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Republic Day : लुहाकना खुर्द के सैकड़ों जवान कर रहे देश सेवा, बहादुरी पर मिला था परमवीर चक्र

locationबस्सीPublished: Jan 26, 2022 11:40:00 am

Submitted by:

vinod sharma

गांव के बुजुर्गो से लेकर युवा और बच्चों में देश भक्ति का जुनून

Republican Day: लुहाकना खुर्द के सैकड़ों जवान कर रहे देश सेवा, बहादुरी पर मिला था परवीर चक्र

Republican Day: लुहाकना खुर्द के सैकड़ों जवान कर रहे देश सेवा, बहादुरी पर मिला था परवीर चक्र

बाबूलाल यादव
आंतेला(जयपुर)। जयपुर जिले के विराटनगर तहसील के गांव लुहाकना खुर्द के वीर सपूतों ने हर मोर्चे पर दुश्मन के नापाक इरादों को मात देने का जज्बा है। यहां के बुजुर्गो से लेकर युवा और बच्चों में देश भक्ति का जुनून है। गांव के कई परिवार ऐसे है, जिनका सेना में कई पीढ़िय़ों से जुड़ाव है। देश सेवा से समर्पित भाव से करीब 80 से अधिक युवा भारतीय सेना में है। जो देश के विभिन्न हिस्सों में सेवाएं दे रहे है। 50 से अधिक युवक सेना भर्ती की तैयारी कर रहे है। पूर्व सैनिक कई युवाओं में देश भक्ति के लिए प्रेरित कर रहे है। ये जाबांज सिपाही अपने बच्चों को भी देश सेवा में भेज रहे है।

सरहद पर गोलाबारी में हुए शहीद…
लुहाकना खुर्द निवासी नायक राजीव सिंह शेखावत भारतीय सेना के 5 राजपूत बटालियन में जम्मू कश्मीर में तैनात थे। सरहद पर 8 फरवरी 2020 को पूंछ में पाकिस्तानी सेना की ओर से की गई गोलीबारी का मुंहतोड जवाब देते हुए नायक राजीव सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए थे। ग्रामीणों ने गांव में शहीद स्मारक का निर्माण कराकर प्रतिमा का अनावरण किया।

पीढ़ी दर पीढ़ी देश सेवा का जज्बा…
ग्राम लुहाकना में 11 नवम्बर 1921 को जन्मे शतायुपार जाबाज पूर्व सैनिक कल्याण सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी, फ्रांस, इटली आदि विदेशों में दुश्मन के नापाक हरकतों को मात दे चुके है। उन्होंने तीनों बेटों को सेना में भर्ती कराया था। दो सूबेदार व एक हवलदार पद से सेवानिवृत हो चुके है। लुहाकना खुर्द निवासी रिटायर्ड 18 राज राइफल मेजर केसरसिंह ने 1971 भारत-पाक युद्ध में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देकर लाहौर तक पहुंच गए थे। जवानों ने लाहौर से महज 16 किलोमीटर पहले तक कब्जा कर लिया था। पूर्व सैनिक का बेटा मदन सिंह सूबेदार पद पर सेवा दे चुका है और पोता रविन्द्र सिंह सेना में है।

बहादुरी पर मिला था परवीर चक्र….
रिटायर्ड हवलदार रामपाल सिंह, मुनीमसिंह सहित तीनों भाईयों ने 1971 में भारत-पाक युद्ध में देश की सेवा की जिम्मेदारी निभाई थी। पाकिस्तान की सीमा में घुसकर तीन बार नदी पार की और पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। इसी वीरता पर उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। हवलदार रामपाल के बेटे दशरथ सिंह व जितेन्द्र सिंह भारतीय सेना में सेवा दे रहे है।

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