कोरोना के दौर में भारत में मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है. ये वो दौर है जहां पर लोग मेंटल हेल्थ के बारे में बात करने से हिचकिचाते नहीं है. ऐसे में द होलिस्टिक लिविंग लोगों में संवेदनशीलता और समावेश की बढ़ती भावनाओं के साथ, मानसिक स्वास्थ्य के अलावा भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है. हमारा मानना है कि एक इंसान के नजरिए में सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि घर, परिवार, संबंध, आर्थिक सुरक्षा, करियर और भी कई चीजें शामिल होती हैं. आज से लगभग 30 साल पहले किसी नए छात्र का कॉलेज जाना और वहां सीनियर द्वारा उसकी रैंगिग एक आम बात मानी जाती थी. पर अब ये सभी बातें बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही है. पहले माता-पिता बच्चों को गलतियों पर डांटते थे. उनका मानना था कि ऐसा करने से बच्चे गलतियां दोहराते नहीं है पर अब बच्चों को डांटना, उन्हें पीटना मेंटल हेल्थ के लिए हानिकारक माना जाता है।