सोना निकाले जाने की संभावना बताई थी….
इस क्षेत्र में धात्विक खनिज होने की संभावनाओं का पता लगने पर सबसे पहले जीएसआई ने करीब दो दशक पहले यहां ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में खोज शुरू की। शुरुआती संकेतों के बाद एमईसीएल ने ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में इसमें परीक्षण प्रारम्भ किया और 2008 की रिपोर्ट में यहां सोना व तांबा होने को सुनिश्चित किया था। उस समय सोने की कीमतें बहुत कम होने व यहां के स्वर्ण भंडार के अपेक्षाकृत कम मात्रा में होने के चलते इसे ज्यादा वायबल नहीं माना गया था। लेकिन फिर भी निजी कम्पनी ने यहां खनन करने के लिए आवेदन किया था। निजी कम्पनी ने दस साल के खनन में 31 हजार टन तांबा व 1,07,795 ओंस सोना निकाले जाने की संभावना बताई थी। कम्पनी के अनुसार यहां कुल 64705 टन तांबा और 205750 ओंस सोने के भंडार हैं। अब खनन विभाग नई नीतियों के तहत नए सिरे से यहां खनन की संभावनाएं तलाश रहा है।
इस क्षेत्र में धात्विक खनिज होने की संभावनाओं का पता लगने पर सबसे पहले जीएसआई ने करीब दो दशक पहले यहां ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में खोज शुरू की। शुरुआती संकेतों के बाद एमईसीएल ने ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में इसमें परीक्षण प्रारम्भ किया और 2008 की रिपोर्ट में यहां सोना व तांबा होने को सुनिश्चित किया था। उस समय सोने की कीमतें बहुत कम होने व यहां के स्वर्ण भंडार के अपेक्षाकृत कम मात्रा में होने के चलते इसे ज्यादा वायबल नहीं माना गया था। लेकिन फिर भी निजी कम्पनी ने यहां खनन करने के लिए आवेदन किया था। निजी कम्पनी ने दस साल के खनन में 31 हजार टन तांबा व 1,07,795 ओंस सोना निकाले जाने की संभावना बताई थी। कम्पनी के अनुसार यहां कुल 64705 टन तांबा और 205750 ओंस सोने के भंडार हैं। अब खनन विभाग नई नीतियों के तहत नए सिरे से यहां खनन की संभावनाएं तलाश रहा है।
20 अरब रुपए से ज्यादा का अनुमान….
अभी अन्तरराष्ट्रीय बाजार में सोने की प्रति टन कीमत करीब चार अरब उन्नीस करोड़ ग्यारह लाख अस्सी हजार रुपए है। इस लिहाज से यहां से निकलने वाले सोने की कीमत लगभग बीस अरब रुपए से ज्यादा का अनुमान है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक यहां सोना कम होने से मैटलर्जी लागत ज्यादा होने की आशंका रहेगी। ताम्बा भी साथ मिलने से यह निवेशकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
अभी अन्तरराष्ट्रीय बाजार में सोने की प्रति टन कीमत करीब चार अरब उन्नीस करोड़ ग्यारह लाख अस्सी हजार रुपए है। इस लिहाज से यहां से निकलने वाले सोने की कीमत लगभग बीस अरब रुपए से ज्यादा का अनुमान है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक यहां सोना कम होने से मैटलर्जी लागत ज्यादा होने की आशंका रहेगी। ताम्बा भी साथ मिलने से यह निवेशकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
बोरवेल तकनीक से भूगर्भ के नमूने लिए थे….
ढाणी बासड़ी के जिस क्षेत्र में सोने की खोज में जीएसआई व एमईसीएल लगे थे वहां उन्होंने बोरवेल तकनीक से भूगर्भ के नमूने लिए थे और उनके परीक्षण किए थे। उसमें से बहुत सारी जमीन किसानों की निजी खातेदारी के साथ ही गोचर भूमि भी थी। परीक्षण के बाद विभाग उन बोरवेल को बंद कर गया था। अब वहां गड्ढे और फसल खड़ी है।
ढाणी बासड़ी के जिस क्षेत्र में सोने की खोज में जीएसआई व एमईसीएल लगे थे वहां उन्होंने बोरवेल तकनीक से भूगर्भ के नमूने लिए थे और उनके परीक्षण किए थे। उसमें से बहुत सारी जमीन किसानों की निजी खातेदारी के साथ ही गोचर भूमि भी थी। परीक्षण के बाद विभाग उन बोरवेल को बंद कर गया था। अब वहां गड्ढे और फसल खड़ी है।