विद्या ५ माह की होने पर भी सही तरीके से मां का दूध नहीं पी पाती थी। मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले पिता पवन कुमार ने आर्थिक परेशानी की वजह से बेटी का उपचार नहीं करा पाए।
इसी दौरान शाहपुरा उपखण्ड की आरबीएसके मोबाइल हेल्प टीम की आयुष चिकित्सक डॉ. अर्चना योगी, डॉ. अशोक व फार्मासिस्ट कृष्णा सैनी ने शाहपुरा कस्बे के सेडकाबास आंगनबाडी केन्द्र पर बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान बालिका को देखकर पिता से संपर्क किया।
कटे-फटे होठ के चलते दूध नहीं पीने से बालिका काफी कमजोर थी। बच्ची का वजन भी सामान्य बच्चों से कम पाया गया। टीम ने परीक्षण के बाद माता-पिता को शाहपुरा के सरकारी अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाकर उपचार कराने की सलाह दी।
इसी दौरान चिकित्सक की सलाह से परिजन विद्या को शाहपुरा में आयोजित आरबीएसके कैंप में लेकर गए। जहां उसे नि:शुल्क ऑपरेशन के लिए चिह्नित कर लिया।
बाद में बीसीएमएचओ डॉ. विनोद शर्मा के निर्देशन में आरबीएसके टीम के सदस्यों ने सभी कागजी औपचारिकताएं पूरी कर विद्या को ऑपरेशन के लिए जयपुर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया। यहां पहले कम वजन होने के कारण उसे कुछ दिन भर्ती रखा गया और वजन बढऩे पर चिकित्सकों की टीम ने विद्या के कटे फटे होठों का सफल ऑपरेशन किया।
उसका उपचार आरबीएसके कार्यक्रम के तहत निशुल्क किया गया। इससे परिजनों में खुशी है। चिकित्सक डॉ. अर्चना योगी ने बताया कि अब विद्या बिल्कुल स्वस्थ है। सफल ऑपरेशन के बाद उसे जन्मजात विकृति से निजात मिल गई। अब वह दूध पी सकती हैं और बोलने में धीरे-धीरे मुंह भी खुलता जा रहा है। मुफ्त में हुए बच्ची के इस ऑपरेशन के बाद उनके माता-पिता और परिवार में भी खुशी है।
क्लेफ्ट पैलेट की जटिलता डॉ. अर्चना योगी ने बताया कि इस बीमारी में रोगी के मुंह के अंदर तालू का पूरा विकास नहीं हो पाता। मुंह के ऊपरी हिस्से से नाक तक गहरा घाव जैसा आकार बन जाता है। कुछ बच्चों में यह कटे हुए का निशान ऊपरी होठ तक आ जाता है और उनके कटे हुए होठ दिखाई देते हैं। इस विकृति से बच्चे को बोलने और खाने पीने की समस्या भी होती है। बोलने पर आवाज नाक से आती है। साथ ही कटे होंठ व तालू की वजह से बच्चे को अपनी मां का दूध पीने, खाना खाने में भी परेशानी होती है। इसे क्लेफ्ट पैलेट बोलते हैं।
डॉ. योगी ने बताया कि इस तरह की जन्मजात शारीरिक विकृति जैसी गंभीर बीमारी बच्चों के लिए काफी प्राण घातक होती है। ऐसी बीमारी का समय पर उपचार जरूरी है। समय पर उपचार नहीं कराने पर खाने -पीने की चीजें श्वांस नली में जाकर श्वांस अवरुद्ध कर देती है, जो बच्चे के लिए प्राण घातक सिद्ध हो सकती है।