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भामाशाहों के भरोसे ‘खेल, ऊंट के मुंह में जीरे के समान बजट

locationबस्सीPublished: Sep 14, 2018 08:31:41 pm

खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार भले ही दावे कर रही हो, लेकिन प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए विभाग के पास पर्याप्त बजट नहीं है। ऐसे में प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के लिए आयोजक विद्यालय प्रशासन को भामाशाहों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। जहां जनसहयोग नहीं मिलता है वहां खिलाड़ी मन मसोस कर रह जाते हैं।

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भामाशाहों के भरोसे ‘खेल, ऊंट के मुंह में जीरे के समान बजट

भामाशाहों के भरोसे ‘खेल, ऊंट के मुंह में जीरे के समान बजट
-खेलों के आयोजन के लिए नहीं मिलता पर्याप्त बजट
-बजट के अभाव में पिछड़ रही खेल प्रतिभाएं
शाहपुरा.
खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार भले ही दावे कर रही हो, लेकिन प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए विभाग के पास पर्याप्त बजट नहीं है। ऐसे में प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के लिए आयोजक विद्यालय प्रशासन को भामाशाहों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। जहां जनसहयोग नहीं मिलता है वहां खिलाड़ी मन मसोस कर रह जाते हैं। यहां शाहपुरा में प्रारम्भिक शिक्षा विभाग की ओर से 63वीं राज्य स्तरीय वालीबॉल प्रतियोगिता चल रही है। यहां प्रदेशभर से छात्र-छात्रा वर्ग की 65 टीमें हिस्सा ले रही है। खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन के लिए विभाग से महज 20-25 हजार रुपए तक के बजट का प्रावधान है। जबकि प्रतियोगिता के सफल आयोजन में करीब 4 लाख रुपए से अधिक खर्च होना तय है। ऐसे में विद्यालय प्रशासन को भामाशाहों व निजी विद्यालयों को प्रेरित कर उनके सहारे प्रतियोगिता का आयोजन करवाना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग की ओर से प्रत्येक वर्ष प्रारम्भिक व माध्यमिक स्तरीय की जिला एवं राज्य खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जाता है। इनमें तैराकी, कबड्डी, टेबल-टेनिस, बैडमिंटन, कुश्ती, जिम्नास्टिक, खो-खो, फुटबॉल, हॉकी, वालीबॉल, एथलेटिक्स आदि शामिल हैं। इनके अलावा प्राथमिक स्तरीय खेल प्रतियोगिताएं भी विभाग की ओर से कराने का प्रावधान है। सूत्रों के मुताबिक राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं के लिए तो फिर भी विभाग की ओर से कुछ बजट उपलब्ध होता रहा है, लेकिन जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं के लिए नाम मात्र का बजट दिया जाता है। ऐसे में विभाग भामाशाहों व निजी विद्यालयों को प्रेरित कर उनके सहारे आयोजन को सफल बनाने का प्रयास करता है।(का.सं.)
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65 टीमों के 780 खिलाड़ी ले रहे है हिस्सा
यहां प्रतियोगिता में 65 टीमों के 780 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे है। इसमें 23 टीमें बालिकाओं की है। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के संचालन के लिए विभाग की ओर से महज 20-25 हजार का बजट आवंटित करना तय है। यह बजट भी खर्चे का हिसाब-किताब बताने के बाद मिल पाएगा। बजट के अभाव से समारोह के आयोजन, भोजन, प्रमाण-पत्र, शील्ड आदि के लिए भामाशाहों का सहारा लेना पड़ा है।
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कैसे हो पाएगी नींव मजबूत
हर साल ग्राम, ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक खेल प्रतिभा पहुंचती हैं, पर प्रारंभिक स्तर पर खेलों की नींव के लिए पर्याप्त बजट नहीं है। खिलाडिय़ों को भी भरपेट भोजन करने के लिए पर्याप्त भत्ता नहीं मिलता है। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में खिलाडिय़ों को महज भी महज 50 रुपए प्रतिदिन के दिए जाते है। इसमें ही खिलाडिय़ों को नाश्ता और भोजन करना पड़ता है। हालांकि यहां शाहपुरा में आयोजित प्रतियोगिता में भामाशाहों की ओर से एक समय का भोजन और नाश्ता दिया जा रहा है। इससे खिलाडिय़ों को भरपेट भोजन मिल पा रहा है। जहां भामाशाहों का सहयोग नहीं मिलता है। वहां पर खिलाडिय़ों को खाली पेट खेलना पड़ता है।
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इनका कहना है—-
अभी बजट नहीं मिला है। प्रतियोगिता के समापन के बाद बिल बाउचर भेजने पर 20 से 25 हजार रुपए मिलेंगे। प्रतियोगिता में भामाशाहों का सराहनीय सहयोग रहा है।
—कमल शर्मा, प्रतियोगिता में संयोजक एवं प्रधानाध्यापक, राउमावि, आलेड़ी।
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बजट बढाने के लिए विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। अभी जो मिलता है, वह बजट सफल आयोजन के लिए नाकाफी है। प्रतियोगिता में आर्थिक सहयोग के लिए भामाशाहों का सराहनीय कदम है।
—बृजभूषण चौहान, बीईईओ, शाहपुरा।

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