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इसके बावजूद जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं। इससे न सिर्फ ढूंढ नदी का अस्तित्व खतरे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। जिम्मेदारों की सुस्ती के चलते खनन माफिया बजरी की मनमानी कीमत वसूलकर चांदी कूट रहे हैं। सड़कों पर धड़ल्ले पर बजरी से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियां दौड़ रही हैं, लेकिन कार्रवाई करने वाला कोई नहीं। रात्रि और तड़के बजरी से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियां भरकर बिकने के लिए रवाना होती है। सूत्रों की मानें तो बजरी से भरी एक ट्रैक्टर ट्रॉली की कीमत आठ से दस हजार रुपए तक है।
इसके बावजूद जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं। इससे न सिर्फ ढूंढ नदी का अस्तित्व खतरे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। जिम्मेदारों की सुस्ती के चलते खनन माफिया बजरी की मनमानी कीमत वसूलकर चांदी कूट रहे हैं। सड़कों पर धड़ल्ले पर बजरी से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियां दौड़ रही हैं, लेकिन कार्रवाई करने वाला कोई नहीं। रात्रि और तड़के बजरी से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियां भरकर बिकने के लिए रवाना होती है। सूत्रों की मानें तो बजरी से भरी एक ट्रैक्टर ट्रॉली की कीमत आठ से दस हजार रुपए तक है।
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खोदे गहरे गड्ढे, लगाए पैड़े
ढूंढ नदी क्षेत्र में जहां खनन हो रहा है। इसके आस-पास कानोता, लखेसरा, सांभरिया, बगराना एवं रामसिंहपुरा गांव स्थित हैं। खनन माफिया ने अवैध खनन के लिए क्षेत्र में जेसीबी से गहरी खाई बनाकर ऊपर लोहे के जाल (पैडे) लगा रखे हैं। 100-150 मीटर क्षेत्र में यह पैडे तीन-चार स्थानों पर लगा रखे हैं। अवैध कारनामे को अंजाम देने वाले लोग खाइयों में ट्रैक्टर ट्रॉली खड़ा कर देते हैं और पैडों के सहयोग से दूसरे ट्रैक्टर कड़ाइयों से गड्ढों में खड़ी ट्रॉलियों में बजरी भरते हैं। यह काम दिन-रात होता है और प्रशासन देखकर भी अनदेखी कर रहा है। इससे नदी का स्वरूप खतरे में है।
खोदे गहरे गड्ढे, लगाए पैड़े
ढूंढ नदी क्षेत्र में जहां खनन हो रहा है। इसके आस-पास कानोता, लखेसरा, सांभरिया, बगराना एवं रामसिंहपुरा गांव स्थित हैं। खनन माफिया ने अवैध खनन के लिए क्षेत्र में जेसीबी से गहरी खाई बनाकर ऊपर लोहे के जाल (पैडे) लगा रखे हैं। 100-150 मीटर क्षेत्र में यह पैडे तीन-चार स्थानों पर लगा रखे हैं। अवैध कारनामे को अंजाम देने वाले लोग खाइयों में ट्रैक्टर ट्रॉली खड़ा कर देते हैं और पैडों के सहयोग से दूसरे ट्रैक्टर कड़ाइयों से गड्ढों में खड़ी ट्रॉलियों में बजरी भरते हैं। यह काम दिन-रात होता है और प्रशासन देखकर भी अनदेखी कर रहा है। इससे नदी का स्वरूप खतरे में है।
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वसूल रहे मुंहमांगे दाम
रोक से पहले ट्रैक्टर ट्रॉली में 100 फीट बजरी के करीब 4 हजार वसूले जाते थे, लेकिन बजरी खनन पर रोक के बाद माफिया 8-10 हजार रुपए प्रति ट्रॉली बेच रहे हैं।
वसूल रहे मुंहमांगे दाम
रोक से पहले ट्रैक्टर ट्रॉली में 100 फीट बजरी के करीब 4 हजार वसूले जाते थे, लेकिन बजरी खनन पर रोक के बाद माफिया 8-10 हजार रुपए प्रति ट्रॉली बेच रहे हैं।
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रोजाना 100-150 ट्रॉली खनन
सूत्रों की मानें तो खनिज विभाग की ढिलाई से यहां दिन में गिनी-चुनी ट्रैक्टर ट्रॉलियां बजरी से भरकर रवाना होती है, लेकिन जैसे ही रात होती है तो जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉलियों का जमघट लग जाता है। इसके चलते यहां तड़के 3 से 5 बजे तक बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियां बजरी भरकर रवाना हो जाती हैं।
रोजाना 100-150 ट्रॉली खनन
सूत्रों की मानें तो खनिज विभाग की ढिलाई से यहां दिन में गिनी-चुनी ट्रैक्टर ट्रॉलियां बजरी से भरकर रवाना होती है, लेकिन जैसे ही रात होती है तो जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉलियों का जमघट लग जाता है। इसके चलते यहां तड़के 3 से 5 बजे तक बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियां बजरी भरकर रवाना हो जाती हैं।
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खुले में दौड़ रहे बजरी से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली
सूत्रों की मानें तो बस्सी, सांभरिया, कानोता, नायला, तूंगा, कोटखावदा, चाकसू व जमवारामगढ़ क्षेत्र में बजरी से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली दौड़ते हुए देखी जा सकती हैं, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। कभी-कभार जरूर पुलिस और खनन विभाग के अधिकारी एक-दो ट्रॉली पकड़ लेते हैं, जबकि खनन नदी क्षेत्र में हो रहा है। वहां जिम्मेदार कार्रवाई नहीं करते है।
खुले में दौड़ रहे बजरी से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली
सूत्रों की मानें तो बस्सी, सांभरिया, कानोता, नायला, तूंगा, कोटखावदा, चाकसू व जमवारामगढ़ क्षेत्र में बजरी से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली दौड़ते हुए देखी जा सकती हैं, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। कभी-कभार जरूर पुलिस और खनन विभाग के अधिकारी एक-दो ट्रॉली पकड़ लेते हैं, जबकि खनन नदी क्षेत्र में हो रहा है। वहां जिम्मेदार कार्रवाई नहीं करते है।
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इनका कहना है
मैंने हाल ही कार्यभार संभाला है। ढूंढ़ नदी में बजरी और मिट्टी खनन की शिकायत मिली है। ढूंढ़ नदी समेत अन्य क्षेत्र में किए जा रहे अवैध खनन की जगह चिह्नित करके कार्रवाई की जाएगी।
केसी गोयल, माइंस इंजीनियर, खान विभाग जयपुर
इनका कहना है
मैंने हाल ही कार्यभार संभाला है। ढूंढ़ नदी में बजरी और मिट्टी खनन की शिकायत मिली है। ढूंढ़ नदी समेत अन्य क्षेत्र में किए जा रहे अवैध खनन की जगह चिह्नित करके कार्रवाई की जाएगी।
केसी गोयल, माइंस इंजीनियर, खान विभाग जयपुर