scriptबिना अमले, अधिकारियों के कैसे होगा 15 हजार डूब प्रभावितों का पुनर्वास | Sardar Sarovar Dam, sinking affected, rehabilitation issue | Patrika News

बिना अमले, अधिकारियों के कैसे होगा 15 हजार डूब प्रभावितों का पुनर्वास

locationबड़वानीPublished: Jul 04, 2019 11:40:50 am

पुनर्वास के मुद्दे पर गंभीर नहीं सरकार, एनवीडीए मेें 10 साल से कई पद रिक्त, भूअर्जन अधिकारी, पुनर्वास अधिकारी, पटवारियों के रिक्त पदों की नहीं हुई पूर्ति, नबआं का आरोप, सरकार नहीं चाहती की डूब प्रभावितों का पुनर्वास हो

Sardar Sarovar Dam, sinking affected, rehabilitation issue

Sardar Sarovar Dam, sinking affected, rehabilitation issue

बड़वानी. सरकार बदलने के बाद एक बार फिर सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों के पुनर्वास का मुद्दा गरमाने लगा है। डूब प्रभावितों ने बारिश में भी मूल गांवों से बिना मुआवजा, उचित पुनर्वास के बाहर निकलने से इंकार कर दिया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन भी डूब प्रभावितों के हक में आंदोलन की राह पर है। इसके बावजूद भी डूब और पुनर्वास के मुद्दे पर एनवीडीए गंभीर नहीं दिख रहा है। पुनर्वास की जिम्मेदारी वाला विभाग ही बिना अमले के नजर आ रहा है। एनवीडीए में पुनर्वास, भूअर्जन अधिकारी सहित 40 से ज्यादा मैदानी अमले की कमी है। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये है कि सरकार और प्रशासन किस तरह से डूब प्रभावितों का पुनर्वास कराएगी।
डूब प्रभावितों के पुनर्वास और बसावटों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एनवीडीए मंत्री सुरेंद्रसिंह बघेल और एनवीडीए आयुक्त पवनकुमार शर्मा ने प्रशासन और एनवीडीए को आदेश दे दिए है। एनवीडीए पुनर्वास के पास मैदानी अमला ही नहीं है। वर्ष 2010 से एनवीडीए में दो भूअर्जन अधिकारी, दो पुनर्वास अधिकारी, 20 राजस्व निरीक्षक और 19 पटवारियों के पद रिक्त पड़े हुए है। कुछ कर्मचारी संविदा, कुछ दैनिक वेतनभोगी पर तो कुछ अटैचमेंट में यहां काम कर रहे है। जिस विभाग पर बड़वानी के 65 डूब गांवों के 15 हजार डूब प्रभावितों का जिम्मा है, वहां कर्मचारियों की कमी से किस तरह पुनर्वास कराया जाएगा।
धरातल पर स्थिति ही नहीं देख रहे
नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुकेश भगोरिया, देवराम कनेरा ने बताया कि एनवीडीए में कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी आज से नहीं है। पिछले 9 साल से ये सारे पद रिक्त पड़े है। प्रशासन भूअर्जन और पुनर्वास अधिकारियों का प्रभार डिप्टी कलेक्टरों को दे देता है, जो साल-डेढ़ साल में चले जाते है। पटवारी, राजस्व निरीक्षक नहीं होने से डूब गांवों में, पुनर्वास स्थलों पर जाकर कोई हकीकत जानने की कोशिश भी नहीं करता कि वहां क्या परेशानी हो रही है। मूल गांवों में 15 हजार से ज्यादा प्रभावित अभी भी डटे हुए हैं, जिन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला है। फर्जी लोगों को पूर्व के अधिकारियों, कर्मचारियों ने मिलीभगत से प्लाट, मुआवजे का लाभ दे दिया। जिसका खामियाजा डूब प्रभावितों को उठाना पड़ रहा है।
सिर पर डूब कैसे कराएंगे पुनर्वास
नबआं के राहुल यादव, पेमा भीलाला ने बताया कि वर्तमान में बारिश का दौर चल रहा है। नर्मदा का जलस्तर भी बढऩे लगा है। बारिश के शुरुआती दौर में ही नर्मदा का जलस्तर 120 मीटर तक पहुंच गया है। 127 मीटर पर जिले में डूब आरंभ हो जाती है। कलेक्टर स्वयं डूब गांवों में जाकर देख चुके हैं कि वहां अभी भी लोग बसे हुए है। सरकार और प्रशासन की मंशा नहीं दिख रही कि जल्द से जल्द डूब प्रभावितों का पुनर्वास हो। बिना अमले के प्रशासन कैसे पुनर्वास करा पाएगा। प्रशासन को चाहिए कि डूब गांवों के प्रभावितों को सुप्रीम कोर्ट, जीआरए, नर्मदा ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार मुआवजा देकर पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं देकर बसाया जाए।
दिक्कतें तो आती हैं, करवा रहे काम
अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी के कारण दिक्कतें तो आती हैं। अन्य विभागों के कर्मचारियों और राजस्व के पटवारियों से काम कराया जा रहा है। जिसके कारण कई बार काम में देरी हो जाती है। पद पूर्ति के लिए शासन को लिखा जा चुका है।
जानकी यादव, भूअर्जन अधिकारी एनवीडीए
कराएंगे सभी का उचित पुनर्वास
एनवीडीए में जो पद खाली हैं, उनकी पूर्ति के लिए प्रयास किए जा रहे है। कोर्ट के निर्देशानुसार ही सभी का उचित पुनर्वास कराया जाएगा। प्रशासन अपनी ओर से डूब प्रभावितों के पुनर्वास के लिए बेहतर से बेहतर प्रयास कर रहा है।
पवन कुमार शर्मा, आयुक्त एनवीडीए

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो