script

पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट : पाताल में से खोद कर निकाल रहे पीने के लिए पानी

locationबड़वानीPublished: Apr 15, 2019 10:12:03 am

एक घड़े पानी के लिए करना पड़ रही घंटों मशक्कत, जिले के 3 हजार हेंडपंपों ने तोड़ा दम, 25 सौ बंद होने की कगार पर, बढ़ते तापमान के साथ रसातल में जा रहा भूजल स्तर

water-for-drinking-water-digging

water-for-drinking-water-digging

खबर लेखन : मनीष अरोरा
फोटो : अमजद खान
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. अप्रैल माह में ही जहां सूर्य का तेज दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं, धरती का जल स्तर तेजी से घटता जा रहा है।पहाड़ी इलाकों में हालात ये है कि पीने के लिए पानी पाताल से खोदकर निकालना पड़ रहा है। एक घड़े पानी के लिए घंटों की मशक्कत करना पड़ रही है। जान को खतरे में डालकर बिना मुंडेर के कुओं से छोटे बच्चे और महिलाएं पानी भर रही है। बच्चों के ऊंची नीची पहाडिय़ों पर तपती धूप में पानी भरकर ले जाते देखा जा सकता है। जिले में करीब 3 हजार हेंडपंप गर्मी शुरू होते ही बंद हो चुके है। वहीं, भूजल स्तर कम होने से करीब 25 सौ हेंडपंप बंद होने की कगार पर है।
जिला मुख्यालय से मात्र पांच से सात किमी दूरी पर ही पेयजल को लेकर हालात बिगड़ते नजर आ रहे है। यहां अंबापानी पंचायत के ग्राम चूना भट्टी के ग्रामीण एक मात्र कुएं पर निर्भर है। यहां एक से दो किमी दूरी पर बसे फलियों से लोग पानी भरने आ रहे है।ग्राम काचली खोदरी में भी पेयजल का एकमात्र स्रोत गहरी खाई में बना एक कुआं है। यहां गांव के लोगों सहित स्कूल के बच्चे भी पानी भरने आते है। इस कुएं में मात्र एक से डेढ़ फीट पानी बचा हुआ है। बिना मुंडेर के इस 25 फीट गहरे कुएं पर पानी के लिए ग्रामीणों को जान जोखिम में डालना पड़ता है। ग्राम कालाखेत में भी पेयजल के लिए एक कुआं ही ग्रामीणों का सहारा बना हुआ है।ग्राम पिपरी खोदरी में तो पानी के लिए ग्रामीणों को पहाड़ी झीर से बूंद बूंद कर घड़ा भरना पड़ रहा है। एक घड़े पानी के लिए ग्रामीणों को घंटों तक बैठना पड़ता है।
आगे ओर भी बिगड़ सकते हालात
अप्रैल माह के प्रथम पखवाड़े में ही पेयजल को लेकर जिलेभर की स्थिति खराब नजर आ रही है।मनुष्य को पीने के पानी के लिए ही सारे काम धंधे छोड़कर दिनभर लगना पड़ रहा है।ग्रामीण इलाकों में जहां मनुष्य के लिए पानी की परेशानी हो रही है। वहां मवेशियों के लिए भी पानी मिलना मुश्किल हो रहा है। मवेशियों के लिए भी इन्हीं जल स्रोतों से लोग पानी निकाल कर पिला रहे है। अप्रैल माह में ही पानी की किल्लत होने से आगामी दिनों में पेयजल की परेशानी ओर भी बढ़ सकती है। पारा जिस रफ्तार से बढ़ता जा रहा है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भूजल स्तर कितनी तेजी से कम होगा।
19 नल जल योजनाएं भी हुई बंद
जिले में 517 पंचायतों के 700 से अधिक गांवों में 14314 हेंडपंप स्थापित है। इसमें से अब तक 2909 हेंडपंप गर्मी के शुरुआती दौर में ही बंद हो चुके है। भूजल स्तर कम होने से 2550 हेंडपंपों की धार भी कम होने लगी है। बढ़ती गर्मी से कम हो रहे जल स्तर के कारण इन हेंडपंपों से पानी निकालने में लोगों के पसीने छूट रहे है। जिले में पेयजल के लिए लगभग 305 नल जल योजनाएं चलाई जा रही है। पानी की कमी के कारण इसमें से 19 नल जल योजनाएं बंद हो चुकी है। जिले में पेयजल की स्थिति सबसे ज्यादा निवाली, सेंधवा और पानसेमल में खराब है। यहां भूजल स्तर 35 मीटर से लेकर 44 मीटर तक पहुंच गया है।
नर्मदा के सहारे शहर की पेयजल व्यवस्था
मां नर्मदा को प्रदेश की जीवनदायिनी कहा जाता है। बड़वानी शहर के लिए मां नर्मदा का ही सहारा बना हुआ है। ऊपरी बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण नर्मदा में फिलहाल जल स्तर पिछले साल की तुलना में बेहद अच्छा है। जिसके कारण शहर में अभी तक पेयजल संकट की स्थिति नहीं बनी है।शहर को पानी सप्लाय करने वाले छोटी कसरावद पुल स्थित दोनों इंटकवेल के पास पानी का स्तर पर्याप्त बना हुआ हैं। फिलहाल नर्मदा का जल स्तर 118 मीटर से ज्यादा है। नर्मदा का स्तर 114 मीटर तक पहुंचने पर शहर में पानी के लिए परेशानी हो सकती है।

ट्रेंडिंग वीडियो