एशियाड खेलों से मिला था अस्तित्व वर्ष 1982 में जयपुर मेंआयोजित एशियाड गेम्स के दौरान झील गांव रेस्टोरेंट का अस्तित्व सामने आया था। रामगढ़ बांध पर पर्यटकों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग कार्यालय ‘शैल कुटीरÓ के सामने आरटीडीसी ने इस रेस्टोरेंट की शुरुआत की थी। रेस्टोरेंट को राजस्थान की कला एवं संस्कृति की झलक देने वाले गांव की तरह तैयार किया गया था। झील गांव रेस्टोरेंट में दस झौपडीनुमा कमरे, किचन, रेस्टोरेंट, लाउंज और पार्क सहित बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले लगाए गए थे।
समय के साथ नहीं बढ़ाई सुविधाएं सर्दियों के मौसम में यहा विदेशी सैलानी भी बड़ी संख्या में आकर ठहरते थे। तब आरटीडीसी की ओर से नौकायान भी कराया जाता था। एक दशक पहले रामगढ़ बांध के रीतने के साथ ही झील गांव रेस्टोरेंट में पर्यटकों का आना भी कम हो गया। समय के साथ रेस्टोरेंट की मरम्मत नहीं कराने से झौपडीनुमा कमरों, किचन और रेस्टोंरेंट में बरसात में पानी टपकता है। यहां तक कि चौबीस घंटे विद्युत आपूर्ति से भी झील गांव को नहीं जोड़ा गया। सड़कों को दुरुस्त नहीं करवाया। बदलते समय के अनुसार कमरों को वातानूक ुलित नहीं बनाया गया। पर्यटकों का रुझान कम होने पर आरटीडीसी ने इस यूनिट को घाटे का सौदा मानते हुए करीब एक वर्ष पहले बंद कर दिया।
करोड़ों रुपए का भवन और जमीन बेकार झील गांव रेस्टोंरेंट को बंद करने से करोड़ों की कीमत वाला भवन जर्जर हो रहा है। झील ट्यूरिस्ट विलेज के पास करीब सौलह बीघा जमीन है। रेस्टोंरेट क ो बंद करते ही पार्क भी सूख गया है। रामगढ़ बांध पर निजी रिसोर्ट भी हैं, जो पर्यटकों से आबाद हैं। इनमें स्वीमिंग पूल, झूले, फि सलन पट्टी और वातानूकुलित कमरे पर्यटकों को लुभा रहे हैं। झील गांव रेस्टोरेंट के जर्जर हो चुके भवन की मरम्मत कर इसे सुसज्जित किया जाए, तो यहां फिर से पर्यटन की संभावना बन सकती है। कमरों को वातानुकूलित कर चौबीस घंटे बिजली सुविधा से जोड़ा जाए। पंचायत समिति प्रधान रामजीलाल मीना ने मुख्यमंत्री, पयर्टन मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव पयर्टन विभाग को पत्र लिखकर झील गांव रेस्टोरेंट में नए सिरे से सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसे शुरू करने की मांग की है।