डॉ. रतन सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि 1 पीपीएम से अधिक मात्रा में पानी में फ्लोराइड की मात्रा एवं खाद्य पदार्थों में फ्लोराइड की मात्रा शरीर में जाने से फ्लोरोसिस रोग हो सकता है।
फ्लोरोसिस बीमारी की रोकथाम व बचाव के उपाय बताए इस रोग से वृद्धावस्था के लक्षण प्रकट हो जाते हैं जैसे कि शरीर में कूबड़ होना, घुटनों में दर्द होनेा, दांत पीले होना एवं अन्य कई प्रकार के मानसिक अवसाद, नपुंसकता, शारीरिक कमजोरी, बार बार प्यास लगना, बार बार पेशाब जाना इत्यादि लक्षण देखने को मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि कम्युनिटी में हैल्थ एजुकेशन और बिहेवियर चेंज करके, खानपान में परिवर्तन कर नियंत्रण करने की विधियों का उपयोग करने के साथ ही वाटर हार्वेस्टिंग से वर्षा जल संग्रहण कर काम में लेने, विटामिन सी युक्त भोज्य पदार्थ एवं दूध, दही का अधिक सेवन करने से इस बीमारी से बचाव हो सकता है। विटामिन बी, विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेंट सप्लीमेंट्री फूड के रूप में उपयोग करने से भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।
बीसीएमएचओ शाहपुरा डॉ. विनोद शर्मा ने सभी प्रतिभागी आशा, एएनएम, आशा सुपरवाइजर, जीएनएम आदि को प्रशिक्षण की संक्षिप्त गुणवत्ता और बीमारी से बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला गया। प्रशिक्षण में खंड कार्यक्रम अधिकारी अर्जुन लाल चौधरी, खंड कार्यक्रम प्रबंधक, डॉ दीपक कुमार, देवेंद्र एवं सीएचसी का नर्सिंग स्टाफ सहित अन्य कार्मिकों ने हिस्सा लिया।