किसानों को बांटे मृदा कार्ड, खा रहे धूल
केंद्र सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से अब भी कई किसान दूर, लेकिन कार्ड उपयोग की जानकारी नहीं दी

आंतेला। विभागीय अनदेखी से केंद्र सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना कागजों तक सीमित रह गई। कृषि विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र में मृदा के नमूनों की जांच कर भूमि की उर्वराशक्ति का लैबों में परीक्षण करवाकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों वितरण भी कर दिए, लेकिन वे आज तक उपयोग में नहीं आ पाए। विभागीय लचर व्यवस्था और प्रचार-प्रसार नहीं होने से किसान समझ ही नहीं पाया। भाबरू सहायक कृषि अधिकारी का कहना है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत पिछले चार साल में 9800 किसानों को मृदा परीक्षण कार्ड का वितरण किया जा चुका है, लेकिन कार्ड का महत्व एवं जानकारी के अभाव में उन पर धूल चढ़ रही है।
9800 मृदा कार्ड बनाकर किसानों को बांट दिए
केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 फरवरी में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य था कि खेतों की मिटट्ी की गुणवत्ता का पता लगाकर किसान कम लागत में अच्छी पैदावार ले सके। सहायक कृषि अधिकारी रामप्रकाश खडेलवाल ने बताया कि इलाके में सिंचित व असिंचित क्षेत्र मिटट्ी के करीब 2624 नमूनों की जांच कराई। जिसमें 9800 मृदा कार्ड बनाकर किसानों को बांट दिए। हाल तो यह है कि कई किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं है। चार साल में ग्रामीण क्षेत्र के 90 प्रतिशत किसानों ने कृषि विभाग के अनुरुप कार्ड अनुसार उर्वरकों का उपयोग किया है।
कार्ड उपयोग की जानकारी नहीं दी
कृषि कर्मचारी ने एक कार्ड तो दिया था, लेकिन कार्ड का उपयोग मेरी समझ से दूर है। कार्ड घर रखा है, अभी तक कोई काम नहीं आया। विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने अब तक इसके उपयोग की जानकारी नहीं दी। ऐसी योजना के बारे में ग्रामीण क्षेत्र में कौन पूछता है। विभाग कागजी खानापूति कर रहा है।
-सरदारमल यादव, निवासी पीपली स्टैंड आंतेला
कार्ड की जानकारी, धूल चढ़ रही
- कृषि विभाग ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड तो बांट दिए, लेकिन विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने इसकी उपयोगिता के बारे हमें कोई जानकारी नहीं दी। जानकारी के अभाव में कार्ड पर धूल चढ़ रही है, क्योंकि पता नहीं की कितनी मात्रा में क्या क्या डालना है, काफी समय से कार्ड बनकर घर रखा हुआ है।
-पुरुषोत्तम स्वामी, निवासी हनुमान नगर (आंतेला)
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