एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरोत्तम वर्मा ने बताया कि क्षेत्र के निवासी एक परिवादी को अपनी कृषि भूमि को आवासीय में कन्वर्जन कराना था। उसने बिलान्दरपुर में आयोजित शिविर में फाईल लगाई, लेकिन उसका भू-कन्वर्जन नहीं किया गया।
इसके बाद शाहपुरा तहसील में कार्यरत कनिष्ठ सहायक जितेंद्र कुमार से संपर्क किया तो उसने भू-रूपान्तरण के एवज में कुल 65 हजार रुपए मांगे। जिसमें 25 हजार रुपए फीस के और 40 हजार रुपए घूस के शामिल थे। इस पर परिवादी ने कनिष्ठ सहायक को 25 हजार फीस और 20 हजार रुपए रिश्वत के दे दिए थे। शेष 20 हजार घूस की राशि कार्य के बाद देना तय हुआ।
कनिष्ठ सहायक ने घूस की शेष राशि लेने के लिए परिवादी को गुरुवार को चिमनपुरा ग्राम पंचायत में आयोजित प्रशासन गांवों के संग अभियान शिविर में ही बुला लिया। यहां शिविर के पांडाल से बाहर जैसे ही उसने घूस की राशि ली तो पहले से मौजूद एसीबी की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
इलाके में दूसरी दिन भी खुलेआम घूसखोरी की रही चर्चा इधर, कनिष्ठ सहायक के प्रशासन गांवों के संग अभियान में खुलेआम घूस लेते पकड़े जाने की इलाके में दूसरे दिन शुक्रवार को भी जबरदस्त चर्चा रही। क्षेत्र में ग्रामीण सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार की ही चर्चा करते नजर आए। तहसील कार्यालय में भी सन्नाटा सा पसरा रहा।
लोग बोले-तहसील में जायज कार्यों के लिए लगाने पड़ते हैं चक्कर तहसील कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की कलई खुलने के बाद ग्रामीण भी बेखौफ होकर बोले के तहसील कार्यालय में कई साल से भ्रष्टाचार व्याप्त है। तहसील में जायज कार्यों के लिए भी जनता की समय पर सुनवाई नहीं होती। जायज कार्यों के लिए भी ग्रामीणों को कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। जबकि वर्तमान में बहुत से कार्य तो ऑनलाइन भी हो चुके हैं। कई बार तो लोगों को तहसील में कार्य नहीं होने पर एसडीएम को शिकायत करनी पड़ती है।