खुले में शौच से होने वाले संक्रमण से बचाव के लिए बनाई योजना फिलहाल दम तोड़ती दिख रही है। क्षेत्र की ग्राम पंचायत बजरंगपुरा, केरली, छीतोली, ग्राम श्योलालपुरा, नीमली, रामपुरा खुर्द सहित कई गांव-ढाणियों में शौचालय के लिए पानी जुटना तो दूर गला तर करने के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं है। हालांकि सर्दी के मौसम में तो पानी की कम उपलब्धता के चलते काम चल रहा था लेकिन गर्मी के मौसम में लोगों को खुले में शौच जाने की मजबूरी है।
शौचालय के लिए एक व्यक्ति को औसतन प्रतिदिन 5-7 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। 5 सदस्य परिवार में प्रतिदिन 40 लीटर पानी तो शौचालय के उपयोग के लिए चाहिए। जबकि वर्तमान में लोगों को महज 20-30 लीटर ही पानी की आपूर्ति हो रही है। इसमें गला तर करने सहित स्नान करने व कपड़े धोने के अलावा शौचालय के उपयोग के लिए पानी नहीं बच पाता है।
विराटनगर पंचायत समिति की सभी ग्राम पंचायतें 2 अक्टूबर तक ओडीएफ घोषित हो चुकी है। क्षेत्र में 20 हजार 322 शौचालय नवनिर्मित है। जबकि 14 हजार 200 पहले के बने हुए है। विभाग ने शौचालय का निर्माण तो करवाया लेकिन पानी की कमी के कारण कई जगह लोगों ने शौचालय का उपयोग करना छोड़ दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे पीने के पानी को लेकर मशक्कत करते है, वे शौचालय के लिए पानी कहां से लाए। पीने के पानी का जुगाड़ भी जैसे तैसे करते है। खुले मे शौच के बजाय शौचालय का उपयोग करने में पानी की मात्रा भी ज्यादा लगती है। प्रशासन को पानी की आपूर्ति को लेकर चिंतित होना आवश्यक है।
खुले में शौच मुक्त पंचायत की कवायद में अधिकारियों के दबाव से लोगों ने शौचालय निर्माण तो करा दिए, लेकिन पानी की कमी से ओडीएफ घोषित बजरंगपुरा पंचायत में योजना का दम निकल रहा है। शौचालय के उपयोग के लिए रखी पानी की टंकियां खाली पड़ी है।
रमेश रावत, स्थानीय निवासी
हरिसिंह सिंधू, सरपंच ग्राम पंचायत बजरंगपुरा