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मनरेगा का भुगतान नहीं होने से आक्रोशित महिलाओं ने पकड़ी एसडीएम की कॉलर

locationबड़वानीPublished: Mar 28, 2019 09:57:50 am

संगठन की महिलाओं ने की झूमा-झटकी, पुलिस ने किया बीच-बचाव, मूक दर्शक बने बैठे रहे अधिकारी, कर्मचारी, एसडीएम ने किया घटना से इनकार, जागृत आदिवासी दलित संगठन ने सात घंटे तक किया जिपं का घेराव

The women of the organization shouted slogans

The women of the organization shouted slogans

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. मनरेगा में लंबे समय से लंबित मजदूरी के भुगतान को लेकर आदिवासी मजदूरों का आक्रोश बुधवार को भड़क उठा। जागृत आदिवासी दलित संगठन के बैनर तले पाटी विकासखंड से 14 गांवों के मजदूर प्रदर्शन के लिए जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे। यहां आए सीईओ जिपं अंकित आस्थाना और एसडीएम अभयसिंह ओहरिया और संगठन कार्यकर्ताओं के बीच विवाद की स्थिति बन गई।बात इतनी बढ़ गईकि महिला कार्यकर्ताओं के हाथ एसडीएम की कॉलर तक पहुंच गए। इस दौरान अधिकारियों से झूमा झटकी भी हुई।पुलिस ने समझाइश देकर कार्यकर्ताओं को अधिकारियों से दूर किया। देर शाम तक भी संगठन कार्यकर्ता जिपं परिसर में डटे रहे।
जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता दोपहर 1 बजे जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे थे। हर बार की तरह कार्यालय परिसर में बैठने की बजाए संगठन कार्यकर्ता कार्यालय के अंदर प्रवेश कर गए और डेरा डालकर बैठ गए। कार्यकर्ताओं ने संगठन और अन्य नारे लिखे बैनर भी मुख्य गेट और कार्यालय के अंदर बांध दिए। संगठन के वालसिंह, हरसिंह जमरे, तुकाराम अलावा ने केंद्र सरकार के साथ ही स्थानीय अधिकारियों को भी आड़े हाथ लिया। कार्यकर्ताओं को कहना था कि सरकार मनरेगा का बजट नहीं बढ़ा रहीं है। मजदूरी भुगतान के लिए सरकार के पास रुपए नहीं है। तीन हजार करोड़ की मूर्ति बनवा रहे हैं, बुलेट ट्रेन चला रहे है, लेकिन आदिवासी मजदूरों को देने के लिए रुपए नहीं है। काम नहीं मिलने से मजदूर पलायन कर रहे है। इस दौरान जिपं अधिकारी और कर्मचारी मूक दर्शक बनकर बैठे नजर आए।
हुई झूमा-झटकी, अधिकारियों ने किया इनकार
संगठन कार्यकर्ताओं के धरना-प्रदर्शन के दौरान जिपं सीईओ और एसडीएम वहां पहुंचे।अधिकारियों का कहना था कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है, मजदूरी का भुगतान ऊपर से होना है। वहीं, संगठन कार्यकर्ताओं का कहना था कि आज मजदूरी लेकर ही जाएंगे या फिर हमें जेल में डलवा दो। चर्चा के दौरान अधिकारियों के मजदूरी भुगतान का मना करने से कार्यकर्ताओं का आक्रोश भड़क उठा। इस दौरान दो महिलाओं ने एसडीएम की कॉलर भी पकड़ ली और झूमा-झटकी भी की। हालांकि बाद में एसडीएम ने इस बात से इनकार करते हुए कहा कि भीड़ में कुछ हुआ है तो उनकी जानकारी में नहीं है।
इसलिए बढ़ रहा आदिवासियों का आक्रोश
संगठन कार्यकर्ताओं का कहना था कि पाटी क्षेत्र के आदिवासी मजदूरों ने पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी में मनरेगा के तहत मजदूरी की थी। नियमानुसार 15 दिन में मजदूरी का भुगतान हो जाना था, लेकिन आज तक मजदूरी नहीं मिल पाई है। 5500 मजदूरों की 2.18 करोड़ रुपए की भुगतान राशि बाकी है। मनरेगा मजदूरी के भुगतान के लिए पूर्व में 28 फरवरी को संगठन ने बड़वानी में बड़ा प्रदर्शन किया था। इसके बाद 11 और 12 मार्च को पाटी जनपद का भी दो दिन तक घेराव किया था। अधिकारियों का कहना था कि तीन-चार दिन में भुगतान हो जाएगा। जिसके बाद भी भुगतान नहीं हुआ तो संगठन कार्यकर्ता बुधवार को जिला पंचायत का घेराव करने पहुंचे थे।
मजदूरी नहीं मिलने से परेशान मजदूर
हम कईबार मनरेगा मजदूरी को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं। हर बार ये कहते है कि दो-तीन दिन में भुगतान हो जाएगा, लेकिन भुगतान कर नहीं रहे। मजदूर अपनी मजदूरी नहीं मिलने से परेशान है। भूखों मरने की नौबत आ गई है।या तो मजदूरी दी जाए या फिर जेल में डाल दे, ताकि वहां हमें खाना तो मिल सके।
वालसिंह, कार्यकर्ता जागृत आदिवासी दलित संगठन
हमारे हाथ में कुछ नहीं
हमारी ओर से सारी प्रक्रिया भुगतान की पूरी कर सरकार को भेजी जा चुकी है।जो भी भुगतान होना है वो सरकार द्वारा सीधे मजदूरों के खाते में किया जाएगा।हमारे हाथ में कुछ नहीं है। कॉलर पकडऩे जैसी कोईबात नहीं हुई थी। भीड़ में किसी का हाथ लग गया होगा। मजदूरों की मांग जायज हैं, हम उनके साथ है।
अभयसिंह ओहरिया, एसडीएम

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