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जेल में गुटबाजी का खेल, बंदियों में चले लात-घूंसे

locationबस्सीPublished: Jan 10, 2020 09:11:21 pm

Submitted by:

Arun sharma

पहले भी हो चुकी है बंदियों में मारपीट

जेल में गुटबाजी का खेल, बंदियों में चले लात-घूंसे

सगी बेटियों के साथ हैवानियत करने वाले पिता को सजा दिलाने सामने आई मां, अब जिंदगी भर जेल में सड़ेगा दुष्कर्मी पति,सगी बेटियों के साथ हैवानियत करने वाले पिता को सजा दिलाने सामने आई मां, अब जिंदगी भर जेल में सड़ेगा दुष्कर्मी पति,जेल में गुटबाजी का खेल, बंदियों में चले लात-घूंसे


कोटपूतली. यहां उप कारागृह में वसूली को लेकर मारपीट होने से एक बंदी घायल हो गया। बंदी को उपचार के लिए कस्बे के बीडीएम अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती कराया गया है। बंदी की पत्नी ने एसडीएम को ज्ञापन देकर जेल में वसूली के लिए उसके पति से मारपीट करने का आरोप लगाया है। घायल बंदी राजेन्द्र खाट को ब्लात्कार के मामले में लोगों को फंसाने की धमकी देकर उन्हें ब्लेकमेल करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसके बाद उसे 30 दिसम्बर को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया था। इसकी पत्नी पंसस मायादेवी ने एसडीएम नानूराम सैनी को पत्र देकर बताया कि जेल में हत्या के आरोप में अभिरक्षा में चल रहे तीन बंदियों ने वसूली को लेकर उसके पति से मारपीट की। उसके पति के पहले से किडनी में पथरी है। इससे उसे दर्द रहता है। मारपीट में उसका दर्द बढ गया। तीनों आरोपी जेल में बंदियों से अवैध वसूली करते है और नहीं देने वालों से मारपीट करते है। इसमें कई जेल कर्मी भी मिले हुए है। पत्र में इन आरोपितों को यहां से दूसरी जेल में स्थानांतरित करने की मांग की है।
गुटबाजी आई सामने
संगीन मामलों में जेल में बंद आरोपियों के गुट बने हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, कई बंदी जेल से बाहर होने पर वसूली जैसे अपराध में शामिल पाए जाते हैं। क्षेत्राधिकार को लेकर कई बार इनमें आपसी संघर्ष भी होता है। गुटों में बंटे इन बंदियों को जेल प्रशासन अलग-अलग रखता है। जिससे रंजीश नहीं हो। बंदियों में आपसी संघर्ष पहले भी होने के मामले सामने आ चुके हैं। जेल में कई बार झगड़ भी चुके हैं। ऐसे में इनको अलग-अलग बैरक में रखते हैं।
पहले भी भिड़ चुके हैं बंदी
जेल की क्षमता 150 बंदियों की है। इसमें अभी 146 बंदी है। जेल में अधिक बंदी होने पर गुटबाजी की आशंका अधिक रहती है। जेल कर्मी उनके बिगडऩे के डर से भी उनकी जांच नहीं करते है। जेलर ने बताया कि जेल में कोटपूतली, प्रागपुरा, विराटनगर, शाहपुरा व मनोहरपुर थाने के विचाराधीन व न्यायिक अभिरक्षा रक्षा में चल रहे आरोपी बंद रहते है। (नि.सं.)
इस जेल से जब कैदी फरार हुए थे। उस समय जेल के उच्च अधिकारियों ने यहां का दौरा कर जेल के अन्दर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए निगरानी टावर बनाने व जेल की दीवारों पर ताराबंदी मजूबत करने की बात की थी। लेकिन इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। इस जेल में कई खुंखार प्रवृति के भी है जिनको काबू में करने के लिए जेल कर्मियों को मशक्कत करनी पड़ती है।
वर्जन
घायल व आरोपित बंदियों में पहले से रंजिश है। इसलिए इनको अलग अलग बैरक में रखा गया है। जेल में वसूली व झगड़े के आरोप निराधार है। बंदी को पेट में दर्द की शिकायत करने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया है।
ुसुरेश चंद शर्मा, उप कारापाल, उप कारागृह कोटपूतली
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