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बस्सी

बांग्लादेश की आजादी में जयपुर के छोटे से गांव के वीरों ने दिखाई थी हिम्मत

Indian Army Day लुहाकना खुर्द के 80 जवान सैना में कर रहे सेवा

बस्सीJan 16, 2020 / 12:06 am

surendra rao

बांग्लादेश की आजादी में जयपुर के छोटे से गांव के वीरों ने दिखाई थी हिम्मत

बांग्लादेश की आजादी में जयपुर के छोटे से गांव के वीरों ने दिखाई थी हिम्मत

आंतेला (जयपुर) . देश के जांबाज सैनिकों के अदम्य साहस, वीरता और उनकी शहादत को सेना दिवस पर याद किया जाता है। क्षेत्र के युवाओं में देश सेवा का जज्बा भरा है। ग्राम लुहाकना कला व खुर्द की मिट्टी में जन्मे करीब 70-80 नौजवान सेना में भर्ती होकर देश-विदेश में सेवाएं दे रहे हैं। वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध में शामिल लुहाकना खुर्द निवासी जाबांजों ने रणक्षेत्र में अपनी सैनिक टुकडिय़ों के बहादूरी के किस्से सुनाए। वीर प्रसूता धरा के ये जाबांज सिपाही अपनों बच्चों को भी भारत माता की रक्षा के लिए फौज में भेज रहे हैं। इन रणबाकुरों ने परिवार की दूसरी पीढी को भी शरहद की रक्षा के लिए भेज रखा है। पेश है पूर्व सेनिकों की जुंबानी
लुहाकना खुर्द निवासी पूर्व सुबेदार दरियाव सिंह ने बताया कि भारत पाक 1971 के युद्ध के समय हमारी मीडियम रेजीमेंट 102 एमएम ढाका में थी। The heroes of the small village of Jaipur showed courage in Bangladesh’s independence.युद्ध शुरू होने पर जानकारी मिली कि पाकिस्तानी सैनिक ढाका में तीन साल से बंकरों में रह रहे हंै। पाक सैनिकों ने बांग्लादेशी महिलाओं को साथ रखते थे। युद्ध के दौरान हमने बड़े तोपखाने से कई बंकरों को उड़ा दिया। लड़ाई के दौरान दो-दो दिन भूखे भी रहे। युद्ध में जख्मी सैनिकों की आर्मी मेडिकल कौर उपचार करती थी, जबकि गम्भीर हाल में वायुयान से कोलकत्ता बेस अस्पताल भिजवाया जाता था। इस दौरान करीब एक साल तक परिवार के लोगों से कोई सम्पर्क नहीं हो पाया था।

लुहाकना खुर्द निवासी सुबेदार मेजर महिपाल सिंह ने बताया कि गांव के युवाओं में देश सेवा का जज्बा है। वर्ष 1973 में सेना मे भर्ती हुआ था। दिल्ली में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विदेश में साउथ अफ्रीका के शिरालोन मंद्री सहित देश में अहमदाबाद, अंबाला, हिसार में तैनात रहा। इससे पहले ताऊजी श्योनारायण सिंह भी सेना में सेवाएं दे चुके हैं। वहीं छोटे भाई नंद सिंह, रोहिताश सिंह भी सेना में भर्ती होकर देश-विदेश में सेवाएं दे चुके हैं। वर्ष 2011 में तीसरी पीढी में बड़ा बेटा नवीन सिंह शेखावत सेना भर्ती हुआ था। वर्तमान में हिसार में तैनात है तथा छोटे भाई का बेटा जितेन्द्र सिंह सेना में है।

लुहाकना खुर्द निवासी पूर्व सैनिक रामनारायण ने बताया कि गांव के 80 युवक सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं। हमारी सैनिक टुकडी 3 साल सिकन्दराबाद में तैनात रही। 1987 में श्रीलंका में उग्रवाद के दौरान भारतीय आर्मी को तैनात किया गया। हमारी बटालियन मद्रास पहुंच गई थी, लेकि न सीजफायर हो गया। अब बड़ा बेटा उम्मेद कुमार सैनिक पद पर सिक्खिम में तैनात है। चिट्टी बीते जमाने की बात हो गई। मोबाइल पर बात हो जाती है।

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