1997 से है बूथ आमेर विधानसभा क्षेत्र के अचरोल ग्राम पंचायत के अंतर्गत मीणा की ढाणी में वोट डालने के लिए एक बूथ स्थापित किया था। मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी के कारण सरकार ने यहां एक और बूथ बना दिया, लेकिन सुगम राह की व्यवस्था नहीं की।
बूथ का गणित बूथ क्रमांक- 220
गांव-ढाणी- 13 गांव-ढाणी
मतदाता- 840
परेशानी- मतदान के लिए 10 की परेड
विधानसभा चुनाव में मतदान : 65 से 70
बूथ क्रमांक- 221
शामिल गांव- 12 गांव ढाणी
कुल मतदाता-850
परेशानी- मतदान के लिए 10 की परेड
विधानसभा चुनाव में मतदान : 65 से 70
गांव-ढाणी- 13 गांव-ढाणी
मतदाता- 840
परेशानी- मतदान के लिए 10 की परेड
विधानसभा चुनाव में मतदान : 65 से 70
बूथ क्रमांक- 221
शामिल गांव- 12 गांव ढाणी
कुल मतदाता-850
परेशानी- मतदान के लिए 10 की परेड
विधानसभा चुनाव में मतदान : 65 से 70
पहली बार किया मतदान छापर का बास निवासी रामधन कुमावत सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि बूथ संख्या 221 पर ग्रामीणों ने पहली बार मतदान किया है। पूर्ववर्ती सरकार में ग्राम पंचायत अचरोल की मीना की ढाणी में नया बूथ बना। इससे पहले इन गांव ढाणियों के लोग इसी मतदान केंद्र में मतदान करने जाते थे। संख्या बढ़ जाने के कारण इसी स्थान पर एक और नया बूथ बना दिया गया। विधान सभा चुनाव 2018 में नए बूथ पर पहली बार मतदान हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के समय प्रत्याशी मतदान करने की अपील करने आते हैं, लेकिन चुनाव के बाद कोई क्षेत्र में नहीं आता है। जिस कारण से पंचायत क्षेत्र का यह इलाका आज भी पिछड़ा हुआ है।
बदहाल है क्षेत्र की स्थिति नदी क्षेत्र में इस बूथ के गांव ढाणी आने के कारण स्थिति बदहाल है। पंचायत मुख्यालय के जुड़ी ये ढाणियां की सड़कें आज भी गड्ढों में है। सड़क बदहाल हैं। विद्यालय क्रमोन्नत नहीं होने से अध्ययन के लिए अचरोल कस्बे में 5 किमी पैदल जाना पड़ता है। प्रत्याशी चुनाव में वोट मांगने आते हैं। इसके बाद क्षेत्र की ओर आकर सुध नहीं लेता।
बारिश के दौरान अचरोल नदी में पानी अधिक आ जाने पर और सड़कों मे बने गड्ढे पानी से भर जाने पर ढाणियों के लोग पंचायत मुख्यालय से कट जाते हैं। गांव में डिस्पेंसरी नहीं होने से रोगियों व प्रसूताओं को दिक्कत आती है।
सुरेश मीना, मोदुकाला की ढाणी बिजली के कनेक्शन है, लेकिन बिजली 24 घण्टों में 8 घण्टे ही मिल पाती है। बूथ बनाया पर इसे छापर की ढाणी में बनाने की बजाय मीणा की ढाणी में ही बना दिया, लोग पैदल चलकर वोट डालने को मजबूर है।
रामधन गुर्जर, उपसरपंच, अचरोल क्षेत्र में उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा,सड़क मार्ग के साधन नहीं हैं। पंचायत मुख्यालय के लिए सड़क नहीं है। जनप्रतिनिधि वोट मांगने आते हैं, लेकिन क्षेत्र का विकास कोई नहीं करवाता।
कमलेश सैनी, छापर की ढाणी इनका कहना है… क्षेत्र में करीब 1700 मतदाता है। छापर के बास के अलावा अन्य कई छोटी छोटी ढाणियों के करीब 900 लोगों को मतदान करने के लिए 5 किमी तक चलकर आना पड़ता है।
रामसुख रैगर, बीएलओ बूथ नं. 220 अभी एकदम से कोई फेरबदल नहीं हो सकता। अगर समस्या है तो बूथ अन्यत्र स्थानांतरित करने की प्रक्रिया चुनाव बाद ही हो पाएगी। निर्वाचन विभाग के अनुसार सभी सुविधाएं मतदान केन्द्रों पर की जाएगी। बूथ 220 और 221 पर भी मतदाताओं के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध होगी।
लक्ष्मीकांत कटारा, रिटर्निंग अधिकारी, आमेर