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दिव्यांग के परिवार को मिला संबल, पेंशन के बाद अब दोनों बेटियों को पालनहार योजना का मिला लाभ

locationबस्सीPublished: Nov 23, 2021 09:37:48 pm

-दिव्यांग श्रवण सिंह के परिवार को पीएम आवास योजना का लाभ दिलाने का भी प्रशासन ने दिया आश्वासन
 
 
 
 
-दिव्यांग ने पत्रिका को दिया साधुवाद

दिव्यांग के परिवार को मिला संबल, पेंशन के बाद अब दोनों बेटियों को पालनहार योजना का मिला लाभ

दिव्यांग के परिवार को मिला संबल, पेंशन के बाद अब दोनों बेटियों को पालनहार योजना का मिला लाभ


शाहपुरा।

शाहपुरा की ग्राम पंचायत साईवाड़ के रघुनाथपुरा गांव निवासी दोनों हाथ और एक पैर से दिव्यांग श्रवण सिंह भाटी के परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने से संबल मिला है। दिव्यांग की पिछले माह पेंशन शुरू होने होने के बाद अब उसकी दोनों बेटियों को पालनहार योजना की स्वीकृति मिलने से परिवार को आर्थिक संबल मिलेगा।
इस मामले में राजस्थान पत्रिका की ओर से लगातार खबरें प्रकाशित कर दिव्यांग की पीड़ा उजागर करने के बाद स्थानीय प्रशासन ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर दिव्यांग को सरकारी योजनाओं का लाभ शुरू कराया है। एसडीएम शाहपुरा मनमोहन मीणा ने बताया कि दिव्यांग श्रवण सिंह की पिछले माह पेंशन स्वीकृत हो चुकी है। इसके बाद अब उसकी 8 साल और 4 साल की बेटियों की पालनहार योजना के लाभ की स्वीकृत भी मिल गई है। इससे दिव्यांग के परिवार को आर्थिक संबल मिलेगा।
साथ ही दिव्यांग की मां का पीएम आवास योजना के चयनितों की सूची में नाम होने से विकास अधिकारी रामचन्द्र मीणा व ग्राम विकास अधिकारी महेश कुमार ने शीघ्र ही आवास योजना का लाभ दिलाने का भी आश्वासन दिया है। जिससे उसे सिर छिपाने को भी छत मिल सकेगी। इधर, सरकारी योजना का लाभ शुरू होने से दिव्यांग श्रवण सिंह की अंाखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

आर्थिक संकट से जूझ रहा था परिवार, पत्रिका ने उजागर की पीड़ा तो मिली राहत

रघुनाथपुरा निवासी दिव्यांग श्रवण सिंह भाटी आंध्रप्रदेश में एक आटा मील में मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करता था। करीब दो साल पहले आटा मील में बिजली करंट की चपेट में आने से हुए हादसे में उसने दोनों हाथ व एक पैर हमेंशा के लिए खो दिया। अपाहिज होने से अब वह मेहनत का कोई कार्य नहीं कर सकता। ऐसे में उसके परिवार के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया।
उसने 20 सितम्बर को पेंशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन उसका आवेदन निरस्त कर दिया। इसके बाद उसके कई बार सरकारी कार्यालयों के चक् कर लगाए, लेकिन उसे राहत नहीं मिली। दो बार प्रशासन गांवों के संग अभियान में भी गया, लेकिन तकनीकी खामी के चलते वहां भी राहत नहीं मिली।
इसके बाद राजस्थान पत्रिका ने 13 अक्टूबर को दिव्यांग पेंशन के लिए डेढ माह से दफ्तरों के चक्कर और 22 अक्टूबर को दिव्यांग को अभियान में भी नहीं मिल रही राहत शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर उसकी पीड़ा को प्रमुखता से उजागर किया।
जिस पर एसडीएम ने समाज कल्याण विभाग के उच्चाधिकारियों से वार्ता कर तकनीकी समस्या को दूर कराकर २३ अक्टूबर को पेश्ंान स्वीकृति आदेश कराए। अब नवम्बर माह में दिव्यांग की दोनों बेटियों को पालनहार योजना का लाभ भी शुरू हो गया है।

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