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युद्ध में जाने से पहले यहां होती थी मां चामुण्डा की पूजा

locationबस्सीPublished: Oct 24, 2020 11:03:41 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

साढ़े चार सौ वर्ष पुराना है चामुण्डा माता मंदिर, मंदिर में कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत जयपुर जिले के कई गांवों से लोग पहुंचते है

युद्ध में जाने से पहले यहां होती थी मां चामुण्डा की पूजा

युद्ध में जाने से पहले यहां होती थी मां चामुण्डा की पूजा

मनोहरपुर। कस्बे की रावधीर सिंह कॉलोनी स्थित चामुण्डा माता का मंदिर करीब साढ़े चार सौ साल पुराना है। मंदिर पुजारी प्रेमशंकर पारीक ने बताया कि शाहपुरा ठिकाने के समय में राव मनोहरदास ने चामुण्डा माता मंदिर का निर्माण कराया था।
यह मंदिर कस्बे के काला महल के पास स्थित है। लोगों का कहना है कि राजा-महाराजा युद्ध में जाने से पहले चामुण्डा माता की विशेष पूजा-अर्चना कर माता का आशीर्वाद लेते थे। वर्ष 2000 में जीर्ण शीर्ण हो चुके इस मंदिर का जीर्णोद्धार जन सहयोग से हुआ। मंदिर में कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत जयपुर जिले के कई गांवों से लोग पहुंचते हैं।
गालवास माता मंदिर में उमड़ते हैं श्रद्धालु
मैड.ग्राम पंचायत जोथुला के गालावास पहाड़ी कंदराओं के बीच सैकड़ों वर्ष पुराने गालवास देवी माता के प्रसिद्ध मंदिर में नवरात्र में श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है। मंदिर में जयपुर, दिल्ली, हैदराबाद, सीकर सहित अन्य जगहों से भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
अचानक माता ने दर्शन दिए
किवदंती है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां खेमाराम व कुशल नाम के दो चरवाहे पहाड़ी पर गाय चरा रहे थे। तब अचानक इनको माता ने दर्शन दिए। माता ने इनको लोक गीत गाने के लिए कहा। जिस पर चरवाहों ने गीत गाया। वो गीत आज भी माता के जागरण में गाया जाता है। चरवाहों ने वहीं पहाड़ी पर माता की पूजा-अर्चना शुरू कर दी। धीरे-धीरे भक्तों ने मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर में वर्तमान में मीणा समाज के लोग सेवा-पूजा करते हैं। नवरात्र में भक्त यहां पर अखंड दीप जलाकर मनोकामना के लिए प्रार्थना करते हैं।
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