदूरों में लगातार आक्रोश बढ़ता गया। जिसके बाद संगठन प्रमुख नेत्री माधुरीबेन के साथ मजदूर जिला पंचायत से बाहर निकल पड़े। बाहर आकर मजदूर तपती सड़क पर लेट गए। करीब आधा घंटा सड़क पर लेटे रहने के बाद मजदूर धूप में ही बैठ गए। इस दौरान एसडीएम अभयसिंह ओहरिया और एसडीओपी अंतरसिंह जमरा मौके पर पहुंचे और संगठन नेताओं से चर्चा की। बातचीत का कोईहल नहीं निकलने से संगठन कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर को मौके पर बुलाने की मांग की। शाम चार बजे कलेक्टर अमित तोमर और एसपी वानचेंग डी भूटिया मौके पर पहुंचीं। कलेक्टर का भी ये ही जवाब था कि हमारे हाथ कुछ नहीं है। मजदूरी का रुपया ऊपर से खाते में आना है। हालांकि उन्होंने मजदूरों के एक प्रतिनिधि मंडल को चर्चाके लिए बुलाया। जिसके बाद चक्काजाम खत्म हुआ।
सिर्फआश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिल रहा
संगठन नेत्री माधुरी बेन ने बताया कि दिसंबर-जनवरी की मजदूरी का रुपया बाकी है। कईबार आश्वासन देने के बाद भी मजदूरों को रुपया नहीं मिल रहा है। पिछले 15 दिन से धरने पर बैठे हैं, लेकिन कोई जिम्मेदार अधिकारी बात करने नहीं आ रहा है। पहले कहा था कि 8 अप्रैल तक रुपया खाते में आ जाएगा, लेकिन 10 अप्रैल हो गई मजदूरों को राशि नहीं मिली। जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर की जिम्मेदारी है वो हमें जानकारी दे, लेकिन कोई सामने आने को तैयार ही नहीं है। जिसके बाद हमें सड़कों पर उतर कर संघर्ष करना पड़ा है। अभी भी सिर्फआश्वासन ही मिला है। मजदूरी कब तक मिलेगी, इसकी कोईजानकारी नहीं दी जा रही।
एसडीएम की कॉलर तक पकड़ चुके मजदूर
उल्लेखनीय है कि मनरेगा मजदूरी को लेकर 28 फरवरी को मजदूरों ने बड़ी रैली निकाली थी और जिला पंचायत का घेराव किया था। इस दौरान ज्ञापन देकर उन्होंने प्रधानमंत्री पर भी एफआईआर की मांग की थी। इसके बाद 27 मार्च को भी मजदूर जिला पंचायत पहुंचे थे। यहां मजदूरों की बात सुनने की बजाए अधिकारी कन्नी काटकर जिला पंचायत से निकल रहे थे। जिसके बाद मजदूरों ने जिला पंचायत सीईओ अंकित आस्थाना और एसडीएम अभयसिंह ओहरिया का घेराव भी किया था। इस दौरान महिलाओं ने एसडीएम की कॉलर तक पकड़ ली थी। तब से ही मजदूर जिला पंचायत में डेरा डालकर बैठे हुए है।
इतनी बार कर चुके आंदोलन
28 फरवरी को रैली निकालकर मजदूरों ने किया था जिला पंचायत का घेराव।
11 मार्च को जनपद पंचायत पाटी का दो दिन तक किया था घेराव।
27 मार्च को जिला पंचायत में शुरू किया धरना प्रदर्शन।
8 अप्रैल का समय दिया था प्रशासन ने मजदूरी मिलने का।
9 अप्रैल को सिर्फ10 मजदूरों के खाते में आई थी मजदूरी की राशि।
10 अप्रैल को सड़क पर उतरकर किया ***** जाम।

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