करीब एक वर्ष पहले ही गुजरात की कंपनी को जिले की नदियों में शासन द्वारा निश्चित क्षेत्रों से खदानों से काली रेत खनन कर बेचने का अधिकार मिल चुका था, लेकिन वैधानिक प्रक्रिया पूरी नहीं होने से रेत खनन अवैध हो रहा था। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही थी। पिछले वर्ष 11 दिसंबर को टेंडर खोले गए। जिले की 24 रेत खदानों से खनन की अनुमति दी जा चुकी है, लेकिन दस्तावेजों सहित शासकीय प्रक्रिया में समय लग रहा था। संभव है कि अगले माह से जिला प्रशासन रेत की रॉयल्टी जारी कर खदानें ठेकेदार को सौंप देगा। बड़वानी जिले में कुछ स्थानों पर रेत जांच चौकी स्थापित होने की सूचना है। बोर्ड लगाकर रेत के वाहनों पर नजर रखी जा रही है।
खनिज विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में कुल 24 रेत खदानें है, जो कुल 7 नदियों पर स्थित है। जब भी इन सात नदियों में रेत का खनन होगा तय जगह पर है। खनन करना सुनिश्चित किया जाएगा इसके अतिरिक्त किया गया। खनन अवैध माना जाएगा। जिस पर खनिज विभाग कार्रवाई करेगा। जिले के गोई नदी, सोसाड़ नदी, सुसरी नदी, गोमी नदी, डेब नदी, नर्मदा नदी, रूपा नदी में कुल 117 हेक्टेयर क्षेत्र में काली रेत का खनन किया जा सकता है। विभाग द्वारा इन नदियों में चिह्नित किया जाए। क्षेत्रों के अलावा यदि रेत खनन होता है तो इसे अवैध माना जाएगा। जिस ठेकेदार ने पूरे जिले में रेत खनन का ठेका लिया है।
तय स्थानों से खनन कराना चुनौती
सूत्रों से बताया क बड़वानी जिला अनेक नदियों के चलते खनिज संपदा से समृद्ध है। यहां की खनिज संपदा पर हमेशा से ही दबंगों की नजर रही है। नर्मदा तटों पर अवैध खनन का मामला हो या छोटी नदियों से रेत की निकासी हो हर दबंद सक्रिय रहते है। रेत खनन पर अवैध वसूली का खेल भी पुराना है। जिले की नदियों में चिह्नित 24 खदानों से रेत का खनन कितना पारदर्शी होगा ये समय ही बताएगा। खनिज विभाग सहित जिला प्रशासन के लिए तय स्थानों के अलावा अन्य स्थानों से रेत खनन रोकना चुनौती हो सकता है।
24 रेत खदानों पर दबंगों की नजर
बड़वानी जिले में वर्तमान में 24 खदानें चिह्नित की गई है। जहां से रेत खनन को अनुमति मिली है। शासन को रॉयल्टी देने के बाद ठेकेदार इन खदानों से काली रेत का खनन कर उसे खुले बाजार में बेचने का अधिकारी हो चुका है। इस बार जिले में शासन द्वारा सिर्फ एक ही ठेकेदार को सभी 24 खदानों का ठेका दिया गया। इस कवायद का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि शासन को सिर्फ एक ही ठेकेदार से जिले की सभी खदानों की रायल्टी मिलेगी। वहीं ठेकेदार को भी फायदा होगा। एक बार ठेका नीलाम होने के बाद यदि ठेकेदार चाहे तो वह सभी 24 रेत खदानों पर अपने प्रतिनिधि बन सकता है। ठेकेदार के नियुक्त प्रतिनिधि काली रेत का खनन करेंगे और रॉयल्टी का हिसाब ठेकेदार को रखना होगा। सेंधवा सहित जिले के कई दबंगों की काली रेत पर नजर है। नगर सहित जिले में रेत सप्लाय करने वालों भविष्य में राहत मिलेगी। कभी पुलिस तो कभी खनिज विभाग के अधिकारी रेत व्यापारियों के टै्रक्टर पकड़ लेते थे। इससे आर्थिक नुकसान होता ही है।
ये है खदान जहां रेत खनन की अनुमति मिली है
बड़वानी जिले में दोंदवाड़ा, मुजला, अंजड़ 1, 2, 3, कोयडिय़ा, पाटी, चिपयाखेड़ी, सेमली, जाहूर, निसरपुर, पानसेमल, मंडवाड़ा, राहेडकोट, मेहतगांव, गोई, मोरगुन, पाडला, पलसूद नवीन, खजूरी नवीन, एकलबारा नवीन, भूलगांव डेब, बकवाड़ी आदि क्षेत्र में खता नहीं स्थित है। यहीं से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में काली रेत का सप्लाई किया जाता है। इसकी नीलामी खनिज विभाग के द्वारा की जाती है।