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Lockdown: रोजगार का संकट, मजदूरों का नहीं थम रहा पलायन

locationबस्सीPublished: May 06, 2020 10:20:09 am

Submitted by:

vinod sharma

लॉकडाउन के 43 दिन बाद भी सामान लादे पलायन करते नजर आ रहे मजदूर

Lockdown: रोजगार का संकट, मजदूरों का नहीं थम रहा पलायन

Lockdown: रोजगार का संकट, मजदूरों का नहीं थम रहा पलायन

बस्सी/बांसखोह(जयपुर)। महामारी का भय बना हुआ है। इसलिए लॉकडाउन भी लागू है। पता नहीं कब तक बढ़ता रहेगा। ऐसे में रोजगार तो पहले ही छिन गया और यूं यहां-वहां ठाले बैठे हर रोज पेट भरने को रोटी भी कब तक मिल पाएगी। इसलिए लौट जाना ही बेहतर है। परिवार के साथ घरवालों के पास। ये कहना है उन मजदूरों का, जो अब भी अपने गांव, जिलों और राज्यों को पलायन कर रहे हैं। लॉकडाउन के तीसरे चरण की शुरुआत के साथ नियमों में थोड़ी छूट मिलते ही एक बार फिर मजदूरों का ये पैदल पलायन बढ़ गया है। यही वजह है कि मंगलवार को जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर दौसा की ओर बच्चे, युवा, महिला-पुरुष मजदूरों की संख्या बढ़ी नजर आई। दौसा, भरतपुर, करौली जिलों की सीमाओं को पार कर अधिकांश मजदूर उत्तरप्रदेश और मध्यपद्रेश राज्यों की ओर रवाना हैं। सुबह 6 बजे से देर शाम तक सैकड़ों की संख्या में सिर पर सामान लादे ये मजदूर आगे बढ़ते रहे।
यूपी, एमपी और बिहार की ओर बढ़े…
लॉकडाउन 43 दिन बाद भी अभी मजदूरों को लेकर हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं, बल्कि अब तो बाहर से आकर बसे मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में अब तक इन मजदूरों का पलायन रुक नहीं रहा है। जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर अब भी प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में मजदूर पैदल ही अपना सफर तय कर रहे हैं। जयपुर सहित अन्य इलाकों से पैदल ही मजदूर यूपी, एमपी बिहार की ओर जा रहे हैं।
रोजगार नहीं तो रोटी भी नहीं…
जयपुर से बिहार की ओर पैदल जा रहे मजदूरों के एक दल ने बताया कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में रोजगार चलने की उम्मीद जगी थी लेकिन अभी तक रोजगार शुरू नहीं हुआ। बिहार के गया जिले के मजदूर सुरेन्द्र, लखन, सोमदेव आदि ने बताया कि जयपुर रिंग रोड कार्य में मजदूरी करते थे। इतने दिन से ठेकेदार ही खाना खिला रहा था। लेकिन अब काम शुरू नहीं होने से ठेकेदार ने भी खाने से भी मना कर दिया। गांव जाने के लिए कह दिया। इस पर मजदूर सोमवार सुबह से ही पैदल ही बिहार के लिए रवाना हो गये।
समय पर नहीं मिली जानकारी…
आगरा की ओर जा रहे कुछ मजदूरों ने बताया कि ट्रेन से जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराया, लेकिन समय पर जानकारी नहीं मिलने से ट्रेन भी नहीं मिली। इसलिए अब पैदल जाना ही बेहतर समझा। यह मजदूर सिर पर सामान का बोझा रखकर पैदल ही भूखे प्यासे अपने-अपने गांव की कूच कर रहे हैं। मजदूरों ने बताया कि खाने के लिए पैसा भी नहीं है। अब जो भगवान को मंजूर होगा वही सहन करेंगे। रात में सड़क मार्ग पर ही अपना बिछोना बनाएंगे।
प्रशासन को कोस रहे…
इधर, बड़ी तादाद में पैदल जा रहे मजदूरों को देखते हुए स्थानीय प्रशासन के प्रयासों की भी पोल खुलती नजर आ रही है। बिना किसी चिकित्सा जांच और रोकटोक के ये श्रमिक हजारों कोस का सफर तय करेंगे। राजमार्ग पर खोखावाला, मानसरखेडी, बैनाड़ा मोड़, टोल के आसपास जहां छाव देखी, वहां हार थक कर ये मजदूर सुस्ता लेते हैं। कभी पानी, तो कभी भूख से परेशान होने पर स्थानीय प्रशासन को कोसते हैं।
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