रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने और हार्ट, बीपी, डाइबिटीज एवं मधुमेह रोगियों की दवा की डिमांड बाजारों में संचालित मेडिकल की दुकानों पर बराबर बनी हुई है। कोरोना काल शुरू होने के साथ क्षेत्र के कई अस्पतालों में आउटडोर भी कम हो गया है। मेडिकल संचालकों को सीधे कोई भी बीमारी की दवा देने पर प्रतिबंधित कर दिया गया। विराटनगर बीसीएम कार्यालय के अधीन अस्पताल में मार्च माह में आउटडोर 70697 और अप्रेल 51102 इतनी रह गई। इसके बाद मई में अब तक 35614 मात्र आउटडोर रही है।
लॉकडाउन के कारण लोंगों की दिनचर्या बदल गई है। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर आमजन अपने स्वास्थ्य के प्रति सावचेत है। दवा विक्रेता सीताराम का कहना है कि एंटीबायोटीक दवाओं की डिमांड 50 फीसदी रह गई है। हार्ट, बीपी, शुगर आदि डिमांड बराबर बनी हुई है। वहीं श्वसन तंत्र के उपचार में काम आने वाली दवाओं के साथ दर्द निवारक दवाओं की मांग तेजी से घटी है। एंटीबायोटिक दवाओं के स्टॉक भरा होने से मेडिकल संचालकों की चिंता बढ़ गई है। वैश्विक कोरोना महामारी के चलते विराटनगर ब्लॉक में मार्च माह से अस्पतालों में आउटडोर घटता जा रहा है। इसमें कमोवेश यह है कि आउटडोर पचास फीसदी आ रहा है।
लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों का आउटडोर करीब 50 फीसदी रह गया है। इस दौरान बीपी, शुगर व दिल के रोगी दवा लेने के अधिक आ रहे हैं। इसलिए भी बाजारों में दवाओं की मांग प्रभावित हो रही है।
डॉ. सुनील कुमार सिवोदिया, बीसीएमओ, विराटनगर