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बस्सी

कोटपूतली को मिली सिलिकोसिस वैन

अच्छी खबर : 8000 खनन श्रमिकों को मिलेगा फायदा, नहीं जाना पड़ेगा जयपुर

बस्सीAug 12, 2018 / 10:05 pm

Santosh

Silokosis van for Kotputli

कोटपूतली को मिली सिलिकोसिस वैन

कोटपूतली. सिलिकोसिस रोग से पीडि़त रोगियों को उपचार के लिए अब जयपुर नहीं जाना पड़ेगा। इस रोग से पीडि़त क्षेत्र के रोगियों को अब यहां ही उपचार की सुविधा सुलभ होगी। इसके लिए सरकार की ओर से बीडीएम अस्पताल को सिलिकोसिस वैन उपलब्ध करवाई गई है। सिलिकोसिस रोग पर नियंत्रण के लिए यह वैन चलता फिरता प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। यह वाहन खनन क्षेत्र में श्रमिकों की मौके पर जांच कर सिलिकोसिस पीडि़त रोगियों को चिन्हित करेगी। चिन्हित रोगियों की श्ाििवर में जांच की जाएगी। रोग की पुष्टि होने पर उपचार शुरू करने के अलावा प्रमाण पत्र भी जारी किया जाएगा। यह प्रमाण पत्र जिला क्षय रोग अधिकारी की अध्यक्षता में गठित न्यूमोकानियोसिस बोर्ड जारी करेगा। बोर्ड में जिला क्षय अधिकारी के अलावा दो अन्य सदस्य होते हैं। गौतलब है कि क्षेत्र में 62 क्रॅशर एवं 240 खान संचालित हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रमिक कार्य करते हैं।
फैक्ट फाइल
-240 खान संचालित हैं क्षेत्र में
-62 क्रॅशर पर जाता है पत्थर
-8000 श्रमिक कार्य करते हैं
प्रत्येक सोमवार को लगेगा शिविर
सिलिकोसिस से चिन्हित रोगियों के उपचार के लिए बीडीएम अस्पताल में शिविर लगाया जाएगा। यह शिविर माह के प्रत्येक सोमवार को लगेगा। जबकि अलवर मुख्यालय पर यह शिविर माह के प्रत्येक शुक्रवार को लगेगा। सरकार ने अलवर मुख्यालय पर भी एक सिलिकोसिस वैन उपलब्ध कराई है।
क्या है सिलिकोसिस रोग
खानों व धूल भरे स्थानों पर कार्य करने वाने श्रमिकों के लगातार धूल व डस्ट के संपर्क में रहने से धूल उनके फेफड़ों में जम जाती है। इससे संक्रमण हो जाता है और पीडि़त को सांस लेने में परेशानी होने लगती है और दम घुटने लगता है। कई श्रमिक शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। वहीं सडक़ किनारे व्यापार करने वाले लोग भी वाहनों की उड़ती धूल से इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता नित्येन्द्र मानव ने बताया कि गत दिनों बीडीएम अस्पताल में गठित बोर्ड ने बीमारी से पीडि़त 100 से अधिक सस्पक्टेड रोगियों की जांच की थी। जांच के बाद 47 रोगी सिलिकोसिस के चिन्हित किए गए थे। गौरतलब है कि खानों व धूल वाले स्थानों पर कार्य करते समय मुंह पर मास्क लगाकर कार्य करना चाहिए, लेकिन अधिकांश खान मालिक श्रमिकों को मास्क उपलब्ध नहीं कराते। इससे श्रमिक बिना मास्क के ही कार्य करते रहते हैं और इस रोग की चपेट में आ जाते हैं।
यह है आर्थिक सहायता का प्रावधान
सिलिकोसिस पीडि़त रोगी को प्रमाण पत्र जारी होते ही एक लाख रुपए व मौत होने पर 2 लाख रुपए आर्थिक सहायता का प्रावधान है, लेकिन क्षेत्र के एक भी पीडि़त का प्रमाण पत्र नहीं बनने से अभी तक को किसी को भी आर्थिक सहायता सुलभ नहीं हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता मानव ने बताया कि न्यूमोकानियोसिस बोर्ड अधिकारियों के उदासीन रवैये के चलते क्षेत्र में सिलिकोसिस पीडि़त रोगियों के प्रमाण पत्र नहीं बन रहे हैं। जिला कलक्टर के कई बार निर्देश के बाद भी जिला क्षय रोग अधिकारी प्रमाण पत्र नहीं बना रहे, लेकिन अब वैन के आने व प्रत्येक सोमवार को शिविर लगने से सिलिकोसिस पीडि़तों के प्रमाण पत्र बनने की उम्मीद जगी है।
इनका कहना है…
अस्पताल में सिलिकोसिस वैन उपलब्ध हो गई है। वैन की तकनीकी खामियों को दूर कर दिया गया है। वैन का एक दो दिन में खनन प्रभावित क्षेत्रों में दौरा शुरू हो जाएगा। इस दौरान श्रमिकों की जांच कर सिलिकोसिस पीडि़त रोगी चिन्हित किए जाएंगे।
डॉ.रतिराम यादव पीएमओ, बीडीएम अस्पताल कोटपूतली
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