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बस्सी खेल स्टेडियम में धावक दौड़े तो पैरों में कांटे जैसी चुभन

locationबस्सीPublished: Oct 10, 2017 06:56:52 pm

Submitted by:

vinod sharma

बिराजपुरा स्टेडियम को मदद की दरकार

Bassi Sports Stadium Behal
बस्सी (जयपुर)। बैठने की टूटी हुई बैंच, अनुपयोगी पड़ी पेयजल टंकी, मेन गेट का टूटा कुंदा, पर्याप्त शौचालय तक नहीं, ड्रेसिंग रूम की सुविधा नहीं। ट्रेक पर डस्ट मिट्टी के बजाय कंक्रीट मय मिट्टी। धावक दौड़े तो पैरों में कांटे जैसी चुभन। बिजली का लटकता मीटर। यह स्थिति राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय बस्सी के अधीन बिराजपुरा स्थित महात्मा गांधी खेल स्टेडियम का। ऐसे में खेल प्रतिभाओं को सुविधाओं की कमी खल रही है।
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सूत्रों के अनुसार नगरपालिका रह चुकी बस्सी ग्राम पंचायत व इसके आस-पास क्षेत्र में बड़ा खेल मैदान नहीं होने से यहां संचालित स्कूलों के छात्र-छात्राओं को खेलने में काफी परेशानी होती थी। भाजपा सरकार में तत्कालीन विधायक के कार्यकाल में टोड़ाभाटा ग्राम पंचायत के बिराजपुरा गांव में खेल स्टेडियम से जमीन आवंटित करवाई गई। जेडीए ने इसकी चारदीवारी करवाई। इसे रख-रखाव के लिए राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय बस्सी को सौंप दिया गया। इस स्टेडियम में न सिर्फ खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई जाती रही हैं, बल्कि अन्य कार्यक्रमों समेत 15 अगस्त व 26 जनवरी को भी यहीं पर उपखण्ड स्तरीय समारोह आयोजित किए जाते हैं। पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष सुधीरमोहन शर्मा का कहना है कि इसके विस्तार के लिए जेडीसी से मिलेंगे।
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ताले तक तोड़ देते हैं
खेल स्टेडियम में चारदीवारी बनी हुई है। दो स्थानों पर गेट भी लगे हुए हैं, लेकिन यहां कर्मचारी तैनात नहीं होने के कारण आए दिन समाजकंटक गेटों पर लगे तालों को तोड़ देते हैं, जिससे जानवर घुस जाते हैं। सांझ ढलते ही समाजकंटकों की शरणस्थली बन जाता है। शराब की बोतलों के कांच बिखरे रहते हैं। उपखण्ड प्रशासन, स्कूल एवं अन्य संगठनों की ओर से लगाए गए पौधों को उखाड़ दिया जाता है। स्थिति यह है कि पिछले महीनों में प्रशासन की ओर से 250 पौधे लगवाए गए थे, लेकिन इनमें से अधिकतर पौधों को नष्ट किया जा चुका है। पेयजल के लिए लगाई टंकी की टोंटियां तक तोड़ दी गई।
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पर्याप्त नहीं हैं टॉयलेट
स्टेडियम परिसर में भवन बना हुआ है। इसमें दो कमरे, रसोईघर, लेट-बाथ भी है। यहां पर्याप्त मात्रा में खिलाडिय़ों के लिए टॉयलेट नहीं होने से खासी परेशानी होती है। गत 03 अक्टूबर को आयोजित छात्राओं की जिला स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता आयोजित करवाई गई थे, जिसमें छात्राओं के लिए टैंटों से अस्थायी टॉयलेट तैयार करवाए गए थे।
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ट्रेक भी सही नहीं
स्टेडियम में 400 मीटर का ट्रेक बना हुआ है, लेकिन विधालय के पास खेलों के लिए पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण इस ट्रेक पर कंक्रीट मिट्टी बिछी हुई है, जिससे जूते पहनकर दौडऩे वाले खिलाडिय़ों को परेशानी नहीं होती, लेकिन नंगे पैर दौडऩे वाले धावकों को काफी परेशानी होती है।
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इनका कहना है…
शिक्षा विभाग की तरफ से खेल मंत्रालय को प्रस्ताव भिजवाकर इस खेल स्टेडियम में सुविधाओं का विस्तार करवाया जाएगा। वैसे भामाशाहों से भी बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि इसमें सुविधाएं बढ़ाई जाएगी।
प्रभुदयाल शर्मा, एसडीएम, बस्सी
स्कूल के पास बजट नहीं होने के कारण स्टेडियम में कर्मचारी नहीं रखा जा रहा है। स्थिति यह है कि आए दिन इसके गेटों के ताले तोड़ दिए जाते हैं, जिन्हें बार-बार बदलवाना पड़ता है। कई बार कुंदा तोड़ देते हैं। इस बारे में प्रशासन एवं विभागीय अधिकारियों को अवगत करवा रखा है। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भी अतिथियों से खेल एकेडमी खुलवाने की मांग की गई थी।
वसुधा शर्मा, प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय बस्सी
मेरे कार्यकाल में खेल स्टेडियम के लिए जमीन का आवंटन करवाया गया था। जेडीए ने चारदीवारी का निर्माण भी करवाया। इसमें सुविधाओं के विस्तार के लिए खेल मंत्री को भी लिखा है।
कन्हैयालाल मीना,पूर्व विधायक बस्सी
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