scriptस्वीकृति के 3 साल बाद भी सीएचसी को नहीं मिली सोनोग्राफी मशीन | CHC did not get sonography machine even after 3 years of acceptance | Patrika News

स्वीकृति के 3 साल बाद भी सीएचसी को नहीं मिली सोनोग्राफी मशीन

locationबस्सीPublished: Oct 19, 2019 06:36:57 pm

-मोर्चरी का भी अभाव, 18 किमी दूर होता है पोस्टमार्टम

स्वीकृति के 3 साल बाद भी सीएचसी को नहीं मिली सोनोग्राफी मशीन

स्वीकृति के 3 साल बाद भी सीएचसी को नहीं मिली सोनोग्राफी मशीन

पावटा.
पावटा सीएचसी प्रदेश के व्यस्ततम जयपुर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर स्थित है। साथ ही 29 ग्राम पंचायतों का भार भी इसी सीएचसी पर है, लेकिन इसमें न तो मोर्चरी है और ना ही सोनाग्राफी मशीन। नेशनल हाईवे पर आए दिन दुर्घटना होती रहती है। जिसमें मौत होने पर पोस्टमार्टम के लिए शव को कोटपूतली के बीडीएम चिकित्सालय में 18 किलोमीटर दूर ले जाना पड़ता है। कोटपूतली से पोस्टमार्टम करावाने पर पांच घंटे का समय लग जाता है। जिससे मृतक के गमजदा परिजनों की हालत ओर भी ज्यादा खराब हो जाती है। विडम्बना तो यह है कि तीन साल पहले मोर्चरी स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन अभी तक मोर्चरी नहीं बन पाई। वहीं, सोनाग्राफी मशीन भी नहीं है। केन्द्र पर रोज 10 से 15 सोनोग्राफी के मरीज आते है, लेकिन मशीन के अभाव में गर्भवती महिलाओं समेत अन्य को बाहरी निजी लैबों पर करवानी पड़ती है। जानकारी के मुताबिक सीएचसी में मोर्चरी और सोनाग्राफी मशीन तीन साल पहले से स्वीकृत है, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। हालांकि सीएचसी के एमआरएस कोष में करीब ३० लाख रुपए जमा है, लेकिन नियमों के तहत उक्त राशी खर्च नहीं की जा सकती है। तत्कालीन विराटनगर विधायक डॉ. फूलचंद भिण्डा ने तीन साल पहले मोर्चरी बनाने की घोषणा भी की थी, लेकिन वह भी पूरी नहीं हो सकी।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं जीवन बचाओ आंदोलन के मुख्य संयोजक नित्येन्द्र मानव ने बताया कि उन की मांग पर जयपुर डिस्ट्रिक्ट मिनिरल्स फाउंडेशन ट्रस्ट की मीटिंग में तत्कालीन जिला कलक्टर सिद्धार्थ महाजन ने 16 जनवरी 2017 को पावटा सीएचसी में मोर्चरी का निर्माण कराने और सोनाग्राफी मशीन लगाने को लेकर स्वीकृति आदेश जारी किए थे, लेकिन इतना लम्बा समय व्यतीत हो जाने के बाद भी सरकार से वित्तिय स्वीकृति नहीं मिली।(का.सं.)
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५७.३३ लाख रुपए की मिली थी स्वीकृति
गौरतलब है कि 3 वर्ष पहले तत्कालीन जिला कलक्टर सिद्धार्थ महाजन ने पावटा सीएचसी में मोर्चरी और सोनाग्राफी के लिए 57.33 लाख रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति जारी की थी। जिसमें 37.58 लाख मोर्चरी और 19.75 लाख रुपए में सोनोग्राफी मशीन लगाए जानी थी, लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते आज तक न तो मोर्चरी का निर्माण हो सका है और ना ही सोनाग्राफी मशीन लग पाई है।
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450 से 600 रुपए लेते है निजी लैब वाले
मरीजों ने बताया कि सीएचसी में सोनाग्राफी मशीन नहीं है। ऐसे में उन्हें बाहर से जांच करवानी पड़ती है। निजी लैब वाले सोनाग्राफी जांच के ४५० से ६०० रुपए तक लेते है। जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी हो रही है। हालांकि सीएचसी में गर्भवती महिलाओं की जांच फ्री लिखी जाती है, लेकिन उसके लिए १८ किमी दूर कोटपूतली बीडीएम अस्पताल में जाना पड़ता है।
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१ साल में लिखी ४५४ महिला की जांच
सीएचसी केन्द्र प्रभारी डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि हर माह की ९ तारीख गर्भवती महिला की जांच फ्री लिखी जाती है। एक साल में ४५४ महिलाओं की सोनाग्राफी जांच लिखी गई है। महिलाओं की सोनाग्राफी जांच कोटपूतली बीडीएम अस्पताल में नि:शुल्क करवाई जाती है। महिला यदि बीडीएम नहीं जाए तो निजी खर्चे पर सोनाग्राफी करवा सकती है। उन्होंने बताया कि हर माह की ९ तारीख को ४० से ७० महिलाओं को सोनोग्राफी की जांच लिखी जाती है।
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इनका कहना है—-
सीएचसी में जल्द ही मोर्चरी का निर्माण करवाया जाएगा। शव का पोस्टमार्टम कराने में वास्तव में परेशानी आती है। सोनाग्राफी मशीन के लिए भी प्रयास किए जाएंगे।
—-इन्द्रराज गुर्जर, विधायक, विराटनगर।
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दुर्घटना में मौत होने पर पोस्टमार्टम के लिए शव को कोटपूतली ले जाना पड़ता है। पावटा सीएचसी में मोर्चरी का अभाव है। इससे समय अधिक लगता है। ऐसे में थाने का अन्य कार्य भी प्रभावित होता है। मृतक के परिजन भी परेशान रहते है। एक साल में करीब ४० शवों का पोस्टमोर्टम करवाया गया है।
—हितेश शर्मा, थाना प्रभारी, प्रागपुरा।
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