दूध दोपहर में और पोषाहार भी तीन बजे कस्बे के इस सबसे बड़े विद्यालय में लगभग 800 से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसमें जिनमें कक्षा 9 से 12 वीं तक पहली पारी में 650 विद्यार्थी आते हैं, वहीं दूसरी पारी में उच्च प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में 250 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। क्षेत्र का सबसे अधिक विद्यार्थियों वाला विद्यालय होने के बाद भी विभाग और जनप्रतिनिधियों द्वारा उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। विद्यालय को दो पारियों में बांटने का सबसे ज्यादा असर उच्च प्राथमिक कक्षाओं तक के बच्चों पर पड़ रहा है।
यहां सुबह 8 बजे का दूध नौनिहालों को दोपहर के 1 बजे और 11 बजे मिलने वाला पोषाहार दोपहर 3 बजे तक मिल रहा है। इससे सरकार की इन योजनाओं पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है, लेकिन शिक्षक और विद्यार्थियों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है।
यहां सुबह 8 बजे का दूध नौनिहालों को दोपहर के 1 बजे और 11 बजे मिलने वाला पोषाहार दोपहर 3 बजे तक मिल रहा है। इससे सरकार की इन योजनाओं पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है, लेकिन शिक्षक और विद्यार्थियों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है।
5 कमरों का निर्माण तो हो समाधान प्रधानाचार्य रामफूल माली ने बताया कि विद्यालय में कम से कम 5 कमरों का निर्माण हो तब यह एक पारी में चलने की स्थिति में हो सकता है। विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा होने से एक साथ दोनों पारियों का संचालन करना संभव नहीं हो पा रहा है। उच्च प्राथमिक स्तर के नौनिहालों के दूसरी पारी में 12 से 5 बजे तक का विद्यालय समय है, जिसमें इन नौनिहालों कब पढऩा अपने आप में समस्याओं से जूझने के बराबर है।
जिला प्रमुख की घोषणा भी हुई ‘हवाÓ विद्यालय में कक्षा कक्षा के निर्माण के लिए ग्रामीणों और विद्यालय प्रशासन ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिया है, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। ग्रामीण बताते हैं कि ‘न्याय आपके द्वारÓ शिविर में जिला प्रमुख को कक्षा कक्ष की समस्या से अवगत कराया था, जिस पर उन्होंने दो कमरों की घोषणा की थी, लेकिन वो घोषणा भी अभी तक कागजों में ही है। वहीं ग्रामीणों ने विधायक और भारतीय जनता पार्टी से विधायक का चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे कई दावेदारों को भी इससे अवगत कराया है, लेकिन समस्या जस की तस है।
विद्यालय प्रशासन है प्रयासरत प्रधानाचार्य समेत पूरा विद्यालय प्रशासन समस्या के समाधान के लिए पूर्ण तरीके से प्रयासरत है। जब भी क्षेत्र में कोई बड़ा जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी आ रहा है, तो ज्ञापन के जरिए समस्या से अवगत करवाया जाता है। इसके अलावा किसी बड़ी कंपनी (जो सीएसआर के माध्यम से विद्यालयों में अपना बजट लगाती है) का प्रतिनिधि आता है, तो उनसे भी लगातार विद्यालय प्रशासन अवगत कराता है।