scriptयहां ठिठुरती ठंड में रुदन भरी गुजरती है रात | The cold night passes cold in the cold | Patrika News

यहां ठिठुरती ठंड में रुदन भरी गुजरती है रात

locationबड़वानीPublished: Dec 03, 2018 10:59:27 am

पीएम रूम के बाहर दु:ख का पहाड़ सीने पर लिए सोते हैं लोग, अपने जिगर के टुकड़ों को खुले आसमान के नीचे लेकर सोती है असहाय मां, रैन बसैरा होने के बाद भी नहीं मिल रहा है लोगों को फायदा

The cold night passes cold in the cold

The cold night passes cold in the cold

ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी (वीजेंद्रसिंह परमार). ठंड की ठिठुरन के बीच दु:खों का पहाड़ सीने पर लिए पीएम रूम के बाहर सोने को मजबूर हैं आदिवासी। ठंड की कड़कड़ाहट के बीच इनकी रुदन भरी रातें भी जिम्मेदारों का दिल नहीं पसीजा पा रही है। कई सालों से यहां ऐसा ही चल रहा है, लेकिन मानवीय संवेदना किसी की नहीं जागी। आदिवासी अंचल के भोलेभाले लोग अपनों के खोने का गम लिए ठंड के दौरान पीएम रूम के बाहर ऐसे ही पड़े रहते हैं। नियती के मारे ये लोग अपनों के खोने का दर्द लिए शव के पीएम होने की बाट सुबह होने तक जोहते रहते हैं। वहीं एकक मां अपने दो जिगर के टुकड़ों को खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है। दुधमुंहे बच्चों को साथ लिए जिगलीबाई नामक ये महिला शहर की सड़कों पर भीख मांगकर अपना गुजारा करती है। ठंड के इस मौसम में इनकी रातें कैसे गुजरती होंगी ये सोचकर ही दिल सिहर उठता है। इतना सब होने के बाद भी इन असहाय लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शनिवार देर रात दु:खों का दंश लिए रात गुजार रहे इन बेसहारा लोगों की तकलीफों को पूरा घटनाक्रम अपने अपने कैमरे में कैद किया।
खुले आसमान के नीचे रातें काटना मजबूरी
ठंड के दिनों में ऐसे ही कई लोग खुले आसमान के नीचे ठिठुरते हुए रात काटने को मजबूर हैं। महिला अस्पताल, जिला अस्पताल, बस स्टैंड, कोर्ट चौराहा पर कई लोग फुटपाथ और ओटलों पर सोकर ठंड भरी राते गुजारते रोज देखे जा सकते हैं। इनके लिए न तो अलाव की कोई व्यवस्था है और ना ही रहने का कोई ठिकाना।
लाखों रुपए खर्च कर बनाया रैन बसेरा किसी काम का नहीं
ऐसे असहाय और मजबूर लोगों के लिए शासन स्तर से शहर में सर्वसुविधा युक्त रैन बसेरा बनाया गया है। ये रैन बसेरा खाली पड़ा रहता है और लोग सड़कों पर रात काटने को मजबूर हैं। जिम्मेदारों ने यहां लाखों रुपए बर्बाद तो कर दिए, लेकिन इसमें कोई रहने आता है या नहीं, इससे इन्हें कोई मतलब नहीं है। ये लोग रैन बसेरा बनाने के बाद अपने कर्तव्यों से मुक्त हो गए हैं। रैन बसेरा की जानकारी लोगों को नहीं होने के कारण उन्हें रातभर फुटपाथों, सड़क किनारे और ओटलों पर रात गुजारना पड़ रही है।
वर्जन…
ऐसे लोगों के लिए रैन बसेरा बना हुआ है। व्यापक प्रचार नहीं होने के कारण वहां की जानकारी लोगों को नहीं है। हम इसके लिए प्रचार-प्रसार चालू करवा रहे हैं। लोगों को समस्या न हो इसलिए जल्द ही अलाव की व्यवस्था भी की जाएगी।
-कुशलसिंह डोडवे, सीएमओ नपा बड़वानी

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