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नर्मदा की बाढ़ सिमटी, बाढ़ राहत में लगी नाविकों को नहीं मिल रही है राहत कार्य की राशि

locationबड़वानीPublished: Feb 17, 2020 10:20:53 am

Submitted by:

vishal yadav

बाढ राहत के दौरान प्रशासन ने डूब गांवों में लगाई थी 21 नावें, नाविकों के लाखों रुपए अटके, कई बार आवेदन देने के बाद नहीं मिल रही है राशि, गरीब नाविक हो रहे हैं परेशान

Sailors did not get relief work

Sailors did not get relief work

बड़वानी. सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से नर्मदा में आई डूब के बाद प्रशासन ने डूब गांव के लोगों को गांवों से निकालने के लिए नाविकों की नावें अटैच की। इन नावों के सहारे कई गांवों में राहत कार्य भी चलाए और डूब प्रभावितों को सुरक्षित निकाला भी गया। नाविकों से प्रशासन ने राहत कार्य का काम तो करा लिया, लेकिन अब इन्हें राशि नहीं दी जा रही है। इससे नाविकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अटैच की हुई नावों की राशि के लिए कई बार नाविकों ने एनवीडीएस, एसडीएम और कलेक्टर को भी आवेदन दिए। उसके बाद भी अब तक इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नाविकों की मानें तो बाढ़ के दौरान उनसे काम तो पूरा लिया। अब कई महीनों की राशि प्रशासन ने रोक रखी है। इससे उन्हें घर खर्च चलाने में भी परेशानियों हो रही है।
इन गांवों में लगी थी 21 नावें
डूब आने के बाद प्रशासन ने विभिन्न गांवों में बाढ़ राहत कार्य को लेकर 21 नावें अटैच की थी। इनमें मोरकट्टा में 1, बिजासन में 2, जांगरवा में 2, चिपाखेड़ी में 2, राजघाट में 5, छोटा बड़दा में 4, लौहारा में 2, ब्राह्मणगांव में 1, आंवली में और सेगावां में 1 नाव अटैच की गई थी। इन नावों के सहारे ही इन डूब गांवों में लोगों को बाहर निकालने का काम किया गया था। वहीं टापू बने खेतों तक किसानों और मजदूरों को ले जाने का कार्य भी इन नावों से ही किया गया था। एनवीडीए और प्रशासन ने नाविकों से काम तो पूरा लिया, लेकिन सिर्फ दो माह की राशि ही इन्हें अब तक दी गई है। उसके बाद प्रशासन से इन्हें राशि नहीं मिली है। बाढ़ राहत लगे बिजासन के नावि श्याम केवट और राजघाट के नाविक सुनील केवट ने बताया कि बाढ़ आने के दौरान लगी नावों की सितंबर और अक्टूबर माह की राशि ही अभी मिली है। उसके बाद से राशि नहीं दी गई।
हर महीनें के अतिरिक्त मिलना थी घंटे के हिसाब से राशि
बाढ़ राहत कार्य में लगे नाविकों ने बताया कि प्रशासन ने प्रति माह 23 हजार 400 रुपए के हिसाब से एक नाव को राशि देने की बात कही थी। वहीं दस घंटे के अतिरिक्त नाव चलने पर प्रति घंटा 230 रुपए के हिसाब से नावों के लिए राशि देना तय किया था। अभी सिर्फ दो महीनों की राशि ही नाविकों को मिली है। वहीं उसके बाद से राशि रोकी हुई। नाविकों ने बताया कि घंटे के हिसाब से जो राशि मिलना है, उसके बारे में तो कोई बात ही नहीं कर रहा है। प्रति माह के हिसाब से जो राशि दी जाना थी, अभी तो वो ही रोक रखी है। इस समस्या को लेकर जब भी नाविक प्रशासनिक अधिकारियों से मिले तो उन्हें फंड नहीं होने की बात कर चलता कर दिया जाता है।
बाढ़ के दौरान नहीं चला काम
राजघाट के नाविकों ने बताया कि बाढ़ के दौरान लोगों को नावों में घुमाने पर प्रशासन ने रोक लगा रखी थी। उस दौरान नाविकों ने सिर्फ बाढ़ राहत का काम ही किया। इनकी मानें तो लोगों को घुमाने पर उनकी जो आवक होती थी, बाढ़ के दौरान वह पूरी तरह बंद हो गई। ऐसे में उनके परिवार को पालने में भी उन्हें कई कठिनाईयों से गुजरना पड़ा। अब बाढ़ का पानी कम हुआ तो नाविक लोगों को नाव से घुमा पा रहे हैं। इतने दिनों नावें सिर्फ बाढ़ राहत में लगी होने से नाविकों की कमाई पर भी प्रभाव पड़ा है।
वर्जन…
हमनें एनवीडीए से रुपयों की डिमांड की है। जितना बजट था, उतनी राशि नाविकों को दी है। बजट आने के बाद राशि दी जाएगी।
-अमित तोमर, कलेक्टर बड़वानी
मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं थी। ये बात आपसे पता चल रही है। नाविकों को राशि क्यों नहीं मिली, उसे दिखवाते हैं। नाविकों को जल्द राशि दिलवाले का प्रयास करेंगे।
-सुरेंद्रसिंह बघेल, एनवीडीए मंत्री मप्र शासन

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