शाहपुरा। भारतीय सेना ने 23 साल पहले कारगिल युद्ध में भारत की सीमा में घुसे दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देकर ऐसा सबक सिखाया था कि यह दिन हमेंशा याद रहेगा। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के वीर जवानों ने पाक सैनिकों को बुरी तरह से धूल चटाई थी। इस युद्ध में बहुत से सैनिक मातृभूमि की रक्षा करते हंसते- हंसते वीरगति को प्राप्त हो गए। 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम देकर घुसपैठियों के चंगुल से भारत भूमि को मुक्त कराया था।
कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले देश के वीर शहीदों के सम्मान में यह दिवस विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले 1965 और 1971 में भी देश के वीर जवानों ने पाकिस्तान को उसी के घर में घुसकर मारा था। यह कहना है पूर्व कारगिल सैनिक व राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष रामसहाय बाजिया का।
कारगिल सैनिक बाजिया ने कारगिल युद्ध में अपना एक पैर गवां दिया था। अपने बुलंद हौसलों के चलते वे सेना में रहते हुए वीरता पुरस्कारों से भी नवाजे गए। कारगिल विजय दिवस के मौके पर राजस्थान पत्रिका से बातचीत के दौरान बाजिया ने कहा कि उनको एक पैर गंवाने का कोई गम नहीं। देश के लिए बलिदान देना हर किसी के नसीब में नहीं होता। सेना में रहकर देश की सेवा करने के बाद बाजिया ने 2012 में प्रदेश भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति बनाकर सैनिकों, पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिजनों के हित में कार्य करना शुरू किया जो आज भी निरंतर जारी है। सैनिकों के प्रति उनकी सेवा भावना को देखते हुए पिछले दिनों गहलोत सरकार ने उनको राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति का उपाध्यक्ष बनाया है।
बचपन से ही थी सेना में जाकर देश सेवा करने इच्छा
जयपुर जिले के बडनगर कोटपूतली निवासी कारगिल सैनिक रामसहाय बाजिया का जन्म 28 जुलाई 1976 को किसान परिवार में हुआ। उनके पिता प्रभाती लाल किसान थे। किसान के बेटे रामसहाय की बचपन से ही सेना में जाकर देश की सेवा करने की इच्छा थी। इसके लिए उन्होंने जमकर मेहनत की। जिस पर 20 वर्ष की आयु में 1996 में भारतीय सेना में राजपूताना राइफल की 2 बटालियन में चयन हो गया।
देश के लिए बलिदान देना हर किसी के नसीब में नहीं होता बाजिया के सेना में भर्ती होने के 3 साल बाद ही वर्ष 1999 में कारगिल का युद्ध छिड़ गया। जिसमें राम सहाय बाजिया ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए कई सैनिकों को धूल चटाई, लेकिन पैर में गोली लगने से वे लम्बे समय तक अस्पताल में रहे और एक पैर गंवाना पड़ा। पूर्व सैनिक बाजिया का कहना है कि युद्ध में एक पांव गवाने का कोई गम नहीं है। हर सैनिक का सपना होता है कि उसे भारत माता का ऋण चुकाने का अवसर मिले। देश के लिए बलिदान देना हर किसी के नसीब में नहीं होता।
युद्ध में पैर गंवाने के बाद से कर रहे सैनिकों के हित में काम
कारगिल सैनिक रामसहाय बाजिया ने कारगिल युद्ध में अपना एक पैर गंवाने के बाद 2012 में सैनिकों के हित में कार्य करना शुरू कर दिया। वे प्रदेश भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति के माध्यम से सैनिकों, पूर्व सैनिकों, शहीदों के परिजनों के हित में निरंतर करते आ रहे हैं। समिति के प्रदेशाध्यक्ष बाजिया समिति के माध्यम से सैनिकों के हित में सरकार को सुझाव देना, पूर्व सैनिकों, उनके परिवारों और शहीदों के परिजनों की समस्याओं निदान कराना, उनके मान सम्मान में प्रदेशभर में कार्यक्रम आयोजित करना सहित विभिन्न कार्य करते आ रहे हैं।
कारगिल सैनिक रामसहाय बाजिया ने कारगिल युद्ध में अपना एक पैर गंवाने के बाद 2012 में सैनिकों के हित में कार्य करना शुरू कर दिया। वे प्रदेश भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति के माध्यम से सैनिकों, पूर्व सैनिकों, शहीदों के परिजनों के हित में निरंतर करते आ रहे हैं। समिति के प्रदेशाध्यक्ष बाजिया समिति के माध्यम से सैनिकों के हित में सरकार को सुझाव देना, पूर्व सैनिकों, उनके परिवारों और शहीदों के परिजनों की समस्याओं निदान कराना, उनके मान सम्मान में प्रदेशभर में कार्यक्रम आयोजित करना सहित विभिन्न कार्य करते आ रहे हैं।
शाहपुरा को जिला बनाने के लिए भी किया संघर्ष कारगिल सैनिक बाजिया ने शाहपुरा जिला बनाओ संषर्घ समिति का गठन कर शाहपुरा को जिला बनवाने के लिए भी लम्बे समय तक संषर्घ किया। संषर्घ समिति अध्यक्ष बाजिया के नेतृत्व में शाहपुरा को जिला बनाने की मांग को लेकर शाहपुरा में लम्बे समय पर धरना दिया गया। जिले की मांग को लेकर उनका संषर्घ आज भी जारी है।
नई जिम्मेदारी के निर्वहन के साथ सैनिकों के हित में कार्य करता रहूंगा
कारगिल सैनिक बाजिया को सरकार द्वारा राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति का उपाध्यक्ष बनाए जाने पर उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि सैनिक के रूप में देश की सेवा करने के बाद 2012 से वे निरंतर सैनिकों के हित में कार्य करते आ रहे हैं और अब नई जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए आगे भी सैनिकों के हित में निंरतर सेवा करते रहेंगे।
कारगिल सैनिक बाजिया को सरकार द्वारा राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति का उपाध्यक्ष बनाए जाने पर उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि सैनिक के रूप में देश की सेवा करने के बाद 2012 से वे निरंतर सैनिकों के हित में कार्य करते आ रहे हैं और अब नई जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए आगे भी सैनिकों के हित में निंरतर सेवा करते रहेंगे।