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एक मरीज को 30 सैकण्ड का समय, कैसे हो प्रभावी इलाज

locationबस्सीPublished: Sep 26, 2018 11:19:15 pm

Submitted by:

Surendra

4 घंटे में 400 मरीज देख रहा एक चिकित्सक, ओपीडी में रहते है मात्र दो चिकित्सक, मरीज हो रहे परेशान
 

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एक मरीज को 30 सैकण्ड का समय, कैसे हो प्रभावी इलाज

चाकसू. कस्बे में कहने को तो सैटेलाइट अस्पताल है, मगर सुविधाओं व व्यवस्थाओं के हाल से स्थिति सीएचसी स्तर की भी नहीं है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। अस्पताल में सुविधाएं तो दूर तैनात चिकित्सक तक पूरे मौजूद नहीं है। वर्तमान में केवल दो चिकित्सक ही ओपीडी के समय रहते हैं। अस्पताल का आउटडोर रोजाना 800 से 1 हजार होने के कारण एक चिकित्सक पर करीब 400 मरीजों का भार है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल समय में एक मरीज को देखने के लिए मुश्किल से 30 सैकण्ड का समय मिल पाता है। इससे मर्ज को समझना और फिर दवाई लिखनेे का समय शामिल है। ऐसे हालात में मरीजों को मिल रहे उपचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं इस संबंध में सीएमएचओ द्वितीय ने कम चिकित्सकों के बाद भी अधिक मरीज आने पर हैरान करने वाला जवाब दिया है। यहां सवाल उठता है कि गरीब मरीजों के पास निजी अस्पतालों में जाने के पैसे ही नहीं होंगे तो कहां जाएंगे।
11 में से चार चिकित्सक कार्यरत

जानकारी के अनुसार अस्पताल में चिकित्सकों के दस पद है, और रिकार्ड में 11 है। उसमें भी वर्तमान में केवल चार चिकित्सक ही कार्यरत है। उनमें भी दो चिकित्सक ही ओपीडी में रहते हैं। शेष दो चिकित्सकों की ड्यूटी बारी-बारी से रात को रहती है। दस चिकित्सकों में डॉ. सीपी शर्मा, लक्ष्मीनारायण मीना व सतीश शर्मा 21 माह से मेडिकल कॉलेज में सर्टिफिकेशन कोर्स के लिए गए हुए हैं, जिनका गत 9 सितम्बर को प्रशिक्षण की अवधि भी पूरी हो चुकी, लेकिन अभी तक नहीं आए। वहीं महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. लीनू खन्ना प्रतिनियुक्ति पर मालवीय नगर डिस्पेंसरी में कार्यरत है। चिकित्सक सतीश सेहरा एक माह से, हंसराज मीना दो माह से और संगीता जांगिड़ 7 सितम्बर से अवकाश पर है। वहीं डॉ. मुनेश जैन, रितुराज मीना, शंकर प्रजापति व राजेश चौधरी कार्य कर रहे हैं। चिकित्सक मधुसुदन सिंह लिव रिजर्व की पोस्ट पर कार्यरत थे। उनका दो माह पूर्व तबादला हो गया। उनके स्थान पर डॉ. दयाराम चौधरी को लगाया गया, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। वहीं डॉ. सतीश सेहरा का तबादला होने पर उनके स्थान पर हंसराज मीना आ गए, लेकिन सेहरा ने भी कोर्ट से स्टे लेकर वापस ज्वाइन कर लिया। इस तरह 11 के बावजूद चार ही चिकित्सक अस्पताल में कार्यरत है। ओपीडी में दो चिकित्सकों को दिखाने के लिए मरीजों को बडी मशक्कत करनी पड़ती है। घंटो तक लोग अपनी बारी का इंतजार करते है।
ये है रिक्त पद

नर्स प्रथम के तीन पद स्वीकृत है, जिनमें एक खाली है। वहीं नर्स द्वितीय के 15 पद है जिसमें 6 रिक्त है। लेब टेक्निशियन के 3 पद स्वीकृत है जिसमें 2 खाली है। फार्मासिस्ट का एक ही पद है। जिससे एक ही खिड़की से करीब आठ सौ मरीजों को दवा वितरण की जाती है। लोग घंटों लाइन में लगे रहते हैं। इससे बुजुर्ग मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।अस्पताल में हड्डी रोग, नाक, कान व गला रोग, नेत्र रोग, फिजिशियन विशेषज्ञ सहित सर्जन के नहीं होने से मरीजों को जयपुर जाना पड़ता है।
आपरेशन बंद, एक्सरे ना सोनाग्राफी

अस्पताल में डॉ. मधुसूदन सिंह एनेस्थिस्ट थे। जिनकी मदद से महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मुनेश जैन सिजेरियन डिलेवरी अस्पताल में करवा देते थे। अब सिंह का तबादला होने से ऑपरेशन होने बंद हो गए। प्रसूताओं को मजबूरी में निजी अस्पतालों में जाकर महंगा उपचार करवाना पड़ रहा है। विधायक लक्ष्मीनारायण बैरवा ने करीब दो माह पूर्व अस्पताल में डिजिटल एक्सरे मशीन लगवाने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक मशीन नहीं लगी। लोगों को मजबूरी में निजी जांच केंद्रों पर करवाना पड़ रहा है। अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा भी नहीं है। रोजाना 50 से अधिक मरीजों को सोनोग्राफी जांच लिखी जा रही है।
नाम बदला, सुविधाएं वहीं

करीब ढाई साल पहले सीएचसी को सैटेलाइट में परिवर्तित तो सरकार ने कर दिया, लेकिन यहां की चिकित्सा सुविधाओं में इजाफा नहीं किया। जिससे क्षेत्र के लोग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। अस्पताल में पार्किंग, चिकित्सक कक्ष समेत मरीजों को बैठने तक की पर्याप्त जगह नहीं है। यहां दस साल पहले ब्लड बैंक की स्थापना हुई थी। लेकिन संसाधनों के अभाव में वह शुरू नहीं हो सका। ब्लड के लिए जयपुर दौड़-भाग करनी पड़ती है। यहां 50 बेड ही होने से मरीजों का परेशानी होती है।
रात में एक ही चिकित्सक

रात के समय अस्पताल में केवल एक ही चिकित्सक ड्यटी पर रहता है, इस दौरान सामान्य बीमारियों, हादसे में घायलों सहित प्रसव के लिए आने वाली प्रसूताओं में अकेले चिकित्सक को दौड़ भाग करनी पड़ती है। जिससे व्यवस्था प्रभावित होती है। ऐसे में अधिकांशत: नर्स ही डिलेवरी करवाती है। जिससे जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य पर बनी रहती है। अस्पताल में महिला चिकित्सक नहीं होने से महिला रोगियों को परामर्श में हिचकिचाहट रहती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक शर्मिन्दगी होती है।
सितम्बर में ओपीडी

दिनांक मरीज

17 805
18 830

19 394
20 764

21 391
22 684

23 211
24 724

25 805
26 825

इनका कहना है

चिकित्सकों के पद खाली तो नहीं है, मगर कुछ ट्रेनिंग में गए और कुछ अवकाश पर है। ऐसे में चार चिकित्सकों को ही सम्भालना पड़ रहा है। समस्याओं की जानकारी उच्चाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को कई बार दी जा चुकी है।
डॉ. मुनेश जैन, राजकीय सैटेलाइट अस्पताल प्रभारी चाकसू

जो चिकित्सक टे्रनिंग में गए हैं, वे जल्दी ही आ जाएंगे। समस्याओं का समाधान किया जाएगा। कम चिकित्सक के बावजूद अस्पताल में मरीज खूब आ रहे हैं। इसका मतलब है कि मरीजों को कोई परेशानी नहीं है।
डॉ. प्रवीण असवाल, सीएमएचओ जयपुर द्वितीय

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