शाम को नहीं होती सोनोग्राफी…
सरकार प्रसूताओं की देखभाल के लिए भरसक प्रयास कर रही है लेकिन शाम (OPD) के समय बस्सी सीएचसी में सोनोग्राफी (sonography) नहीं होने से प्रसूताओं को अगले दिन सुबह तक इंतजार करना पड़ता है। तब तक वे उपयुक्त दवा नहीं मिल पाती हैं या फिर प्रसूताओं को बाहर निजी लैब में जाकर महंगे दामों पर सोनोग्राफी (sonography) करवानी पड़ती है। शाम के समय अक्सर प्रसूताएं और उनके परिजन अस्पताल में आकर संशय में पड़ जाते हैं कि सुबह का इंतजार करें या फिर बाहर जाकर जांच करवाएं। परिजन दुबारा आने के फेर में निजी लैब में जांच करवाना उचित समझते हैं। वहीं कुछ सुबह की ओपीडी (OPD)में सोनोग्राफी(sonography)करवाते है।
सरकार प्रसूताओं की देखभाल के लिए भरसक प्रयास कर रही है लेकिन शाम (OPD) के समय बस्सी सीएचसी में सोनोग्राफी (sonography) नहीं होने से प्रसूताओं को अगले दिन सुबह तक इंतजार करना पड़ता है। तब तक वे उपयुक्त दवा नहीं मिल पाती हैं या फिर प्रसूताओं को बाहर निजी लैब में जाकर महंगे दामों पर सोनोग्राफी (sonography) करवानी पड़ती है। शाम के समय अक्सर प्रसूताएं और उनके परिजन अस्पताल में आकर संशय में पड़ जाते हैं कि सुबह का इंतजार करें या फिर बाहर जाकर जांच करवाएं। परिजन दुबारा आने के फेर में निजी लैब में जांच करवाना उचित समझते हैं। वहीं कुछ सुबह की ओपीडी (OPD)में सोनोग्राफी(sonography)करवाते है।
शाम की ओपीडी (OPD) में भी हो जांचें…
अस्पताल में सोनोग्राफी (sonography) ही नहीं एनसीडी क्लिनिक भी नहीं चलता है। साथ ही अवकाश के दिनों में भी क्लिनिक नहीं चलने से मरीजों को परेशानी होती है। यदि सरकार शाम की ओपीडी और अवकाश के दिन भी एनसीडी क्लिनिक शुरू हो तो मरीजों को इसका लाभ मिल सकता है। इसके लिए लैब टैक्नीशियन सहित अन्य स्टाफ का इजाफा करने से सुविधा मिल सकती है। अभी सीएचसी में 1 टीए, 2 लैब टैक्नीशियन, 2 लैब असिस्टेंट हैं।
अस्पताल में सोनोग्राफी (sonography) ही नहीं एनसीडी क्लिनिक भी नहीं चलता है। साथ ही अवकाश के दिनों में भी क्लिनिक नहीं चलने से मरीजों को परेशानी होती है। यदि सरकार शाम की ओपीडी और अवकाश के दिन भी एनसीडी क्लिनिक शुरू हो तो मरीजों को इसका लाभ मिल सकता है। इसके लिए लैब टैक्नीशियन सहित अन्य स्टाफ का इजाफा करने से सुविधा मिल सकती है। अभी सीएचसी में 1 टीए, 2 लैब टैक्नीशियन, 2 लैब असिस्टेंट हैं।
कर रहे 12 घंटे की ड्यूटी…
नर्सिंगकर्मियों की कमी के चलते बस्सी सीएचसी में नर्सिंगकर्मी 12 घंटे तक काम कर रहे हैं। रोस्टर के अनुसार ड्यूटी आने पर मरीजों के आने पर समय की बढ़ोतरी हो जाती है। उन्हें संभालना पड़ता है। साथ ही प्रसूता वार्ड में यशोदाएं ही पूरा काम संभाल रखा है। प्रसूता वार्ड में नर्सिंगकर्मी कभी कभार ही बैठ पाते हैं। प्रसूताओं को जरूरत पडऩे पर यशोदाओं को उन्हें बुलाकर लाना पड़ता है। इसके चलते इलाज में देरी हो जाती है। इलाज में देरी होने से प्रसूताएं कहराती रहती है।
नर्सिंगकर्मियों की कमी के चलते बस्सी सीएचसी में नर्सिंगकर्मी 12 घंटे तक काम कर रहे हैं। रोस्टर के अनुसार ड्यूटी आने पर मरीजों के आने पर समय की बढ़ोतरी हो जाती है। उन्हें संभालना पड़ता है। साथ ही प्रसूता वार्ड में यशोदाएं ही पूरा काम संभाल रखा है। प्रसूता वार्ड में नर्सिंगकर्मी कभी कभार ही बैठ पाते हैं। प्रसूताओं को जरूरत पडऩे पर यशोदाओं को उन्हें बुलाकर लाना पड़ता है। इसके चलते इलाज में देरी हो जाती है। इलाज में देरी होने से प्रसूताएं कहराती रहती है।
23 में से 8 पद 12 माह से रिक्त…
यहां फिलहाल फस्र्ट ग्रेड के 3, सैकण्ड ग्रेड के 15 और एएनएम के 5 पद स्वीकृत हैं। इनमें से सैकण्ड ग्रेड नर्स के 8 पद 30 जनवरी 2019 से रिक्त हैं, यानी पिछले 12 महीने से इन पदों को भरा ही नहीं जा सका। (OPD) इसका खामियाजा मरीजों के साथ दूसरे नर्सिंगकर्मियों को भी भुगतना पड़ रहा है।
यहां फिलहाल फस्र्ट ग्रेड के 3, सैकण्ड ग्रेड के 15 और एएनएम के 5 पद स्वीकृत हैं। इनमें से सैकण्ड ग्रेड नर्स के 8 पद 30 जनवरी 2019 से रिक्त हैं, यानी पिछले 12 महीने से इन पदों को भरा ही नहीं जा सका। (OPD) इसका खामियाजा मरीजों के साथ दूसरे नर्सिंगकर्मियों को भी भुगतना पड़ रहा है।