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Lockdown : चेहरे चिंता से भरे, घर जाने की लालसा

locationबस्सीPublished: Apr 22, 2020 09:30:36 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

शेल्टर होम पर 23 दिन, मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश व ओडिशा के 78 मजदूरों को घर जाने की उम्मीद, प्रदेश के सात मजदूरों को किया घरों को रवाना

लॉकडाउन 2.0: चेहरे चिंता से भरे, घर जाने की लालसा

लॉकडाउन 2.0: चेहरे चिंता से भरे, घर जाने की लालसा

उदयपुरिया/चौमूं। कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन में सैकड़ों मजदूर और लोग यहां वहां फंसे हुए है। जिले के चौमूं तहसील स्थित शारदा कॉलेज में राजस्थान के बारां, झालावाड़ व सवाईमाधोपुर के मजदूरों के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश व ओडिसा के करीब 85 मजदूरों व उनके परिजनों को ठहराया था। मंगलवार को इन मजदूरों को पूरे 23 दिन हो गए। ये हर हाल में घर जाने को लालायित हैं। टीटी कॉलेज में बनाए गए शेल्टर होम में बारां, झालावाड़ व सवाईमाधोपुर के सात मजदूरों के चेहरे मंगलवार को उस समय खिल उठे, जब सरकार ने रोडवेज बस के माध्यम से उनको घरों के लिए रवाना किया, लेकिन मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश व ओडिशा के मजदूर घर जाने को बेताब हैं। भामाशाहों के सहयोग से प्रशासन की तीमारदारी भी इनकी जिद के सामने फीकी नजर आती है।
सात मजदूरों को राज्य सरकार ने घर पहुंचाया
जानकारी के अनुसार 22 मार्च को जनता कफ्र्यू के बाद अचानक लॉकडाउन किए जाने के बाद जयपुर-सीकर हाइवे पर सैकड़ों की संख्या में मजदूर यातायात साधनों के बंद होने के बावजूद पैदल ही हजारों किलोमीटर दूर स्थित अपने घरों के लिए निकल पड़े थे, लेकिन सरकार ने सख्ती दिखाते हुए ऐसे मजदूरों के लिए हर उपखंड क्षेत्र में शेल्टर होम खुलवाए थे। चौमंू में भी लोहरवाड़ा स्थित शारदा टीटी कॉलेज एवं ढोढसर में शेल्टर होम खुलवाए थे। हालांकि बारां, झालावाड़ व सवाईमाधोपुर के करीब सात मजदूरों को तो राज्य सरकार ने रोडवेज से मंगलवार को उनके घरों के लिए रवाना कर दिया। इसके अलावा एक मजदूर ढोढसर से भेजा गया है। इससे उनके चेहरे तो खिल उठे, लेकिन दूसरे प्रदेशों के मजदूरों के चेहरे चिंता से भरे हुए हैं। घर जाने की लालसा है।
मजदूरों ने सुनाई पीड़ा
शेल्टर होम में ठहरे इटावा, मध्यप्रदेश निवासी यादवेंद्र सिंह ने बताया कि होम शेल्टर में रुके हुए 23 दिन हो गए हैं, लेकिन सरकार व प्रशासन हमारे घर जाने की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। घर पर बच्चे एवं परिजन चिंतित हैं। राज्य सरकार ने जैसे बारां, सवाईमाधोपुर व झालावाड़ के मजदूरों को बसों से भिजवाया है। ऐसे ही उनको भी भिजवा दे। मध्यप्रदेश के ही बबलू अहरवाल, पूनम, पल्ली बाई की भी यही पीड़ा थी।
रोजाना बदलता है मेन्यू
शेल्टर होम प्रभारी रतनलाल शर्मा एवं बलराज मीणा ने बताया कि मंगलवार को सात मजदूरों के जाने के बाद अब 78 मजदूर बचे हुए हैं। ये मजदूर सीकर जिले में खेती बाड़ी कार्य करते हैं। यही नहीं भामाशाहों ने भोजन के अलावा इन मजदूरों के लिए कंबल, स्टील के खाने-पीने के बर्तन भी उपलब्ध करवाए हैं। इसके बावजूद पत्रिका टीम ने इन मजदूरों से बातचीत की तो इनकी एक ही मांग है कि उनको किसी भी तरह घर भिजवा दो।

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