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जागी उम्मीदें : बदलेगी शहीद भीमा नायक स्मारक की तस्वीर

locationबड़वानीPublished: Jul 18, 2019 10:44:25 am

संस्कृति, चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष मंत्री ने की घोषणा होगा स्मारक का उन्नयन, बनने के बाद से ही उपेक्षित था धाबाबावड़ी स्थित शहीद भीमा नायक स्मारक, जनजातीय कार्य विभाग के पास था देखरेख का जिम्मा, ढाई साल में बदहाल हो गया स्मारक

Shaheed Bhima Nayak Memorial at Dhababawadi

Shaheed Bhima Nayak Memorial at Dhababawadi

बड़वानी. निमाड़ के क्रांतिकारी वीर शहीद भीमा नायक के स्मारक की अब तस्वीर बदलने वाली है। प्रदेश की संस्कृति, चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने संस्कृति विभाग द्वारा मांगे गए बजट के अनुमोदन में शहीदों के स्मारकों के उन्नयन और विकास की घोषणा की है। करीब ढाई साल पहले जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर शहीद भीमा नायक की गढ़ी में बना शहीद स्मारक बदहाल अवस्था में पहुंच चुका है। बनने के कुछ दिन बाद ही ये स्मारक उपेक्षित पड़ा हुआ था। जिसके चलते यहां पर्यटक भी आना बंद हो गए थे। अब संस्कृति मंत्री की पहल से यहां के हालात बदलने की उम्मीद जागी हैं।
तत्कालीन भाजपा सरकार के समय वर्ष 2017 में निमाड़ के आदिवासी क्रांतिकारी शहीद भीमा नायक का भव्य स्मारक उनकी गढ़ी धाबाबावड़ी के पास मुख्य मार्ग पर बनाया गया था। 2.35 करोड़ की लागत से बने इस स्मारक का लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और कई मंत्रियों की मौजूदगी में जोरशोर से किया गया था। लोकार्पण के बाद इस स्मारक की किसी ने सुध ही नहीं ली। यहां तक कि इसकी बिजली और नल कनेक्शन भी बंद हो गए। शुरुआती दौर में पहुंचने वाले पर्यटकों को यहां हमेशा ही परेशानी का सामना करना पड़ा। जिसके बाद यहां पर्यटकों का आना बंद हो गया। जिम्मेदार अधिकारियों ने भी स्मारक की तरफ देखना बंद कर दिया। दिन में सिर्फ एक चौकीदार के जिम्मे इसकी सुरक्षा व्यवस्था छोड़ दी गई। रात में यहां देखने वाला भी कोई नहीं रहा।
हर तरफ नजर आती वीरानी
इस स्मारक को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए प्रशासन द्वारा यहां लॉन भी बनवाया गया था। इस लॉन में करीब 5 लाख रुपए लागत से विदेशी घास लगवाई गई थी। पानी के अभाव में इस घास के साथ ही यहां लगाए गए पेड़ पौधे भी सूख चुके हैं। यहां बनाया गया शौचालय, सुविधाघर भी पानी के अभाव में बनने के बाद से ही बंद पड़ा हुआ है। बाहर से स्मारक के अंदर झांकने पर चारों ओर वीरानी नजर आती है। पर्यटको का आना तो दूर, आसपास के स्थानीय लोग भी यहां नहीं आते। कभी कभार स्कूल या कॉलेज के विद्यार्थियों को जरूर शिक्षक इतिहास की जानकारी के लिए लाते हैं, लेकिन यहां आने के बाद उन्हें भी निराशा ही होती है।
विभाग ने कभी नहीं ली इसकी सुध
संस्कृति विभाग द्वारा बनवाए गए इस स्मारक की देखरेख का जिम्मा प्रशासन ने जनजातीय कार्य विभाग को सौंपा गया था। सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग ने इस स्मारक की ओर ध्यान ही नहीं दिया। हमेशा स्टाफ की कमी होने की बात कहकर विभाग अपना पल्ला झाड़ता रहा। कोई देखरेख नहीं होने से करोड़ों की लागत से बना ये स्मारक सिर्फ एक इमारत बनकर रह गया। जिसे दूर से देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि ये निमाड़ के वीर क्रांतिकारी शहीद भीमा नायक का स्मारक है।

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