ओवरलोड़ वाहनों व सड़क से उठने वाली धूल के गुबार से आगे चल रहे वाहन दिखाई नहीं देने से टकराने का अंदेशा बना रहता है। गड्ढो के चलते ओवरलोड वाहनों के बीच सड़क पर खराब होने से यातायात बाधित हो जाता है। वाहनों के आमने सामने फंसने से कई बार जाम लग जाता है।
क्या है सिलिकोसिस आम जन के लगातार धूल व डस्ट के सम्पर्क में रहने पर धूल के फेफड़ों में जमने से इनमें संक्रमण हो जाता है और पीडि़त को सांस लेने में परेशानी होती है। इससे मरीज का दम घुटने लगता है। इससे व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है।
व्यापार पर पड़ रहा असर नीमकाथाना मार्ग क्षेत्र का मुख्य व्यापारिक केन्द्र होने से व्यापार पर भी असर हो रहा है। यहां के दुकानदारों का कहना है कि सड़क के खस्ताहाल होने और ओवरलोड वाहनों से उडऩे वाली धूल के फेर में क्षेत्र के गांवों से आने वाले छोटे-छोटे दुकानदारों व लोगों ने सामान की खरीदारी करने के लिए यहां आना तक छोड़ दिया है। इन्होंने दूसरे कस्बों से खरीदारी शुरू कर दी है। कस्बे के अलावा सरूण्ड, नारहेड़ा, गांवों में सड़क के किनारे बड़ी संख्या में स्थित दुकानदारों को धूल से रूबरू होना पड़ता है।
दुर्घटनाओं के आंकड़े (कोटपूूतली, सरूण्ड व पनियाला थाना) वर्ष कुल हादसे मृतक घायल 2015 325 135 311
2016 331 132 318 2017 312 150 310
2018 316 134 314 वसूली पर ध्यान, समस्या पर नहीं
2016 331 132 318 2017 312 150 310
2018 316 134 314 वसूली पर ध्यान, समस्या पर नहीं
नीमकाथाना मार्ग को स्टेट हाइवे में तब्दील करने के साथ ही इस मार्ग पर राजस्थान राज्य सड़क विकास निगम की ओर से टोल वसूल जा रहा है, लेकिन मार्ग पर टोल वसूली के बावजूद इसकी कभी मरम्मत नहीं होती है। राजमार्ग होने के बाद भी नीमकाथाना मार्ग की 50 किलोमीटर की दूरी तय करने में डेढ़ घण्टा लग जाता है। यहां से कल्याणपुरा कुहाड़ा तक सड़क की हालत अधिक खराब है। (नि.सं.)
नीमकाथाना मार्ग सड़क विकास निगम के अधीन है। मार्ग ही हालत में सुधार व नवीनीकरण के लिए निगम के अधिकारियों को पत्र भेजा गया है। कस्बे में दो किलोमीटर दूर तक मार्ग को सीमेन्टेड बनाने व दोनों ओर नालियों और इस पर डिवाइडर बनाने के प्रस्ताव भेजे हुए है।
बनवारीलाल सिंघल, एईएन, सार्वजनिक निर्माण विभाग कोटपूतली