खेतों में रोहू, कतला, मृगल, टायगर, ग्रासकार्प, कामन कार्प किस्म की मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं। मीठे तालाब की मछलियों का मांग अधिक रहती है, जबकि समुद्र की मछलियों की कम। इसलिए इन मछलियों के भाव भी अच्छे मिलते हैं। मछलियों के पालने के दौरान भोजन की चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। अधिकांश भोजन सामग्री खेतों पर ही तैयार हो जाती हैं। इसमें गाय का गोबर, मुर्गी की बीट, हरा चारा, खेत की खराब हरी सब्जी और फू्रट जो मंडी नहीं ले जाते काट कर डाल सकते हैं। इसके अलावा मक्का का दलिया, सोयाबीन और गेहूं की की चापड़ आदि का उपयोग किया जा सकता है। यही पानी पौषक तत्वों के साथ फसलों में खाद का काम करता है। पालन के बाद जयपुर और दिल्ली मंडी सहित कई व्यापारी फार्म पर आकर ही मछली ले जाते हैं।
खेत में दो फार्म पौंड बना रखे हैैं। एक बीघा में कृषि विभाग की योजना अन्तर्गत 50 प्रतिशत सब्सिडी पर बारिश का पानी संग्रहित कर गर्मी के दिनों में सिंचाई की पूर्ति करने के लिए बनाया है, एक निजी है। एक बीघा फार्म पौंड जुलाई में 20 हजार मछली बीज कोलकाता से लाकर डाली। 80 पैसे से 1 रुपए तक प्रति बीज मिला। 15 से 20 लाख रुपए तक मुनाफे का अनुमान है।
सुरेंद्र अवाना, ग्राम बिचून
प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत सब्सिडी में फार्म पौंड बनाकर मछली पालन कर रहा हूं। अगस्त में 90 हजार बीज टायगर, रोहू, कतला के डाले थे। 14 माह में प्रति मछली 1 किलो से अधिक वजन में तैयार हो जाएगी। 300-400 ग्राम के हो चुके हैं। भाव 80 से 125 रुपए किलो से मिलेंगे।
बिरदीचंद, ग्राम महेशवास
इस साल फार्म पौंड में मछली पालन शुरू किया है। 10 क्ंिवटल, 15 हजार बीज मछली के डाले हैं, तीन माह हो चुके हैं और प्रति बीज 600-700 ग्राम वजन में मछली चुकी है। जून-जुलाई तक तैयार हो जाएगा। चार बीघा में फार्म पौंड बनाया है।
कमलकिशोर, ग्राम खटवाड़
खेत में बना रखे फार्म पौंड में मछली पालन करना शुरू किया है। दो माह हो चुके है, 51 हजार बीज डाले हैं। मछली बीज मध्यप्रदेश से मंगवाए थे, 85 पैसे का प्रति बीज मिला है। रोहू और कतला किस्म की मछली है।
कजोड़ बूरी, ग्राम बसेड़ी
कृषि विभाग बारिश का पानी एकत्रित करने के लिए फार्म पौंड योजना है, इसमें फार्म पौंड बनवाते हैं और किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान मिलता है। किसानों को मछली पालन के लिए प्रेरित है, ताकि आय दुगनी हो।
ईश्वरलाल गौड़, सहायक कृषि अधिकारी, बिचून