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बड़वानी

जिले की ऐतिहासिक धरोहरों पर ‘अनदेखी की कालिख,

खेलों से पूरा होगा पर्यटन का ख्वाब, तीन सौ साल पुरानी स्कूल को गिराने का नोटिस नपा की खतरनाक भवनों की सूची में हैं शामिल धरोहर

बड़वानीSep 04, 2018 / 01:02 am

राहुल गंगवार

Three hundred years old monastery school barwani

Three hundred years old monastery school barwani

सादिक अली
बड़वानी. ऐतिहासिक इमारतें जहां प्राचीन परंपराओं और संस्कृति की गवाह मानी जाती है, वहीं यह इमारतें शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत योगदान देती हैं। ऐसी ही प्राचीन इमारतों से सरकारें लाखों रुपए सालाना कमाती भी हैं, जिले में भी ऐसी कई धरोहर हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी इन इमारतों पर लापरवाही की कालिख पोत रही है। ताज्जुब इस बात का है कि शासन प्रशासन इन इमारतों को संरक्षित करने के बजाय खेल प्रतियोगिताएं करवा कर पर्यटन पर्व मनाने की तैयारी में हैं। शहर में तीन सौ साल पुरानी मठ स्कूल भी अनदेखी का शिकार है और इसे नगर पालिका ने गिराने का नोटिस भी जारी कर दिया है। जबकि रीवा यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति इस इमारत को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। शहर के नाई मोहल्ला में करीब तीन सौ साल पहले बने मठ स्कूल का पुरसानेहाल फिलहाल कोई नहीं है। अपनी तरह का इस क्षेत्र में यह एकमात्र ऐतिहासिक भवन है , जिस पर लकड़ी शानदार नक्काशी की गई है।
यह नक्काशी उस वक्त की समृद्ध वास्तुकला को भी दर्शाती है मौजूदा वक्त में यह महज एक पुराना भवन बन कर रह गया है। ऐसा भवन जिसे जानमाल के नुकसान का कारण होने का अंदेशा जताया जा रहा है। सितंबर माह में पयर्टन पर्व मनाया जा रहा है।
महाराजा ने बनवाया था अपने गुरु के लिए
बताया जाता है कि इस मठ को तत्कालीन बड़वानी नरेश ने अपने गुरु गिरी महाराज के लिए बनाया था। इस भवन में वह बच्चों को शिक्षा दीक्षा देते थे। साथ ही यहीं पर उनकी गद्दी भी थी। जानकारी के अनुसार यह गद्दी आज भी यहां मौजूद है। वक्त की मार सहते सहते यह भवन जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है, लकड़ी से बनी नक्काशी अभी भी सलामत है और आज भी अपनी ओर आकर्षित करती है। इस मठ में स्कूल शुरू किया गया।जिसे मठ स्कूल के नाम से जाना जाता था। कायदे से यह भवन पुरातत्व विभाग के अधीन होना चाहिए था, इसकी तरफ किसी का ध्यान ही नहीं दिया है।
नपा ने दिया गिराने का नोटिस
कमजोर होती दरोदीवारों के कारण यह मठ स्कूल अब नगर पालिका की खतरनाक भवनों की सूची में शामिल हो चुका है। नगर पालिका प्रशासन ने इसे खतरनाक मानते हुए गिराने का नोटिस भी जारी कर दिया है। इधर इसे बचाने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं। बड़वानी कॉलेज में प्राचार्य रहे और रीवा यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसएन यादव ने इस भवन को संरक्षित करने के लिए ऑक्र्युलॉजिकल विभाग को पत्र लिखा है। साथ ही कलेक्टर को भी पत्र भेजा है कि इस भवन को गिराने के बजाय इसका जीर्णोद्धार करवा कर इसे संरक्षित किया जाए।ताकि प्राचीन संस्कृति की यह धरोहर शहर का गौरव बन सके।
&भवन खतरनाक है, यदि गिरा तो जानमाल का नुकसान होने का अंदेशा है, ऐसे में इसे सुरक्षित तरीके से गिराने का नोटिस दिया गया है। यदि इस भवन को संचालित करने वाली संस्था इसके जीर्णोद्धार की बात करती है तो इस दिशा में भी काम हो सकता है।
– कुशल सिंह डोडवे, सीएमओ नगर पालिका बड़वानी
&ऑक्र्युलॉजीकल विभाग के डायरेक्टर को पत्र लिखकर इस भवन को संरक्षित करने के लिए आग्रह किया है। ऐसे भवनों को भी यदि संरक्षित नहीं किया गया तो धीरे धीरे प्राचीन सभ्यता के कोई निशान बाकी नहीं रहेंंगे।
– प्रोफेसर एसएन यादव, पूर्व कुलपति रीवा यूनिवर्सिटी,

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