जानकारी के अनुसार सुंदरपुरा निवासी जगन्नाथ प्रसाद व अजय यादव खेत में जा रहे थे। इसी दौरान गुर्जरों की ढाणी में रास्ते में एक जानवर दिखाई दिया। जानवर को अंधेरे में देखकर घबरा गए। जब टॉर्च जलाकर देखे तो मगरमच्छ का बच्चा निकला जो भटक कर रास्ते में आ गया था। उन्होंने शौर मचाया तो मगरमच्छ बोदूराम गुर्जर व घासीराम के मकान में घुस गया, जहां ग्रामीणों ने उसे घेर लिया और काफी मशक्कत के बाद एक लोहे के पिंजरे में कैद किया। ग्रामीणों ने रात को ही वन विभाग के कर्मचारियों को सूचना दी, लेकिन कोई मौके पर नहीं आया। इस दौरान मगरमच्छ को देखने के लिए महिलाओं व बच्चों की भीड़ जुट गई। गुरुवार सुबह वनपाल लालचंद रैगर मौके पर पहुंचा और मगरमच्छ के बच्चे का मुंह बांधकर एक कट्टे में बंद किया। बाद में वनरक्षक लालारामयादव के सुपुर्द किया, जहां से उसे मानपुरा माचैड़ी के आगे नदी क्षेत्र के जंगलात में छोड़ दिया। ग्रामीणों ने बताया कि आसपास कोई तालाब व नदी क्षेत्र भी नहीं है ऐसे में मगरमच्छ कहां से आया यह चर्चा का विषय बना रहा।
इनका कहना है- बारिश के कारण नमी व मिट्टी गिली होने से भटकता हुआ मगरमच्छ का बच्चा यहां आया है। इसकी उम्र करीब तीन-चार माह है। मगरमच्छ को सुरक्षित जंगलात अचरोल -मानपुरा नदी क्षेत्र में छोड़ दिया है।
लालचंद रैगर, वनपाल रेंज अचरोल।