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लॉकडाउन में घटी पारिवारिक दूरियां, सुबह से रात तक एक-दूसरे को संभालते हैं परिजन

locationबस्सीPublished: Jun 02, 2020 11:50:26 pm

Submitted by:

vinod sharma

गांव के मोड़ पर स्थित दुकान पर पारिवारिक हालचाल जानते ग्रामीण

लॉकडाउन में घटी पारिवारिक दूरियां, सुबह से रात तक एक-दूसरे को संभालते हैं परिजन

लॉकडाउन में घटी पारिवारिक दूरियां, सुबह से रात तक एक-दूसरे को संभालते हैं परिजन

बस्सी (जयपुर). दूध सप्लायर दामोदर गुर्जर सुबह पहले जब घर से अपने काम पर निकलता था, तो घर के बच्चे सोते रहते थे। वहीं दूसरे बड़े-बुजुर्ग भी अपने काम में व्यस्त दिखाई पड़ते थे। ऐसे ही परचून दुकान करने वाला प्रसादीलाल दुकान खोलने के लिए सुबह घर से निकलता था तो परिवार में कोई उससे यह नहीं पूछता था कि दोपहर को खाने खाने कब आओगे। लेकिन अब इसके विपरीत पारिवारिक माहौल देखने को मिल रहा है।
दिनचर्या में एकाएक आया परिवर्तन…
दोनों जब घर से निकलते हैं तो दूसरे सदस्य उनके साथ मिलकर चाय पीते हैं। रात को काम से लौटने का इंतजार कर साथ में भी खाते हैं। यह केवल खोखावाला गांव के दो परिवारों की दिनचर्या में एकाएक आया परिवर्तन नहीं है, बल्कि अमूमन हर एक उस घर-परिवार की स्थिति है जो लॉकडाउन के दौरान प्रभावित हुआ है। यहां अब अधिकांश घरों में सुबह उठने से रात को सोने तक सदस्य एक-दूसरे को संभालते रहते हैं।
रिश्तों को समझने लगे हैं युवा —-
जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग से लगते इस गांव में अधिकांश परिवार शिक्षित और नौकरीपेशे वाले हैं। ऐसे में सभी अपने-अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे। मगर अब स्थितियां एकदम से बदल गई हैं। लोग नौकरी और काम-धंधो पर तो अभी भी जा रहे हैं लेकिन परिवार को समय देकर। यहां जब परचून दुकान पर बैठे लोगों से गांव में आए बदलाव के बारे में पूछा तो उन्होंने एकदम से कहा कि अब बच्चे और युवा रिश्तों को समझने लगे हैं। बच्चे अपनों से बड़ों और युवा अपने घर के बुजुर्गों के बीच समय बिताने लगे हैं।
रसोई और खेती में ले रहे रुचि—
दुकान पर बैठे किसान रामजीलाल ने बताया कि इतना ही नहीं कई घरों में तो पढ़ी-लिखी लड़कियां रसोई और खेती में रुचि ले रही हैं। मां के साथ रसोई में हाथ बंटाने के अलावा पिता को खेती में नवाचार के किस्से सुनाती हैं। यहीं थोड़ी दूर चाय की एक थड़ी पर बैठे बुजुर्गों ने भी लॉकडाउन के दौरान बच्चों का अपनी संस्कृति से जुडऩे पर प्रसन्नता जताई।
घर के आंगन में लौटी रौनक—
रोठीमल, हरध्यान, रामफूल आदि उम्रदराज लोगों ने बताया कि हम जब घर से बाहर निकलते हैं, तो बच्चे पूछते हैं दादा कहां जा रहे हो। घर जल्दी आना। ज्यादा दूर मत जाना। इससे पहले उनमें इतना अपनापन कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि गांव के रास्ते जरूर सुनसान पड़े हैं, लेकिन घरों के आंगन में जैसे रौनक लौट आई है।
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