scriptघर खोया, खेत खोया, नहीं बन पाए अपनी जमीन के मालिक | The affected do not get their land rights | Patrika News

घर खोया, खेत खोया, नहीं बन पाए अपनी जमीन के मालिक

locationबड़वानीPublished: Feb 18, 2019 10:42:39 am

18 साल से डूब प्रभावितों को नहीं मिला अपनी जमीन का हक, आज भी घर की रजिस्ट्री के लिए हजारों विस्थापित हो रहे परेशान, जिस जमीन पर मकान बना उसका मालिकाना हक एनवीडीए का

The affected do not get their rights

The affected do not get their rights

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. सरदार सरोवर बांध के लिए बड़वानी के डूब प्रभावितों ने अपना घर खोया, जमीन खोई, खेत खो दिए, लेकिन इसके बदले आज तक अपनी जमीन के मालिक नहीं बन पाए। डूब प्रभावितों को एनवीडीए ने जमीन और घर प्लाट तो दे दिए, लेकिन उसका मालिकाना हक आज तक नहीं दिया है। आज भी डूब प्रभावित पुनर्वास स्थलों पर पट्टे की जमीन पर ही रह रहे हैं। पिछले 18 साल से डूब प्रभावितों को अपने घर, जमीन की रजिस्ट्री का इंतजार है। डूब प्रभावितों की इस बेबसी का फायदा एनवीडीए के दलालों ने भी खूब उठाया और कईयों को फर्जीरजिस्ट्री के फेर में फंसा दिया।
सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों के लिए एनवीडीए द्वारा बड़वानी जिले में 39 पुनर्वास स्थलों का निर्माण किया गया। 10139 विस्थापितों को आवासीय भूखंड एनवीडीए द्वारा आवंटित पत्र, पट्टा दिया गया है, लेकिन आज तक विस्थापितों को भूस्वामित्व का दर्जा नहीं दिया गया। एनवीडीए के आदेश 1 अगस्त 2017 के अनुसार सभी आवासीय भूखंड का भूस्वामित्व कर रजिस्ट्री कर अधिकार दिया जाएगा, लेकिन आज तक इस आदेश का पालन एनवीडीए द्वारा नहीं किया गया है। शिकायत निवारण प्राधिकरण द्वारा 28 नवंबर 2017 को 31 मार्च 2018 तक सभी विस्थापितों को भूस्वामित्व का अधिकार दिया जाएगा, लेकिन आज तक एनवीडीए द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया गया। भवती जैसे विस्थापितों को वर्ष 1993 में ही एनवीडीए द्वारा आवासीय भूखंड के पट्टे आवंटित किए गए है, लेकिन आज तक भूस्वामित्व नहीं दिया गया है।
हजारों परिवारों को भूखंड मिलना बाकी
नबआं के राहुल यादव ने बताया कि बड़वानी जिले में वर्ष 1993 से लगातार 2017 तक एनवीडीए द्वारा आवासीय भूखंड आवंटित किए है, लेकिन आज तक विस्थापितों को आवासीय भूखंड का भूस्वामित्व का दर्जा आज तक नहीं दिया गया है। आज भी बड़वानी जिले के विस्थापितों को हजारों परिवारों को आवासीय भूखंड मिलना भी बाकी है। इन विस्थापितों को एनवीडीए द्वारा आवासीय भूखंड आवंटित तक नहीं किया गया है। एनवीडीए द्वारा नर्मदा ट्रिब्यूनल अवार्ड, सर्वोच्च अदालत के फैसले वर्ष 2000, 2005 व 2017 राज्य की पुनर्वास नीति, नर्मदा घाटी विकास विभाग के आदेशों का पालन नहीं व शिकायत निवारण प्राधिकरण के आदेशों का पालन आज तक उल्लंघन जारी है।
झा आयोग ने भी माना था हुई है फर्जीरजिस्ट्रियां
अपनी जमीन के स्वामित्व के इंतजार में बैठे डूब प्रभावितों का फायदा एनवीडीए और जीआरए के दलालो ने भी खूब उठाया। भू स्वामित्व दिलाने के नाम पर दलालों ने जमकर फर्जीरजिस्ट्रियां की और एक प्लाट कईयों के नाम कर दिए। सुप्रीम कोर्टद्वारा गठित झा आयोग ने भी माना था कि वर्ष 05-06 में 1589 फर्जीरजिस्ट्री हुई थी। इसमें कुछ दलालों पर प्रकरण भी दर्ज हुए थे। वहीं, 2014 में छोटा बड़दा में 18 फर्जीरजिस्ट्रियां उप पंजीयक ने अपनी सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले ही कर दी थी। शिकायत के बाद तत्कालीन कलेक्टर अजयसिंह गंगवार ने इस मामले में पंजीयक को जांच के आदेश भी दिए थे। उनके तबादले के बाद ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अभी भी लोग फर्जीरजिस्ट्रियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो