घरों में कैद हुए अचरोलवासी
लबाना निवासी बनवारी शर्मा, अचरोल निवासी प्रभुदयाल यादव व ताला मोड़ निवासी सेठ भूमला ने बताया कि लोग बन्दरों के उत्पात से परेशान है। लोगों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। कस्बे में 70त्न से ऊपर लोगों ने अपने घरों को जालियों में कैद कर लिया है। यह छत पर रखे कपड़ों और सामान को उठा ले जाते है। रास्ते में लोगों से सामान छीनकर घायल कर देते है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर 1 सप्ताह में प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया तो आमेर उपखण्ड कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
लबाना निवासी बनवारी शर्मा, अचरोल निवासी प्रभुदयाल यादव व ताला मोड़ निवासी सेठ भूमला ने बताया कि लोग बन्दरों के उत्पात से परेशान है। लोगों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। कस्बे में 70त्न से ऊपर लोगों ने अपने घरों को जालियों में कैद कर लिया है। यह छत पर रखे कपड़ों और सामान को उठा ले जाते है। रास्ते में लोगों से सामान छीनकर घायल कर देते है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर 1 सप्ताह में प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया तो आमेर उपखण्ड कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
ग्रीन हाउस और फसल बर्बाद, बेबस किसान
अच्छी पैदावार और बढिय़ा कीमत की आस लेकर किसानों ने लाखों रुपए खर्च कर ग्रीनहाउस पद्धति अपनाई। किसानों को इसका भरपूर लाभ भी मिला, पर लंबे समय तक नहीं मिल पाया। अचरोल निवासी चरणदास बुनकर ने बताया कि 3 वर्ष पहले मैंने अपने खेत में लाखों रुपए की लागत से ग्रीन हाउस बनवाया। पूरे परिवार की अथक मेहनत के बाद खीरा, टमाटर सहित अन्य फल सब्जियां उगाई। अच्छी बचत भी होने लगी थी, लेकिन बंदरों ने ग्रीनहाउस को जगह-जगह से फाड़ डाला और सब्जियों को बर्बाद कर दिया। इससे लाखों का नुकसान हो गया।
अच्छी पैदावार और बढिय़ा कीमत की आस लेकर किसानों ने लाखों रुपए खर्च कर ग्रीनहाउस पद्धति अपनाई। किसानों को इसका भरपूर लाभ भी मिला, पर लंबे समय तक नहीं मिल पाया। अचरोल निवासी चरणदास बुनकर ने बताया कि 3 वर्ष पहले मैंने अपने खेत में लाखों रुपए की लागत से ग्रीन हाउस बनवाया। पूरे परिवार की अथक मेहनत के बाद खीरा, टमाटर सहित अन्य फल सब्जियां उगाई। अच्छी बचत भी होने लगी थी, लेकिन बंदरों ने ग्रीनहाउस को जगह-जगह से फाड़ डाला और सब्जियों को बर्बाद कर दिया। इससे लाखों का नुकसान हो गया।
कई लोगोंं को पहुंचाया हॉस्पिटल
कस्बे में बन्दरों का उत्पात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2015-16 में मात्र एक माह में ही 6 दर्जन से अधिक लोगों को बन्दरों ने काट खाया था। बन्दरों द्वारा लोगों को काटना बदस्तूर आज भी जारी है। जुलाई 2018 से 20 अक्टूबर 2018 तक बन्दरों ने 200 से अधिक लोगों को अस्पताल पहुंचाया है। इसके अलावा प्रति माह अचरोल सहित क्षेत्र में 1 दर्जन से अधिक बन्दरो के काटने के मामले आते है। ये तो वो आंकड़े है जो सरकारी अस्पतालों में है, अगर इनमें निजी अस्पतालो के आंकड़े भी जोड़ दिए जाएं तो हर दिन 4 लोगों को बन्दर घायल कर रहे है।
कस्बे में बन्दरों का उत्पात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2015-16 में मात्र एक माह में ही 6 दर्जन से अधिक लोगों को बन्दरों ने काट खाया था। बन्दरों द्वारा लोगों को काटना बदस्तूर आज भी जारी है। जुलाई 2018 से 20 अक्टूबर 2018 तक बन्दरों ने 200 से अधिक लोगों को अस्पताल पहुंचाया है। इसके अलावा प्रति माह अचरोल सहित क्षेत्र में 1 दर्जन से अधिक बन्दरो के काटने के मामले आते है। ये तो वो आंकड़े है जो सरकारी अस्पतालों में है, अगर इनमें निजी अस्पतालो के आंकड़े भी जोड़ दिए जाएं तो हर दिन 4 लोगों को बन्दर घायल कर रहे है।
इनका कहना
आपने जानकारी दी है। बन्दरों के उत्पात से निश्चित रूप से निजात दिलाई जाएगी। विकास अधिकारी आमेर को इसके लिए निर्देशित किया जाएगा।
लक्ष्मीकांत कटारा, उपखंड अधिकारी, आमेर
आपने जानकारी दी है। बन्दरों के उत्पात से निश्चित रूप से निजात दिलाई जाएगी। विकास अधिकारी आमेर को इसके लिए निर्देशित किया जाएगा।
लक्ष्मीकांत कटारा, उपखंड अधिकारी, आमेर