scriptगिनती के डॉक्टरों के भरोसे चार जिलों के मरीजों का स्वास्थ्य | Shortage of doctors in Barwani Hospital | Patrika News

गिनती के डॉक्टरों के भरोसे चार जिलों के मरीजों का स्वास्थ्य

locationबड़वानीPublished: Oct 08, 2019 10:40:40 am

विशेषज्ञों सहित कई पद खाली, पैथालॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं, नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ चतुर्थ श्रेणी के भी कई पद खाली, जिला अस्पताल में भीड़ बढऩे पर मरीजों की होती मुसीबत, बाहर कराना पड़ती जांच

Shortage of doctors in Barwani Hospital

Shortage of doctors in Barwani Hospital

बड़वानी. जिला बनने से पहले ही बड़वानी का अस्पताल खरगोन का जिला अस्पताल कहलाता था। बड़वानी के जिला बनने के बाद भी खरगोन के मरीज बड़वानी जिला अस्पताल ही इलाज के लिए आते थे। साथ ही धार, अलीराजपुर के मरीज भी बड़वानी जिला अस्पताल में ही इलाज कराना पसंद करते थे। आज भी जिला अस्पताल चार जिलों का अस्पताल कहलाता है, लेकिन आने वाले मरीजों की संख्या के अनुसार यहां गिनती के ही डॉक्टर कार्यरत है। विशेषज्ञ सहित डॉक्टरों की कमी के साथ ही यहां पेरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ, चतुर्थ श्रेणी स्टाफ की भी भारी कमी है। जिसके चलते अकसर मरीजों की परेशानी होती रहती है।
जिला अस्पताल में चार जिलों से रोजाना 500 से 750 मरीज इलाज के लिए पहुंचते है। जिसमें महिला अस्पताल आने वाली गर्भवती महिलाएं भी शामिल है। इसमें से रोजाना 100 से 150 भर्ती भी किए जाते है। जिला अस्पताल में 71 पद डॉक्टरों के स्वीकृत है। जिसमें से 54 विशेषज्ञ और 27 मेडिकल ऑफिसर है। इसमें से 41 डॉक्टर ही जिला अस्पताल में पदस्थ है। जिसमें तीन डॉक्टर तो बांड वाले जो स्वीकृत पदों में शामिल नहीं है। जिला अस्पताल में कुल 33 डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी यहां अकसर खलती रहती है। हाल ही में तीन और बांडेड डॉक्टरों की नियुक्ति जरूर हुई है, लेकिन स्थिति ज्यादा सुधरती नहीं दिख रही।
सोनोग्राफी, ब्लड बैंक में सबसे ज्यादा परेशानी
जिला अस्पताल में लंबे समय से पैथालॉजिस्ट और रेडियोलॉजिस्ट के पद खाली पड़े हुए है। यहां पैथॉलाजिस्ट के दो पद स्वीकृत है और दोनों ही खाली है। वहीं, रेडियोलॉजिस्ट के दो स्वीकृत पदों पर भी रिक्त स्थान बना हुआ है। पैथालॉजिस्ट और रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते सबसे ज्यादा परेशानी लैब जांच, ब्लड बैंक में हो रही है। हाल ही में एक बांडेड पैथालॉजिस्ट की नियुक्ति जरूर हुई है। जबकि रेडियोलॉजिस्ट में अभी भी स्थिति जस की तस है। जिसके चलते एक्स-रे और सोनोग्राफी का सारा भार तकनीशियनों पर ही बना हुआ है। इसमें भी रेडियोग्राफर के 5 पदों पर तीन की ही नियुक्ति है। जिसके चलते कई बार तो सोनोग्राफी के लिए मरीजों को निजी सेंटर पर जाना पड़ता है।
स्टाफ के भी कुछ ऐसे ही हालात
डॉक्टरों की कमी के साथ जिला अस्पतला में पेरामेडिकल, नर्सिंग स्टाफ और कार्यालयीन स्टाफ की भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की बात करें तो कुल 303 पदों में से 96 पद रिक्त है। इसमें सबसे ज्यादा कमी नर्सिंग स्टाफ की है। मैट्रन के कुल सात पदों में से 3, नर्सिंग सिस्टर के 8 में तीन, स्टाफ नर्स के 149 में से 112 पर ही नर्सिंग स्टाफ है, कुल 46 पद नर्सिंग के खाली पड़े हुए है। पुरुष नर्सिंग स्टाफ की बात की जाए तो 14 पुरुष स्टाफ नर्स के पूरे पद खाली पड़े हुए है। वहीं, चतुर्थ श्रेणी के नियमित 104 पदों में से सिर्फ 77 पर ही कर्मचारी पदस्थ है। 27 पद खाली पड़े हैं। संविदा वेतनमान के 30 वार्डबाय के पदों पर एक की भी नियुक्ति नहीं है।
ट्रामा सेंटर बना, नहीं मिला स्टाफ
चार साल पहले जिला अस्पताल को ट्रामा सेंटर की सौगात मिली थी। तब उम्मीद लगाई जा रही थी कि यहां आने वाले गंभीर घायलों को बेहतर इलाज मिलेगा और रेफर नहीं करना पड़ेगा। सरकार ने ट्रामा सेंटर तो बना दिया, लेकिन स्टाफ नहीं उपलब्ध कराया। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, पेरामेडिकल स्टाफ से ही यहां काम चलाया जा रहा है। ट्र्रामा में एक पद मेडिसीन विशेषज्ञ, 2 पद सर्जन, 2 पद निश्चेतना (ऐनेस्थिसिया) विशेषज्ञ, 2 पद आर्थोपेडिक, 6 पद मेडिकल ऑफिसर के स्वीकृत है। वहीं, 4 ओटी तकनीशियन, दो पद रेडियोग्राफर, चार ड्रेसर, 25 स्टाफ नर्स के स्वीकृत है, जिन पर जिला अस्पताल का स्टाफ काम कर रहा है।
शासन को कई बार लिख चुके
शासन को कई बार पत्र व्यवहार कर लिख चुके है कि यहां डॉक्टर और स्टाफ की कमी है। शासन के पास डॉक्टरों की कमी होने से पदस्थी नहीं हो पा रही है। हाल ही में तीन बांडेड डॉक्टर आए हैं। डॉक्टरों की कमी के कारण सबसे ज्यादा परेशानी ब्लड बैंक, सोनोग्राफी, एक्स-रे को लेकर हो रही है।
-डॉ. आरसी चोयल, सिविल सर्जन

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