टिटहरी को होता है पूर्वाभास…
किसानों बताते है कि टिटहरी को मानसून का पूर्वाभास होता है वो ऊंचे स्थान पर अंडे देती है क्योकि अंडे पानी में बहे नहीं। जब कम बारिश की संभावना होती है तब वो खेत में या निचले स्थानों पर अंडे देती है। टिटहरी मानसून से पहले गर्मी में अंडे देती है। जून के अंत तक इनके अंडे देने का वक़्त होता है। इनके जल्दी अंडे देने से मानसून के जल्दी आने का अनुमान भी लगाया जाता है।
किसानों बताते है कि टिटहरी को मानसून का पूर्वाभास होता है वो ऊंचे स्थान पर अंडे देती है क्योकि अंडे पानी में बहे नहीं। जब कम बारिश की संभावना होती है तब वो खेत में या निचले स्थानों पर अंडे देती है। टिटहरी मानसून से पहले गर्मी में अंडे देती है। जून के अंत तक इनके अंडे देने का वक़्त होता है। इनके जल्दी अंडे देने से मानसून के जल्दी आने का अनुमान भी लगाया जाता है।
तीन अंडे यानि 3 महीने बारिश…
केवल टिटहरी के अंडों के स्थान से ही नहीं बल्कि टिटहरी के अंडों की संख्या से भी बारिश का आंकलन किया जाता है। टिटहरी जितने अंडे देती है उतने ही महीने अच्छी बारिश होती है। जयपुर के नाड़ी का फाटक इलाके में टिटहरी ने छत पर 3 अंडे दिए हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि 3 महीने अच्छी बारिश होगी। घोसलों में पड़े होने की स्थिति से भी अंदाजा लगाया जाता है। अंडों के खड़े और बैठे रहने से भी मानसून का आंकलन किया जाता है।
केवल टिटहरी के अंडों के स्थान से ही नहीं बल्कि टिटहरी के अंडों की संख्या से भी बारिश का आंकलन किया जाता है। टिटहरी जितने अंडे देती है उतने ही महीने अच्छी बारिश होती है। जयपुर के नाड़ी का फाटक इलाके में टिटहरी ने छत पर 3 अंडे दिए हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि 3 महीने अच्छी बारिश होगी। घोसलों में पड़े होने की स्थिति से भी अंदाजा लगाया जाता है। अंडों के खड़े और बैठे रहने से भी मानसून का आंकलन किया जाता है।
जितने अंडे खड़े उतने महीने ज्यादा बारिश…
टिटहरी के अंडों से मानसून के कयास पुराने समय से लगाते आ रहे हैं। किवंदती है कि जितने अंडे खड़े होते हैं उतने महीने ज्यादा बारिश होती है। वहीं जितने अंडे बैठे होते हैं उतने महीने कम बारिश का अनुमान लगाया जाता है। टिटहरी के तीन में से दो अंडे खड़े और एक अंडा बैठा नजर आ रहा है। इस बार मौसम विभाग ने अच्छे मानसून की भविष्यवाणी की है और अब प्रकृति भी कुछ यही संकेत दे रही है।