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राजस्थान में गौवंश में फैल रहे लम्पी वायरस का कहर, फिर भी पशु चिकित्सालयों में निपटने के नहीं संसाधन

-पशु चिकित्सालयों में नहीं 30 फीसदी दवाइयां
-पशु चिकित्सा टीमों में आवारा मवेशियों में उपचार में आ रही समस्या

बस्सीAug 12, 2022 / 10:13 pm

Satya

राजस्थान में गौवंश में फैल रहे लम्पी वायरस का कहर, फिर भी पशु चिकित्सालयों में निपटने के नहीं संसाधन

Lumpy virus is spreading havoc in the cow dynasty in Rajasthanशाहपुरा। प्रदेश में गौवंश में फैल रहे लम्पी वायरस संक्रमण के कहर से हजारों गौवंश की मौत से पशुपालकों की नींद उड़ी हुई है। लम्पी वायरस का संक्रमण जयपुर जिले में भी कई जगह पैर पसार चुका है। पावटा में अब तक 40 गौवंश संक्रमण की चपेट में है और दो की मौत हो चुकी है और विराटनगर में भी दो संक्रमित गौवंश में से एक की मौत भी हो चुकी है। इसके बावजूद इससे निपटने के लिए पशु चिकित्सा विभाग के पास पर्याप्त संसाधन तक मौजूद नहीं है। कहीं पशु चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े हैं तो कहीं दवाइयों का टोटा है। जयपुर जिले के अधिकांश पशु चिकित्सालयों में तो सरकार की पशुधन निशुल्क आरोग्य योजना के तहत निर्धारित पूरी दवाइयां तक उपलब्ध नहीं है।
पशु चिकित्सालयों में निर्धारित 107 प्रकार की दवाइयों में से 30 फीसदी दवाइयां पशु चिकित्सालयों में मौजूद ही नहीं है। सब सेंटर का तो और भी बुरा हाल है। हैरानी की बात तो यह कि वायरस के संक्रमण में प्रदेश में हजारों गौवंश की जान जा चुकी है, इसके बावजूद पशु चिकित्सालयों में इस संक्रमण से बचाव के लिए कारगार गोट पॉक्स वैक्सीन तक उपलब्ध नहीं है। उक्त वैक्सीन दुकानों पर भी नहीं मिल रही। ऐसे में लगातार फैल रही इस बीमारी से लडऩे के लिए विभाग की कैसी तैयारी है, इसका सजह ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
लम्पी वायरस के जयपुर ग्रामीण के पावटा व विराटनगर में पैर पसारने और तीन गौवंश की मौत के बाद जब पशु चिकित्सालयों की स्थिति का जायजा लिया तो हैरान करने वाली तस्वीर देखने को मिली। जिले के शाहपुरा, पावटा सहित अधिकांश पशु चिकित्सालयों में इस लम्पी वायरस से बचाव में कारगर गोट पॉक्स वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

पशु चिकित्सालयों में नहीं है 30 फीसदी दवाइयां, सब सेंटर का बुरा हाल


सरकार ने प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालयों व पशु चिकित्सालयों में पशुधन निशुल्क आरोग्य योजना के तहत 107 दवाइयां निर्धारित कर रखी है। जिसमें से पशु चिकित्सालयों में 75 से 77 दवाइयां ही उपलब्ध है। लम्बे समय से करीब 30 फीसदी दवाइयां आगे से नहीं आ रही। जबकि सब सेंटरों पर सरकार ने 87 दवाइयां निर्धारित की हुई है, उनमें से 35 फीसदी से भी अधिक दवाइयां उपलब्ध नहीं है।
पशुपालक स्वयं ला रहे, आवारा मवेशियों के उपचार में आ रही समस्या


पशु चिकित्सालयों में लम्पी वायरस से बचाव में कारगर गोट पॉक्स वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में पशुपालकों को स्वयं ही यह वैक्सीन खरीदकर लानी पड़ रही है। गौशालाओं में मौजूद गौवंश के लगाने के लिए भी गौभक्त और गौशाला संचालक स्वयं खरीद कर ला रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक समस्या संक्रमण के शिकार आवारा मवेशियों के उपचार में आ रही है। उनके लिए पशु चिकित्सा टीम को समाजसेवियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। जबकि संक्रमण की चपेट में भी सबसे अधिक आवारा गौवंश ही है। पावटा में कार्यरत एल एस ए गोविन्द भारद्वाज तो स्वयं के खर्चे पर ही वैक्सीन खरीदकर आवारा गौवंश के वैक्सीन लगा रहे हैं।
ये जरूरी दवाइयां भी नहीं पशु चिकित्सालयों में
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