रास्ता बंद, नावों से जा रहे लोग
राजघाट तक पहुंच मार्ग पर नर्मदा का जल स्तर बढऩे से पानी भरा हुआ है। इस कारण लोग नावों से आना जाना कर रहे हैं। रविवार को प्रशासन ने यहां लोगों को सरकारी बोट से आना-जाना करने से मना कर दिया। यहां तक कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर के लिए भी बोट उपलब्ध नहीं कराई गई थी। इसके बाद मेधा पाटकर भी डोंगी से राजघाट पहुंचीं थीं। रविवार को राजघाट निवासी संतोष, चिमन, ओमप्रकाश, देवराम, देवेंद्रसिंह सोलंकी राजघाट जाने के लिए पानी किनारे पहुंचे। यहां प्रशासन ने बोट उपलब्ध नहीं कराई। इस पर वे नाव से गांव जा रहे थे, उसे भी सीधे नहीं जाने दिया गया। यहां सडक़ पर चार से पांच फीट पानी है और इस रास्ते से जाने पर मात्र 100 मीटर का रास्ता पार करना पड़ता, जबकि घूमकर जाने में लंबा रास्ता पड़ता। इस रास्ते में बिजली के खंबे भी पानी में डूबे हैं। इनके तारों में करंट उतरने से ये हादसा हुआ।
राजघाट तक पहुंच मार्ग पर नर्मदा का जल स्तर बढऩे से पानी भरा हुआ है। इस कारण लोग नावों से आना जाना कर रहे हैं। रविवार को प्रशासन ने यहां लोगों को सरकारी बोट से आना-जाना करने से मना कर दिया। यहां तक कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर के लिए भी बोट उपलब्ध नहीं कराई गई थी। इसके बाद मेधा पाटकर भी डोंगी से राजघाट पहुंचीं थीं। रविवार को राजघाट निवासी संतोष, चिमन, ओमप्रकाश, देवराम, देवेंद्रसिंह सोलंकी राजघाट जाने के लिए पानी किनारे पहुंचे। यहां प्रशासन ने बोट उपलब्ध नहीं कराई। इस पर वे नाव से गांव जा रहे थे, उसे भी सीधे नहीं जाने दिया गया। यहां सडक़ पर चार से पांच फीट पानी है और इस रास्ते से जाने पर मात्र 100 मीटर का रास्ता पार करना पड़ता, जबकि घूमकर जाने में लंबा रास्ता पड़ता। इस रास्ते में बिजली के खंबे भी पानी में डूबे हैं। इनके तारों में करंट उतरने से ये हादसा हुआ।
कई दिन से बंद थी लाइन, कैसे आया करंट
पानी में डूबे बिजली के खंभे में कई दिनों से बिजली बंद थी। इस खंबे पर लगे तारों से कृषि कार्य के लिए बिजली सप्लाय होती है, जो राजघाट में पानी भरने के बाद से बंद कर दी थी। जहां दुर्घटना हुई वहां से आगे बिजली के तार खत्म हो जाते हैं। प्रशासन का कहना था कि ग्रामीणों के कहने पर बिजली चालू की गई थी। इसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ गया। खंभे और तार डूब के पानी से कई फीट ऊपर हैं।
पानी में डूबे बिजली के खंभे में कई दिनों से बिजली बंद थी। इस खंबे पर लगे तारों से कृषि कार्य के लिए बिजली सप्लाय होती है, जो राजघाट में पानी भरने के बाद से बंद कर दी थी। जहां दुर्घटना हुई वहां से आगे बिजली के तार खत्म हो जाते हैं। प्रशासन का कहना था कि ग्रामीणों के कहने पर बिजली चालू की गई थी। इसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ गया। खंभे और तार डूब के पानी से कई फीट ऊपर हैं।
तीन फीट तार उठाने के लिए बढ़ाए थे हाथ
नाव से जाते समय संतोष ने पानी से तीन फीट ऊपर बिजली के तार उठाने के लिए दोनों हाथ लगाए और करंट लगने से वहीं चिपक गया। पास बैठे चिमन की भी डोंगी में पानी होने से करंट से मौत हो गई। नाव में सवार तीन अन्य लोगों को भी करंट लगा, लेकिन जब तक नाव दूर होने से वे बच गए। घटना की जानकारी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने टीआई और अन्य अधिकारियों को दी। पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। इस दौरान ग्रामीणों ने एसडीएम और कलेक्टर को मौके पर बुलाने की मांग की। घटना के दो घंटे बाद कलेक्टर, एससपी मौके पर पहुंचे, लेकिन एसडीएम नहीं आए।
नाव से जाते समय संतोष ने पानी से तीन फीट ऊपर बिजली के तार उठाने के लिए दोनों हाथ लगाए और करंट लगने से वहीं चिपक गया। पास बैठे चिमन की भी डोंगी में पानी होने से करंट से मौत हो गई। नाव में सवार तीन अन्य लोगों को भी करंट लगा, लेकिन जब तक नाव दूर होने से वे बच गए। घटना की जानकारी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने टीआई और अन्य अधिकारियों को दी। पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। इस दौरान ग्रामीणों ने एसडीएम और कलेक्टर को मौके पर बुलाने की मांग की। घटना के दो घंटे बाद कलेक्टर, एससपी मौके पर पहुंचे, लेकिन एसडीएम नहीं आए।
लोगों का आक्रोश एसडीएम अभयसिंह ओहरिया को लेकर था। इस बीच वहां मौजूद ग्राम के सचिव शक्ति कनौजे पर लोगों का गुस्सा उतरा और भीड़ ने उसे पीट दिया। इसके बाद लोगों ने अन्य अधिकारियों पर भी लोगों ने आक्रोश जाहिर किया। पुलिस ने बीच बचाव कर अधिकारियों को बचाया। घटना की जानकारी मिलते ही नबआं नेत्री मेधा पाटकर और अन्य कार्यकर्ता वहां पहुंचे और आक्रोशित लोगों को समझाया। कलेक्टर, एसपी के पहुंचने पर लोगों ने फिर एसडीएम के खिलाफ शिकायतें की। लोगों का कहना था कि एसडीएम ने अपात्रों को लाभ दे दिया और असली डूब प्रभावित लाभ से वंचित है।
मृतकों के लिए 10-10 लाख का मुआवजा मांगा
ग्रामीणों और एनबीए कार्यकर्ताओं की मांग थी कि मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा दिया जाए। संतोष के पांच बच्चे हैं और वो मजदूरी कर परिवार पाल रहा था। वहीं, चिमन के दो बच्चे है। दोनों ही लोगों को टापू पर होने से डूब के बाहर बताया गया। नबआं की मांग थी कि इनको डूब प्रभावितों में शामिल किया जाए और जितने लोग टापू में रह रहे है उन्हें भी। साथ ही तुरंत सभी का मुआवजा प्रकरण बनाया जाए। मृतकों को प्लाट और 5.80 लाख का पैकेज दिया जाए। लंबी चर्चा के बाद फोन पर एनवीडीए मंत्री सुरेंद्रसिंह बघेल ने दोनों मृतकों के लिए 8-8 लाख रुपए आर्थिक सहायता की घोषणा की।
ग्रामीणों और एनबीए कार्यकर्ताओं की मांग थी कि मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा दिया जाए। संतोष के पांच बच्चे हैं और वो मजदूरी कर परिवार पाल रहा था। वहीं, चिमन के दो बच्चे है। दोनों ही लोगों को टापू पर होने से डूब के बाहर बताया गया। नबआं की मांग थी कि इनको डूब प्रभावितों में शामिल किया जाए और जितने लोग टापू में रह रहे है उन्हें भी। साथ ही तुरंत सभी का मुआवजा प्रकरण बनाया जाए। मृतकों को प्लाट और 5.80 लाख का पैकेज दिया जाए। लंबी चर्चा के बाद फोन पर एनवीडीए मंत्री सुरेंद्रसिंह बघेल ने दोनों मृतकों के लिए 8-8 लाख रुपए आर्थिक सहायता की घोषणा की।
गेहूं पिसवा कर ले जा रहा था चिमन
चिमन का राजघाट से लगा हुआ करीब 5 एकड़ खेत है। यह खेत डूब में नहीं आ रहा और परिवार टापू पर रहा है। चिमन के दो बेटे पृथ्वीराज और गिरीराज है। सोमवार को चिमन गेहूं पिसवाने बड़वानी आया, लौटते समय हादसे का शिकार हो गया। संतोष मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहा था। उसकी तीन पुत्रियां और दो पुत्र हैं। इसमें सबसे बड़ी पुत्री 10 साल की और सबसे छोटा बेटा दो साल का है। घटना के दौरान नाव संतोष ही चला रहा था और तार उठाने में करंट लग गया।
चिमन का राजघाट से लगा हुआ करीब 5 एकड़ खेत है। यह खेत डूब में नहीं आ रहा और परिवार टापू पर रहा है। चिमन के दो बेटे पृथ्वीराज और गिरीराज है। सोमवार को चिमन गेहूं पिसवाने बड़वानी आया, लौटते समय हादसे का शिकार हो गया। संतोष मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहा था। उसकी तीन पुत्रियां और दो पुत्र हैं। इसमें सबसे बड़ी पुत्री 10 साल की और सबसे छोटा बेटा दो साल का है। घटना के दौरान नाव संतोष ही चला रहा था और तार उठाने में करंट लग गया।