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यह कैसा निरीक्षण, मौखिक दिशा निर्देश देकर लौटे अधिकारी

locationबस्सीPublished: May 28, 2019 08:23:34 pm

-नियम दरकिनार, प्रशासन मौन-शाहपुरा में नियम विरुद्ध चल रहे कोचिंग सेंटर व लाइब्रेरी

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यह कैसा निरीक्षण, मौखिक दिशा निर्देश देकर लौटे अधिकारी


शाहपुरा.
सूरत के तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में संचालित कोचिंग सेंटर में आगजनी की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। घटना के बाद से पूरे देश में उदासी का माहौल है। इस खौफनाक हादसे के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों की नींद नहीं उड़ी है। यहां शाहपुरा कस्बे में नियम विरुद्ध कई लाइब्रेरी व कोचिंग सेंटर संचालित है, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई की कोई सुध नहीं ली जा रही है। हालांकि मंगलवार को शाहपुरा अग्निशमन शाखा के प्रबंधक ने कई कोचिंग सेंटर, लाइबे्ररी और निजी हॉस्पिटल का निरीक्षण किया, लेकिन वह भी रस्मअदायगी साबित हुआ। जांच के दौरान लाइब्रेरी व अस्पताल के पास फायर एनओसी नहीं मिली। भवनों में किसी भी प्रकार के फायर सेफ्टी उपकरण नहीं थे। संस्थाओं में न फायर किट मिले न आग बुझाने के लिए बालू किट। जहां हादसा होने पर कुआं खोदने जैसी स्थिति हो सकती है। निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी महज मौखिक दिशा निर्देश देकर लौट आए। हालांकि लाइब्रेरी संचालकों को फायर सेफ्टी उपकरण लगाने के लिए 2 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि फ्यूचर लाइब्रेरी, एक निजी अस्पताल, त्रिवेणी और शाहपुरा लाइबे्ररी में निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि फ्यूचर लाइब्रेरी में ६५ बच्चे नामांकित मिले। जहां फायर सेफ्टी उपकरण नहीं मिले। इसी तरह शाहपुरा लाइब्रेरी में ८५ और त्रिवेणी लाइब्रेरी में भी ८५ बच्चे नामांकित है। यहां भी फायर सेफ्टी उपकरण नहीं मिले है। इस दौरान अग्निशमन शाखा प्रबंधक आनन्द जांगिड़, फायरमैन धर्मेन्द्र यादव, चौथमल सामोता, मुरलीधर थालोड, अमरसिंह गुर्जर आदि मौजूद रहे।
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आखिर कब उड़ेगी शिक्षा विभाग की नींद, बिना रजिस्ट्रेशन चल रहा है व्यापार
यहां अधिकांश कोचिंग सेंटर्स बिना पंजीकरण के भी बड़ी आसानी से फल-फूल रहे है। सुरक्षा मापदंडों को ताक में रखकर कोचिंग सेंटर एवं लाइब्रेरी संचालित है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने से पीछे हट रहे है। इनमें सुरक्षा नाममात्र की भी उपलब्ध नहीं है और ना ही ये निर्धारित मापदंडों के अनुसार संचालित किए जा रहे है। उक्त सेंटर शिक्षा विभाग से भी रजिस्टर्ड नहीं है। नियमों को दरकिनार कर कस्बे की शायद ही कोई ऐसी गली होगी। जहां कोई कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरी संचालित नहीं है।
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मौत के मुंह में पढ़ रहे बच्चे
जांच टीम ने बताया कि कई दर्जन शैक्षणिक संस्थानों में हजारों छात्रों का पंजीयन है। इसके बाद भी संचालकों की ओर से आग से बचाव के इंतजामों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। संस्थानों में फायर सेफ्टी इंतजाम न होने के साथ ही आग लगने पर निकासी के लिए कोई एग्जिट दरवाजा भी नहीं है। जांच में यह बात सामने आई कि कोचिंग सेंटरों में छात्रों के अंदर जाने और बाहर आने का एक ही रास्ता है। सीढिय़ा भी संकरी है। ऐसे में यदि संस्थान में आग्नि हादसा हो जाए तो बच्चों का बाहर निकलना संभव नहीं है।
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इनका कहना है—
निरीक्षण किया है। मौखिक दिशा निर्देश दिए गए है। नियमों की पालना नहीं करने पर नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।
—-आनन्द जांगिड़, अग्निशमन शाखा प्रबंधक, शाहपुरा।
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