इनमार के अनुसार आईओटी प्रोजेक्ट अपनी कंपनियों के लिए वर्तमान में उनकी कुल लागत में 9 प्रतिशत की बचत कर रहे हैं। सर्वे में शामिल कंपनियों को एक साल में इस बचत के बढ़ कर 15 प्रतिशत, तीन साल में 22 प्रतिशत व पांच साल में 30 प्रतिशत तक हो जाने का अनुमान है।
इंटरनेट, डाटा की मदद से उपकरणों का प्री-प्रोग्राम संचालन और उन उपकरणों से प्राप्त डाटा के आधार पर उपकरणों का आगे और अधिक कुशल संचालन इंटरनेट ऑफ थिंग्स कहलाता है। स्मार्ट होम, एसी, टीवी, लाइट, पंखे, मीटर, वाहन मेंटेनेंस, वियरेबल्स, हेल्थ, स्मार्ट किचन जैसे उपकरण इसमें शामिल हैं। एक अनुमान के अऩुसार दुनियाभर में 2025 तक आईओटी कनेक्टेड उपकरणों (IOT connected devices) की संख्या 38.6 बिलियन तक पहुंच जाएगी।
उद्योग में चौथी क्रांति को इंडस्ट्री 4.0 कहा जाता है। यह क्रांति कम्प्यूटर सिस्टम्स के आपसी जुड़ाव से एकत्रित हो रही जानकारी के उपयोग से उद्योगों को अधिक सक्षम बनाने के दौर का नाम है। उद्योग क्षेत्र में तीसरी क्रांति कम्प्यूटर सिस्टम का प्रयोग थी।
राजस्थान में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस का इंटरनेट ऑफ थिंग्स में विशेष प्रयोग के लिए सरकार ने आईआईटी जोधपुर के साथ एआईओटी ( आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस ऑफ थिंग्स) एमओयू किया है जो सरकारी विभागों, जन योजनाओं और विभिन्न क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से इन्टरनेट संचालित उपकरणों का प्रयोग बढ़ाने के लिए काम करेगा। एआईओटी लैब की स्थापना के लिए फरवरी में करार हुआ है। वर्तमान में डीपीआर बन रही है। इसके संचालन के लिए सोसायटी एक्ट में कंपनी गठन की प्रक्रिया जारी है। अभी राजस्थान में सरकारी विभागों में पावर स्काडा, वाटर स्काडा जैसे आईओटी उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है। अस्पतालों सहित अन्य जगहों पर इसके उपयोग को बढ़ाने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही है।
प्रदेश में कई स्टार्टअप नई तकनीक, एआई, आईओटी पर काम कर रहे हैं। राज्य सरकार भी इसके लिए लैब स्थापित कर रही है। जिसकी प्रक्रिया जारी है। इच्छुक आईस्टार्ट पोर्टल पर ज्यादा जानकारी ले सकते हैं।
तपन कुमार ,
संयुक्त निदेशक, डीओआईटी, राजस्थान
क्या राज्य सरकार की नीतियां स्टार्टअप को बढ़ावा दे रही हैं? हां नहीं
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